जिंदा रहने के लिए क्यों 40 साल से पत्थर तोड़ रहे हैं यहां के लोग?... जानिए इसके पीछे की वजह
पश्चिमी अफ्रीकी देश बुरकीना फासो की राजधानी उआगेडूगू में लोग पिछले 40 सालों से पत्थर तोड़ने में पसीना बहा रहे हैं. क्या है इसके पीछे की वजह? जानते हैं.

Graphite Mine: एक ओर इंसान ने इतनी तरक्की कर ली है कि वह चांद तक पहुंच गया है. AI जैसी तकनीक से उसने अपने जीवन को आसान और शानदार बना लिया है. अब लोग काम नहीं करते बल्कि उनकी जगह मशीनें या रोबोट काम करते हैं. वहीं, दुनिया में आज भी कुछ जगहों पर लोगों को 2 वक्त की रोटी जमा करने के लिए दिनभर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. आज हम आपको एक ऐसे ही देश के बारे में बताएंगे जहां रहने वाले लोग अपनी दो वक्त की रोटी के लिए पिछले लगभग 40 सालों से पत्थर तोड़ रहे हैं. इतनी कड़ी मेहनत के बाद भी इनकी सिर्फ मूलभूत जरूरतें ही पूरी हो पा रही हैं. आइए जानते हैं ये कौन सी जगह है और लोग यहां पत्थर क्यों तोड़ रहे हैं.
ये है वजह
दरअसल, पश्चिमी अफ्रीकी देश बुरकीना फासो की राजधानी उआगेडूगू में ग्रेनाइट की एक खदान है. लोग इसमें पिछले 40 सालों से पसीना बहा रहे हैं. क्योंकि उनके पास इसके अलावा कमाई का कोई और विकल्प है. दरअसल, सेंट्रल उआगेडूगू के पिसी जिले के बीचों-बीच 40 साल पहले ग्रेनाइट की खदान के लिए एक बहुत बड़ा गड्ढा खोदा गया था. इस दौरान इस क्षेत्र गरीबी से जूझ रहे थे तो उनके लिए ये खदान ही रोजी-रोटी का जरिया बनी थी. पिछले 40 सालों से लोग इसमें खुदाई कर रहे हैं और हैरानी की बात ये है कि इस खदान का कोई मालिक नहीं है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आदमी, औरतें व बच्चें रोजाना 10 मीटर गड्ढे में उतर कर ग्रेनाइट तोड़कर ऊपर लेकर आते हैं. इस भारी बोझ को सिर पर लेकर इन्हें खदान की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. जिसमें कई बार तो ये लोग फिसलकर नीचे भी गिर जाते हैं.
इतनी होती है कमाई
इन लोगों के तोड़े गए ग्रेनाइट से इमारतें बनाई जाती हैं. लेकिन दिनभर की मेहनत के बाद भी यहां के लोगों की ज्यादा कमाई नहीं होती है. खदान में काम करने वाले लोगों का अनुसार, सुबह से रात तक काम करने पर उन्हें लगभग 130 रुपये मिलते हैं. ऐसे में उनके लिए घर चलाने से लेकर बच्चों की फीस भरना तक मुश्किल होता है.
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Source: IOCL























