एक्सप्लोरर

ये तो सच है कोटा में माहौल मिलता है! मगर किसका... पढ़ाई का या फिर सुसाइड का?

Kota Suicides: अक्सर जब भी कोई कोटा पढ़ने जाता है तो कहा जाता है कि कोटा में माहौल मिलता है और हर तरफ पढ़ाई होने की बात होने से पढ़ाई में मन रहता है. मगर कहीं ये माहौल बच्चों के लिए दिक्कत तो नहीं बन रहा है?

जो कोटा अपनी साड़ी, कचौरी और 'शानदार' पढ़ाई के लिए भारत में अपनी खास पहचान रखता है, वो कोटा इन दिनों किसी और वजह से चर्चा में है. चर्चा का विषय है सुसाइड. दरअसल, कोटा में पिछले 8 महीने में 23 बच्चों ने सुसाइड कर लिया है. इस बार नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा जीवन की रेस से हार गईं और कोटा आने के सिर्फ 5 महीने बाद ही खुदकुशी कर ली. कोटा में लाखों बच्चे इंजीनियर, डॉक्टर बनने का सपना लेकर आते हैं और उन्हें लगता है कि वहां पढ़ाई का माहौल मिलेगा और कोटा उनके सपनों को उड़ान देगा. 

बात ये सच है कि कोटा दुनियाभर से आने वाले 8वीं पास, 10वीं पास, 12वीं पास बच्चों को माहौल तो देता है. लेकिन, बढ़ते सुसाइड के बीच सवाल है कि आखिर ये माहौल पढ़ाई का है या फिर मजबूर होकर खुदकुशी को बढ़ावा देना का. या फिर माहौल है कॉलेज की रेस में भागते-भागते, जीवन में हार जाने का. दरअसल, कोटा का पढ़ाई का माहौल अब टॉपर्स के बड़े-बड़े होर्डिंग में नाम शामिल करवाने पर फोकस कर रहा है. ये माहौल कुछ ऐसा है जो टॉपर्स लिस्ट में नाम शामिल ना होने पर सुसाइड से मर जाने वाले स्टूडेंट की लिस्ट में नाम शामिल करने पर मजबूर कर देता है. 

कैसा है कोटा का माहौल?

आप सड़क, रेल किसी भी माध्यम से कोटा पहुंचते हैं तो आपको स्वागत ही टॉपर्स के हॉर्डिंग्स करते हैं. बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन से बाहर आते ही आपको कार, कपड़े, घड़ी के विज्ञापन कम दिखते हैं, लेकिन टॉपर्स के बड़े बड़े हॉर्डिंग्स दिखने लगते हैं. यहां से ही कोटा में प्रतिस्पर्धा का खेल शुरू हो जाता है. इसके बाद ऑटो से लेकर मॉल, कैफे तक कोटा में बखान सिर्फ टॉपर्स का होता है. पीजी वाले भी कहते हैं कि ये टॉपर्स यहां रहे, कोचिंग वाले कहते हैं ये टॉपर्स यहां पढ़ते थे, ऑटो वाले भी कह देते हैं कि कुछ टॉपर्स मेरे साथ बैठते थे. 

अगर आप कुछ दिन कोटा में गुजारते हैं तो आपका समझ आ जाएगा कि कोटा में रहना है तो टॉपर्स बनना कितना जरुरी है. फिर वहां सर्वाइव करने के लिए हर कोई टॉपर्स ही बनना चाहता है. मगर टॉपर्स बनने की रेस में जब कोचिंग सेंटर, दोस्त और घरवालों का साथ नहीं मिलता है तो इस रेस में हार जाता है. एक कॉलेज ने 50 से अधिक अभिभावकों से संपर्क किया है और उन्हें बताया कि उनके बच्चे को उनके साथ रहने की जरूरत है. उनमें से कम से कम 40 लोग अपने बच्चे को घर वापस ले जाने या कोचिंग से हटाने के लिए सहमत नहीं थे. ना ही कई पैरेंट्स काउंसलिंग में आने को तैयार होते हैं.

