क्या सोशल मीडिया पर लिखने भर से बेटे को प्रॉपर्टी से बेदखल कर सकता है बाप, या इसके लिए होती है कोई कानूनी प्रक्रिया; जान लीजिए नियम
How Parents Evict Children From Property: हाल में बिहार में लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी और घर से निकाल दिया है. लेकिन क्या सिर्फ इतने भर से संपत्ति से बेदखल किया जा सकता है.

भारतीय राजनीति में परिवारवाद और भाई-भतीजावाद लंबे अरसे से चर्चा का विषय रहे हैं. यूपी-बिहार और ज्यादातर हिंदी पट्टी में इसकी जड़ें गरहाई हैं. वहीं दक्षिण में भी परिवारवाद और राजनीति की गहरी जड़ें हैं. भारत के इतिहास की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं जब पिता ने पुत्र को सत्ता और विरासत सौंपी हो, लेकिन कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं, जब पिता ने अपनी बनाई पार्टी से बेटे को बेदखल कर दिया हो. इसका हालिया उदाहरण हाल ही में बिहार में देखने को मिला है, जब बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को छह साल के लिए पार्टी और घर से निष्कासित कर दिया है.
लालू प्रसाद यादव ने बीते दिन सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया और उसमें बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के आचरण को पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों के खिलाफ व उनको गैर जिम्मेदाराना बताया. यह कार्रवाई तेज प्रताप यादव की उस पोस्ट को लेकर हुई है, जिसमें उन्होंने 12 साल से अनुष्का यादव के साथ रिलेशनशिप की बात कही थी. लेकिन क्या कोई पिता सिर्फ सोशल मीडिया पर लिख भर देने से अपने बेटे को संपत्ति से बेदखल कर सकता है? क्या इसके लिए कोई कानूनी प्रक्रिया होती है? चलिए जानें.
संपत्ति से बेदखल करने को लेकर कानून
अगर कोई माता-पिता अपने बच्चों से शारीरिक या मानसिक रूप से उत्पीड़ित होते हैं तो उनको पूरा अधिकार होता है कि वे अपनी बनाई संपत्ति से बच्चों को बेदखल कर सकते हैं. इसके लिए माता-पिता को जिला मजिस्ट्रेट के सामने एक आवेदन पत्र देना होता है. उस आवेदन पत्र के जरिए माता-पिता जिला मजिस्ट्रेट को यह बताते हैं कि उनका बेटा अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है. अगर जिला मजिस्ट्रेट तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं तो माता-पिता सिविल कोर्ट में अर्जी लगाते हैं. वहीं प्रॉपर्टी से बेदखल करने का दूसरा तरीका वसीयत भी होता है. इसके लिए एक रजिस्टर्ड वसीयत बनवानी होती है, जिसमें यह बात स्पष्ट रूप से लिखी होती है कि कुल कितने लोग कानूनी रूप से संपत्ति के हकदार होते हैं. माता-पिता वकील की मदद से अखबार में एक नोटिस भी डाल सकते हैं. अगर माता-पिता की उम्र 60 साल से ज्यादा है तो वे सीनियर सिटीजन एक्ट 2007 के जरिए ट्रिब्यूनल कोर्ट में केस दर्ज कर सकते हैं. इसमें 21 दिनों के अंदर कार्रवाई हो जाती है.
किन परिस्थितियों में संपत्ति से किया जा सकता है बेदखल
अगर बेटा-बेटी या किसी कानूनी उत्तराधिकारी से माता-पिता को किसी तरह के नुकसान का डर है तो बच्चों को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं. इसके अलावा अगर किसी शख्स का वारिस गैर-कानूनी काम में लिप्त हो गया हो और प्रॉपर्टी के मालिक को इस बात का डर हो कि वो भी मुश्किल में फंस सकते हैं तब भी बेदखल किया जा सकता है. कई बार लोग दहेज के केस से बचने के लिए भी संपत्ति से बेदखल करने का सहारा लेते हैं.
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Source: IOCL





















