भगत सिंह की फांसी पर जिन्ना ने क्या कहा था? ऐसा था नेहरू का रुख
शहीद भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर को हर साल देशभर में मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शहीद भगत सिंह के अंतिम समय में मोहम्मद अली जिन्नाह और जवाहरलाल नेहरू का क्या रूख था.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा और सेनानी शहीद भगत सिंह की 28 सितंबर को जयंती है. भगत सिंह भारत के महान योद्धा और राष्ट्रीय नायकों में से एक थे. देश को आजादी के लिए उनकी लड़ाई और योगदान और बलिदान पर देश को गर्व है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगत सिंह को लेकर मोहम्मद अली जिन्नाह और जवाहरलाल नेहरू का क्या रूख था. आज हम आपको बताएंगे कि भगत सिंह को लेकर इन नेताओं ने क्या कहा था.
भगत सिंह
शहीद भगत सिंह भारत के महान वीरसपूतों में से एक थे. भारत की आजादी में भगत सिंह और उनके साथियों के योगदान को भारत हमेशा याद रखता है. भारत अपने सभी वीरसपूतों की शहादत पर उन्हें श्रद्धांजलि देता है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि आजादी के वक्त के बड़े नेता मोहम्मद अली जिन्नाह और जवाहरलाल नेहरू ने शहीद भगत सिंह को लेकर क्या कहा था.
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मोहम्मद अली जिन्नाह
बता दें कि सितंबर 1929 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जब जेल में भूख हड़ताल पर थे, तो शिमला में सेंट्रल असेंबली की बैठक हुई थी. तब मोहम्मद अली जिन्ना उस सेंट्रल सेंट्रल असेंबली में बॉम्बे को रिप्रजेंट कर रहे थे. उस असेंबली में जिन्ना ने भगत सिंह की भरपूर हिमायत की थी.
जिन्ना ने कहा था कि आपको अच्छी तरह से पता है कि ये अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं. ये कोई मजाक की बात नहीं है. जो व्यक्ति भूख हड़ताल पर जा रहा है, वो अपनी आत्मा की आवाज सुनता है और एक मकसद के लिए जीता है. ऐसा करना हर किसी के बस की बात नहीं है. आप ऐसा करके देखें तब पता चलेगा. जिन्ना ने कहा था कि भगत सिंह के साथ एक राजनीतिक कैदी के बजाय अपराधी की तरह बर्ताव किया जा रहा है, जोकि बिल्कुल गलत है.
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जवाहर लाल नेहरू
बता दें कि 23 मार्च, 1931 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेख को लाहौर में फांसी दी गई थी. वहीं अगले दिन 24 मार्च को दिल्ली में नेहरू ने कहा था कि उनके आखिरी दिनों के बीच में बिल्कुल चुप ही रहा था, ताकि मेरा एक भी शब्द सजा को घटाने के आसार को नुकसान न पहुंचा सके. मैं चुप रहा, लेकिन मेरा दिल खौलता रहा था. अब सब कुछ खत्म हो गया है. हम सब भी उसे, जो हमें इतना प्यारा था और जिसकी शानदार दिलेरी और कुर्बानी हिंदुस्तान के नौजवानों के लिए प्रेरणा बन रही है, आखिर नहीं बचा सके. आज हिंदुस्तान अपने बहुत प्यारे बच्चों को फांसी तक से नहीं बचा सका है.
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