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नोबेल प्राइज के लिए नॉमिनेट हुए इमरान खान, जानिए कैसे होता है नामांकन और कौन करता है तय?

नोबेल प्राइज प्रदान करने वाली संस्था द्वारा नामांकन में आए सभी नामों को गुप्त रखा जाता है और अगले 50 सालों तक इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाता है. बता दें कि इस बार 338 लोगों का नामांकन हुआ है.

Imran Khan nominated for Nobel Peace Prize: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का नाम दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक नोबेल प्राइज के लिए नॉमिनेट किया गया है. इमरान खान का नाम उनके शांति के क्षेत्र में दिए जाने वाले नोबेल प्राइज के लिए नामांकित किया गया है. दक्षिण एशिया में शांति को बढ़ावा देने, लोकतंत्र और मानवाधिकार के लिए उनके कार्यों के लिए उन्हें नोबल पीस प्राइज के लिए नामांकित किया गया है. बता दें, इमरान खान 2022 से भ्रष्टाचार मामले में पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. 

ऐसे में सवाल उठता है कि नोबेल प्राइज के लिए लोगों को कौन नामित करता है? इसकी चयन प्रक्रिया क्या है? इस साल कितने लोगों का नामांकन किया गया है? चलिए जानते हैं इन सवालों के जवाब. 

इस साल इतने लोगों का हुआ नामांकन

नोबेल प्राइज 2025 के लिए नामांकन करने की लास्ट डेट 31 जनवरी थी. नोबेल प्राइज देने वाली संस्थान की ओर से कहा गया है कि इस बार 338 लोगों का नामांकन हुआ है, जिसमें 244 व्यक्तिगत और 94 संगठन हैं. संस्था की ओर से कहा गया है कि बीते साल के मुकाबले इस साल नामांकन में वृद्ध हुई है. 2024 में 286 लोग नामित हुए थे. सबसे ज्यादा नामांकन 2016 में प्राप्त हुए थे. इस साल 376 नामांकन आए थे. बता दें, संस्था द्वारा नामांकन में आए सभी नामों को गुप्त रखा जाता है और अगले 50 सालों तक इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाता है. 

ये होती है पूरी प्रक्रिया

नोबेल प्राइज के लिए नामांकन प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है. नोबेल प्राइज के लिए नामांकन वही व्यक्ति कर सकता है, जो इसके मानदंडों को पूरा करता हो. नामांकन प्रक्रिया 31 जनवरी तक चलती है, इसके बाद कोई भी नामांकन स्वीकार नहीं किया जाता है. यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद नॉर्वेजियन नोबेल समिति फरवरी से मार्च तक लोगों के नाम शॉर्ट लिस्ट करके  एक लिस्ट तैयार करती है. इस लिस्ट को मार्च से अगस्त के एडवाइजर रिव्यू के लिए भेजा जाता है.  एडवाइजर रिव्यू पूरा होन के बाद अक्टूबर में वोटिंग के माध्यम से लोगों के नाम तय किए जाते हैं और उनकी घोषणा होता है. इसके बाद दिसंबर में नोबले प्राइज अवॉर्ड सेरेमनी आयोजित की जाती है. 

यह भी पढ़ें: दुनिया के इन देशों में जरूरी होता है सेना में काम करना, जबरन कराई जाती है भर्ती

प्रांजुल श्रीवास्तव एबीपी न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. फिलहाल फीचर डेस्क पर काम कर रहे प्रांजुल को पत्रकारिता में 9 साल तजुर्बा है. खबरों के साइड एंगल से लेकर पॉलिटिकल खबरें और एक्सप्लेनर पर उनकी पकड़ बेहतरीन है. लखनऊ के बाबा साहब भीम राव आंबेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता का 'क, ख, ग़' सीखने के बाद उन्होंने कई शहरों में रहकर रिपोर्टिंग की बारीकियों को समझा और अब मीडिया के डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं. प्रांजुल का मानना है कि पाठक को बासी खबरों और बासी न्यूज एंगल से एलर्जी होती है, इसलिए जब तक उसे ताजातरीन खबरें और रोचक एंगल की खुराक न मिले, वह संतुष्ट नहीं होता. इसलिए हर खबर में नवाचार बेहद जरूरी है.

प्रांजुल श्रीवास्तव काम में परफेक्शन पर भरोसा रखते हैं. उनका मानना है कि पत्रकारिता सिर्फ सूचनाओं को पहुंचाने का काम नहीं है, यह भी जरूरी है कि पाठक तक सही और सटीक खबर पहुंचे. इसलिए वह अपने हर टास्क को जिम्मेदारी के साथ शुरू और खत्म करते हैं. 

अलग अलग संस्थानों में काम कर चुके प्रांजुल को खाली समय में किताबें पढ़ने, कविताएं लिखने, घूमने और कुकिंग का भी शौक है. जब वह दफ्तर में नहीं होते तो वह किसी खूबसूरत लोकेशन पर किताबों और चाय के प्याले के साथ आपसे टकरा सकते हैं.

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