मौत की घंटी से कम नहीं है रूस का डूम्सडे रेडियो स्टेशन, इसके एक्टिव होने पर मचती है तबाही
रूस दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है. उसके पास कई आधुनिक हथियार मौजूद हैं. चलिए, आपको रूस के पास मौजूद डूम्सडे रेडियो स्टेशन के बारे में बताते हैं.

यूक्रेन और रूस बीते तीन साल से जंग में उलझे हुए हैं. अमेरिका समेत सभी यूरोपीय देश इस जंग में यूक्रेन के साथ हैं और उसे सैन्य व आर्थिक मदद मुहैया करा रहे हैं. यूक्रेन की मदद के लिए इन देशों ने बीते तीन साल में रूस पर कई प्रतिबंध भी लगाए हैं, इसके बावजूद रूस इस जंग में टिका हुआ है और यूक्रेन और उसके समर्थक देशों को मुंहतोड़ जवाब भी दे रहा है.
रूस के इतने लंबे समय तक जंग में टिक रहने और पीछे न हटने का सबसे बड़ा कारण उसके हथियारों का जखीरा है, जिसका मुकाबला करना अमेरिका या फिर नाटो के लिए भी आसान नहीं है. रूस के पास दुनिया के सबसे ज्यादा परमाणु बम भी हैं और सबसे लंबी दूरी तक हिट करने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल भी. हालांकि, इस देश के पास एक ऐसा भी हथियार है, जिसकी चर्चा काफी कम होती है, लेकिन इसके एक्टिव होते ही दुश्मनों के जान हलक में आ जाती है. यह हथियार है- "डूम्सडे रेडियो स्टेशन."
क्या है रूस का डूम्सडे रेडियो स्टेशन
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच हाल ही में हुई बातचीत के बाद यह रेडियो स्टेशन एक बार फिर सक्रिए हो गया था. डूम्सडे रेडियो स्टेशन को साइंटिस्ट, यूबीवी-76 के नाम से भी जानते हैं. बताया जाता है कि इससे निकलने वाले संदेशों को वहां तक पहुंचाया जाता है, जहां तक सैटेलाइट से भी संदेश नहीं भेजे जा सकते हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे हैक नहीं किया जा सकता है. इससे भेजे जाने वाले संदेश बहुत ही सीक्रेट होते हैं, जिसको आम लोग समझ नहीं पाते. इसमें शब्द के साथ अंक भी शामिल होते हैं, जिसके चलते इसको आसानी से समझा नहीं जा सकता है. बताया जाता है कि रूस इससे दुनियाभर में मौजूद अपने लोगों को संदेश दे सकता है.
खतरनाक क्यों है डूम्सडे रेडियो स्टेशन
आज जहां दुनियाभर के देश अत्याधुनिक सेटेलाइट और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन पर निर्भर हैं, वहीं रूस का UVB-76 जैसा रेडियो स्टेशन आज भी काम कर रहा है. इसका उपयोग केवल सामान्य संचार नहीं बल्कि विशेष आपात स्थितियों से जुड़ा है. ऐसे कई मौके आए हैं जब इस पर तुरंत कोडेड वॉयस मैसेज सुनाई दिए, खासकर यह यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान देखा गया. इसमें संचार होते ही दुनिया में हलचल बढ़ जाती है. जानकार बताते हैं कि इसे एक रहस्य के तौर पर चलाया जाता है ताकि रूस की सैन्य रणनीतियों के बारे में स्पष्ट जानकारी न मिल सके और दुश्मन भ्रम में पड़ा रह जाए. अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो यह सिर्फ एक संचार का माध्यम ही नहीं बल्कि मनौवैज्ञानिक और सामरिक हथियार है. जब तक यह बजता है तब तक ठीक है, लेकिन जैसे ही इसकी आवाज बदली समझो दुनिया खतरनाक मोड़ में पहुंच चुकी है क्योंकि कहा जाता है कि इससे जुड़े संदेश गुप्त सैन्य अभियान या परमाणु प्रोटोकॉल से जुड़े हो सकते हैं.
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