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कैसे मिलता है H-1B वीजा! क्यों भारतीयों को सबसे ज्यादा रास आता है ये?

हाल ही में अमेरिकी सरकार, खासकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद इसमें एक बड़ा बदलाव किया गया है. इस बदलाव में H-1B वीजा की फीस अब कई गुना बढ़ा दी गई है.

हर साल लाखों भारतीयों का सपना होता है कि वे अमेरिका में जाकर बड़ी टेक कंपनियों में काम करें, अच्छी सैलरी कमाएं और अपने करियर को ऊंचाई तक ले जाएं. खासकर इंजीनियर, सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, डेटा साइंटिस्ट और मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका एक बड़ा हब है.लेकिन अमेरिका में नौकरी करने के लिए सिर्फ डिग्री या एक्सपीरियंस काफी नहीं होता, वहां काम करने के लिए एक खास वीजा चाहिए, जिसे H-1B वीजा कहा जाता है.ये वीजा खास तौर पर हाई स्किल्ड वर्कर्स के लिए बनाया गया है जैसे कि IT, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर और साइंस के फील्ड में काम करने वाले लोग. 

हाल ही में अमेरिकी सरकार, खासकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद इसमें एक बड़ा बदलाव किया गया है. इस बदलाव में H-1B वीजा की फीस अब कई गुना बढ़ा दी गई है. जहां पहले H-1B वीजा के लिए लगभग 5 लाख तक खर्च आता था. वहीं अब नई फीस 88 लाख कर दी गई है. यह नई फीस 21 सितंबर से लागू हो गई है. अब H-1B वीजा लेना 50 गुना ज्यादा महंगा हो गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि H-1B वीजा कैसे मिलता है और क्यों भारतीयों को ये वीजा सबसे ज्यादा रास आता है. 

H-1B वीजा क्या है और कैसे मिलता है 

H-1B एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है, यानी यह वीजा आपको अमेरिका की नागरिकता नहीं देता, लेकिन आपको वहां कुछ सालों तक काम करने की अनुमति देता है. यह वीजा अमेरिकी कंपनियों को यह सुविधा देता है कि वे दूसरे देशों से स्किल्ड लोगों को काम पर रख सकें. H-1B वीजा की वैलिडिटी पहले 3 साल की होती है, और इसे आगे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है. हर साल 85,000 H-1B वीजा जारी किए जाते हैं. इनमें से 65,000 वीजा सामान्य कैटेगरी के लिए होते हैं. बाकी 20,000 उन लोगों के लिए जो अमेरिका से मास्टर्स या हायर डिग्री कर चुके हैं. 

H-1B वीजा पाने की प्रक्रिया के लिए बहुत सारे आवेदन आते हैं, लेकिन सीमित लोगों को ही यह वीजा मिलता है.  H-1B वीजा पाने के लिएकंपनी का स्पॉन्सर करना जरूरी है यानी कोई अमेरिकी कंपनी आपके नाम से आवेदन करेगी. इसके अलावा आपके पास खास टेक्निकल या प्रोफेशनल स्किल होनी चाहिए. साथ ही सभी आवेदनों में से कंप्यूटर के जरिए रैंडम चयन होता है. उसके बाद इंटरव्यू और वीजा प्रोसेसिंग होती है. 

H-1B वीजा भारतीयों को सबसे ज्यादा रास आता है क्यों?

हर साल H-1B वीजा पाने वालों में 70 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय होते हैं. साल 2023 में 1.91 लाख भारतीयों ने यह वीजा पाया था. 2024 में यह संख्या बढ़कर 2.07 लाख हो गई, अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर या टेक वर्कर्स की सैलरी भारत के मुकाबले कई गुना ज्यादा होती है. अमेरिका में काम करने वाले प्रोफेशनल्स को बेहतर सुविधाएं और लाइफस्टाइल लेवल मिलता है. वहां काम करके इंटरनेशनल एक्सपीरियंस मिलता है, जिससे आगे की नौकरियों में फायदा होता है. H-1B वीजा से लोग बाद में स्थाई नागरिकता के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं. इन सभी कारण से H-1B वीजा भारतीयों को सबसे ज्यादा रास आता है. 

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