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खाने में कई पकवान होते हैं... बुफे सजता हैं... मगर गेस्ट होते हैं बंदर! कभी देखी है ऐसी दावत
थाइलैंड में हर साल एक मंकी फेस्टिवल का आयोजन होता है. इस फेस्टिवल की खास बात ये है कि इसमें गेस्ट सिर्फ बंदर ही होते हैं और वो मस्ती से दावत में हिस्सा लेते हैं.
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आपने कई तरह की पार्टी या दावत देखी होगी, जहां लोगों के लिए अलग अलग तरह के पकवान तैयार करवाए जाते हैं. एक गार्डन में बुफे लगाया जाता है, जहां कई तरह की डिश रखी जाती है और दावत में आने वाले लोग उसे खाते हैं. ऐसी ही एक दावत थाइलैंड में होती है, जिसमें तैयारियां तो आम दावतों की तरह होती है, लेकिन उसके मेहमान अलग होते हैं. दरअसल, इस दावत में अलग अलग डिश और पकवानों को खाने वाले मेहमान इंसान नहीं होते हैं, बल्कि बंदर होते हैं. जी हां, यहां बंदर के लिए खास दावत रखी जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में बंदरों को बुलाया जाता है और वहां उन्हें खाने के लिए कई चीजें दी जाती हैं.
आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर बंदरों के लिए ऐसा क्यों किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं और बताते हैं कि यह कहां किया जाता है और इस दावत में बंदरों के लिए क्या खास व्यवस्था की जाती है...
कब और कहां होता है ये फेस्टिवल?
यह फेस्टिवल हर साल नवंबर महीने के आखिरी रविवार को होता है. इस बार भी 27 तारीख को इस फेस्टिवल का आयोजन किया गया था. यह फेस्टिवल थाईलैंड के Phra Prang Sam Yot temple में होता है. यह फेस्टिवल लोपबुरी के बंदरों के लिए रखा जाता है और बड़ी संख्या में बंदर इस कार्यक्रम में हिस्सा भी लेते हैं.
क्यों करवाया जाता है फेस्टिवल?
रिपोर्ट्स के अनुसार, ये फेस्टिवल लोपबुरी के लोगों के लिए रखा जाता है और माना जाता है कि ये फेस्टिवल करवाना इस इलाके के लिए गुड लक है. माना जाता है कि ऐसा करवाते रहने से इस इलाके के लोग समृद्धि से रहते हैं. इस वजह से लोग मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं.
कैसे होता है कार्यक्रम?
फेस्टिवल की शुरुआत ओपनिंग सेरेमनी के जरिए होती है और इसमें लोग डांस करते हैं. इन डांस की भी खास बात ये होती है कि लोग बंदर का कॉस्टूम पहनकर ही इसमें डांस करते हैं. इसके बाद जब मंदिर वैन्यू पर आ जाते हैं तो फिर खाने से चादर हटा दी जाती है और बंदर फिर पेट भर कर खाने का मजा लेते हैं. यहां कई तरह के फ्रूट और सब्जियां होते हैं और उनके लिए कई चीजें होती है. वो खाना खाते हैं टेबल पर चढ़ते हैं और इधर-उधर उछलते हैं. यहां करीब दो टन खाने की व्यवस्था होती है, जो उन लोगों को खिलाया जाता है. बता दें कि बंदरों को लंबे वक्त से काफी शुभ माना जाता है. रामायण में भी बंदरों का खास महत्व बताया गया है, ऐसे में उन्हें शुभ माना जाता है और इसी वजह से ही लोपबुरी के लोग इस खास दावत का आयोजन करते हैं.
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