कोचिंग सेंटर का हाल तो ऐसा है कि वहां बच्चों की रैंक या नंबर के हिसाब से बैच हैं. कोई टॉपर्स है तो अचीवर्स और उन पर ही खास ध्यान दिया जाता है और उस अचीवर्स में जाने का बोझ बढ़ाने का काम कोचिंग सेंटर कर रहे हैं. इस रेस में पीछे रहने वाले कुछ स्टूंडेंट्स तो दूसरा ऑप्शन चुन लेते हैं या फिर जो मिला उससे संतुष्ट हो जाते हैं मगर कुछ उसका अंत जान देने से पूरा करते हैं. ये ही वजह से है कि टॉपर्स की रेस में कोटा सुसाइड के लिए मजबूर कर रहा है.

हाल ही में जिस लड़की ने सुसाइड किया था, उसकी अपने पिता से एक महीने से बात नहीं हुई थी. अगर वो बात अच्छे से हो जाती या पिता टेंशन फ्री कर देते तो ये दिन नहीं देखना पड़ता. तो इस रेस में घरवाले सिर्फ घोड़े पर पैसे लगा रहे हैं, लेकिन उसकी स्थिति और काबिलियत को नहीं समझ रहे हैं. जिस वजह से बच्चे ये कदम उठाने पर मजबूर हो रहे हैं. 

एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं...

कोटा में पढ़ रहे बच्चों के मानसिक हालात को लेकर हमनें साइकोलॉजिस्ट गौरव वर्मा से बात की, जो कोटा में भी साइकोलॉजिस्ट के तौर पर काम कर चुके हैं. उन्होंने बताया, 'कोटा में जो हर तरफ विज्ञापन लगे हैं, वो कहीं ना कहीं बच्चों के दिमाग पर असर डालते हैं. दरअसल, यहां आने वाले बच्चे काफी छोटे होते हैं तो वो वहां के प्रेशर से आसानी से डील नहीं कर पाते हैं. एक तो यहां आने वाले बच्चे किसी ना किसी मायने में किसी से पीछे होते हैं, जो लोग 12वीं में आते हैं तो पता चलता है कि लोग 3 साल पहले से ही तैयारी कर रहे हैं और वो खुद को पीछे पाते हैं, इस वजह से प्रेशर बढ़ता जाता हैं.'

उन्होंने बताया कि बच्चों में बढ़ रहे इस प्रेशर को कम करने के लिए हर तरफ काम होना जरूरी है. उन्होंने बताया, 'कोचिंग सेंटर, पैरेंट्स्, सरकार सभी को इस पर काम करने की जरुरत है. कोचिंग सेंटर्स और पैरेंट्स को बच्चों ये विश्वास दिलाना होगा कि सिर्फ एक कॉलेज या एक प्रोफेशन ही भविष्य नहीं हो सकता है. इसके अलावा भी कई ऑप्शन हैं. घर वालों को भी बच्चों को बताना चाहिए कि वो पढ़ें लेकिन टेंशन फ्री होकर. कोचिंग सेंटर्स को भी हर हफ्ते, हर दिन, हर महीने के हिसाब से कुछ एक्टिविटी करवानी चाहिए, जिससे उनका प्रेशर कम हो. सरकार को भी कोटा में अलग-अलग प्रोग्राम के जरिए बच्चों के स्ट्रेस पर काम करना चाहिए. इसके अलावा साइकोलॉजिस्ट आदि की संख्या ज्यादा होनी चाहिए ताकि बच्चों को अच्छे से काउंसलिंग मिल सके.'

बच्चे भी मानते हैं...

जब हमनें कोटा में पढ़ने वाले बच्चे या पढ़ाई कर चुके बच्चों से भी बात की तो  समझ आया कि किस तरह से कोटा के ये हॉर्डिंग और टॉपर्स का माहौल उनके दिमाग पर कैसे असर डालता है. उन्होंने भी बताया कि टॉपर्स के हॉर्डिंग की बात हो या फिर टॉपर्स के आधार पर होने वाले भेदभाव की... हर जगह नॉन टॉपर्स को बुरा लगता है और वो चाहता है कि वो भी उस लीग में शामिल हो. इसी वजह से रात-दिन पढ़ाई का स्ट्रेस शुरू होता है और कामयाब ना होने पर परेशानी बढ़ने लगती है और कई बच्चे गलत कदम उठा लेते हैं और इस वक्त उन्हें घरवाले या अन्य लोगों से सहारा नहीं मिल पाता है. 

