Tetra Pack Alcohol: देश में कहां-कहां टेट्रा पैक में बिकती है शराब, कितनी है इसकी कीमत?
Alcohol in Juice-like Packs: सुप्रीम कोर्ट ने टेट्रा शराब को लेकर बड़ी टिप्पणी की है. चलिए आपको बताते हैं कि टेट्रा शराब क्या होता है और इसको देश के किन राज्यों में बेचा जाता है.

Supreme Court on Tetra Pack Liquor: सुप्रीम कोर्ट ने शराब को जूस जैसे दिखने वाले टेट्रा पैक में बेचने पर गंभीर चिंता जताई है. अदालत का कहना है कि ऐसे पैकेट बच्चों की पहुंच में आसानी से आ सकते हैं और इन्हें स्कूल बैग में छिपाकर ले जाना भी बहुत आसान है. जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने यह भी सवाल उठाया कि इन पैक पर किसी तरह की स्वास्थ्य चेतावनी तक नहीं दी जाती. उनका कहना था कि राज्यों की सरकारें सिर्फ राजस्व बढ़ाने के लिए इन पैकेटों की बिक्री की अनुमति दे रही हैं. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने उस समय की, जब वह दो शराब ब्रांड्स के बीच चल रहे 20 साल पुराने विवाद की सुनवाई कर रहा था. चलिए आपको बताते हैं कि क्या होता है टेट्रा पैक शराब और कहां-कहां ये बेची जाती है.
देश में कहां-कहां बिकती है ट्रेटा पैक शराब
टेट्रा पैक शराब का मतलब है ऐसी शराब जो बोतल की जगह जूस या मिल्क पैक जैसे पेपर-कार्टन पैकेट में बेची जाती है. इसे आप वही पैक समझो जैसे फ्रूटी, जूस, दूध या नारियल पानी के लिए इस्तेमाल होते हैं, बस फर्क इतना है कि अंदर शराब भरी होती है. इसको देश में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली, तेलगांना, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बेचा जाता है.
टेट्रा पैक शराब कैसी होती है?
- बाहर से बिल्कुल जूस या ड्रिंक पैकेट जैसी दिखती है.
- ऊपर छोटा सा प्लास्टिक का कैप या स्ट्रॉ वाली जगह होती है.
- हल्की होने की वजह से आसानी से बैग में छिपाई या ले जाई जा सकती है.
कितनी है कीमत?
अगर टेट्रा शराब की बात करें, तो एक रिपोर्ट के अनुसार कांच की बोतलों से टेट्रा पैक पर स्विच करने से प्रति यूनिट लागत 10 से 15 रुपये तक कम हो सकती है । वर्तमान में, एक सस्ती क्वार्टर-बोतल की कीमत लगभग 120 है, लेकिन टेट्रा पैक के रूप में, वही शराब 105 की हो सकती है. यह अनुमान तेलंगाना आबाकारी डिपार्टमेंट के फैसले पर लगाया गया था. देश के बाकी राज्यों में इसकी कीमत कम या ज्यादा होती रहती है. इनको 60 मिली, 90 मिली और 180 मिली के टेट्रा पैक बेचे जाते हैं. जैसे कि राजस्थान में एक खबर के अनुसार, इसकी कीमत 60 या 70 रुपये पाउच थी.
इस पर कोर्ट को चिंता क्यों?
- बच्चों या किशोरों के लिए इसे पहचानना मुश्किल होता है.
- दिखने में harmless लगता है, इसलिए कोई जल्दी पकड़ भी नहीं पाता.
- स्कूल बैग या जेब में आसानी से छिपाई जा सकती है.
- पैक पर अक्सर स्वास्थ्य चेतावनी ठीक तरह से नहीं लिखी होती.
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