ये भी पढ़ें- स्पेस सूट कितने का आता है, जानिए क्या आम इंसान भी इसे खरीद सकता है?

Education Loan Information:
Calculate Education Loan EMI

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

पाकिस्तान के CDF आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ FIR दर्ज, जमीन कब्जाने के मामले में एक्शन
लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ FIR दर्ज, जमीन कब्जाने के मामले में एक्शन
'क्या अब मेरा निर्वासन खत्म होगा?', खालिदा जिया के निधन के बाद तसलीमा नसरीन ने पूछा; बांग्लादेश से कर दी ये डिमांड
'क्या अब मेरा निर्वासन खत्म होगा?', खालिदा जिया के निधन के बाद तसलीमा ने पूछा; कर दी ये डिमांड
Tuesday Box Office Collection: 'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं 'तू मेरी मैं तेरा...' समेत बाकी फिल्में
'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं बाकी फिल्में

वीडियोज

Sandeep Chaudhary: घुसपैठियों के आकड़ों पर क्यों खामोश है सरकार | Seedha Sawal | PM Modi | ABP News
बंगाल में सियासत भारी...घुसपैठ रोकना किसकी जिम्मेदारी? Sandeep Chaudhary ने पूछ लिया सीधा सवाल
3I ATLAS के निशाने पर है सूरज? | ABPLIVE
News Year 2026: नए साल के जश्न पर अब सनातन वाला बैरियर! | ABP News
UP Politics: यूपी BJP अध्यक्ष Pankaj Chaudhary की CM Yogi से मुलाकात | ABP News

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
पाकिस्तान के CDF आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
आसिम मुनीर ने करवाया बेटी का निकाह, जानें किसे बनाया दामाद? मेहमानों की लिस्ट भी आई सामने
लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ FIR दर्ज, जमीन कब्जाने के मामले में एक्शन
लखनऊ: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ FIR दर्ज, जमीन कब्जाने के मामले में एक्शन
'क्या अब मेरा निर्वासन खत्म होगा?', खालिदा जिया के निधन के बाद तसलीमा नसरीन ने पूछा; बांग्लादेश से कर दी ये डिमांड
'क्या अब मेरा निर्वासन खत्म होगा?', खालिदा जिया के निधन के बाद तसलीमा ने पूछा; कर दी ये डिमांड
Tuesday Box Office Collection: 'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं 'तू मेरी मैं तेरा...' समेत बाकी फिल्में
'धुरंधर' के कहर से कांप रहा बॉक्स ऑफिस, पाई-पाई की मोहताज हुईं बाकी फिल्में
बॉलीवुड एक्ट्रेस का बड़ा दावा, कहा- मेरे पीछे कई सारे क्रिकेटर..., सूर्यकुमार यादव तो...
बॉलीवुड एक्ट्रेस का बड़ा दावा, कहा- मेरे पीछे कई सारे क्रिकेटर..., सूर्यकुमार यादव तो...
ताजमहल: मोहब्बत की इमारत पर सियासत की स्याही! 'सफेद कब्रिस्तान' कहने वाले कोई शर्म तुमको न आई
ताजमहल: मोहब्बत की इमारत पर सियासत की स्याही! 'सफेद कब्रिस्तान' कहने वाले कोई शर्म तुमको न आई
Punishment For Faking Own Death: खुद की मौत का नाटक करने पर कितनी मिलती है सजा, जान लें क्या है कानून?
खुद की मौत का नाटक करने पर कितनी मिलती है सजा, जान लें क्या है कानून?
Video: गूगल पर सर्च किया ये डिजिट तो झूमने लगेगी आपकी स्क्रीन, यूजर्स बोले, हमें लगा भूकंप आ गया
गूगल पर सर्च किया ये डिजिट तो झूमने लगेगी आपकी स्क्रीन, यूजर्स बोले, हमें लगा भूकंप आ गया
Embed widget