जंगल सफारी में तो जीप खुली होती है, फिर जानवर उसपर हमला क्यों नहीं करते हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में वर्गीकृत करने और पर्यटकों के लिए खोलने से पहले अधिकारी कुछ तैयारी करते हैं. आइए जानते हैं जानवर सफारी वाहन पर हमला क्यों नहीं करते.

Jungle Safari: अगर आपको जंगली जानवरों को देखने का शौक है तो भारत में आपके पास नेशनल पार्क और कई प्रकार की जंगल सफारी के विकल्प मौजूद हैं. यहां आपको बड़ी आसानी से खूंखार जंगली जानवर जैसे शेर, चीता आदि भी देखने को मिल जायेंगे. अगर आपने कभी जंगल सफारी का एक्सपीरियंस लिया है तो आप अच्छी तरह जानते होंगे, जिन्होंने अभी तक ये अनुभव नहीं लिया है उन्होंने अक्सर फोटो में देखा होगा कि पर्यटकों को एक खुली जीप में सफारी पर लेकर जाया जाता है. ऐसे में, शेर, टाइगर और तेंदुआ जैसे खूंखार जानवर भी उनके सामने आ जाता है, लेकिन तब भी वो उनपर हमला नहीं करते हैं. ऐसा कैसे होता है? जबकि, शेर तो एक मांसाहारी जानवर है और वो वहां आजाद घूमता है, फिर खुले में उसके सामने इंसान आ जाने के बाद भी वो उनका शिकार क्यों नहीं करता है?
वाहन को समझते हैं बड़ा जानवर
दरअसल, सफारी वाहन को ये जंगली जीव एक बड़ी वस्तु या किसी बड़े जानवर के रूप में देखते हैं. शेरों या बाघों को लगता है कि यह हमारे ही बहुत बड़े परिवार का सदस्य है. लेकिन, जब लोग बाहर निकलते हैं या अपने सिर या हाथ-पैर गाड़ी से बाहर निकालते हैं तो जानवर उन्हे एक व्यक्ति समझकर हमला कर सकता है. इसीलिए जब शेर या कोई अन्य जानवर आक्रामक होता है तो लोगों को न घबराने और कार के पास ही रहने की सलाह दी जाती है. ज्यादातर जानवर भाग रहे जीवों का ही शिकार करते हैं.
आदी हो जाते हैं जानवर
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में वर्गीकृत करने और पर्यटकों के लिए खोलने से पहले अधिकारी कुछ तैयारी करते हैं. जानवरों का व्यवहार जानने के लिए वो उनके करीब सफारी वाहन चलाते हैं. हालांकि, पहली बार में जानवर आक्रामक हो सकता है, लेकिन समय के साथ वो इसके आदी हो जाते हैं. जिसके बाद वो सहयोगी लोगों और कार को भोजन या खतरे के रूप में नहीं देखते हैं. इसके अलावा, एक कारण सफारी वाहनों का आकार भी है. शेर और चीता जैसे जानवर बड़े शिकार पर अपनी बहुत अधिक ऊर्जा खर्च नहीं करना चाहते हैं.
समय पर मिलता है भोजन
इसके अलावा सफारी वाहन में पर्यटकों के साथ वन विभाग के लोग हरे रंग की वर्दी पहन कर रहते हैं, जो उन्हें भोजन देते हैं और उनका इलाज व देखभाल करते हैं. साथ ही समय पर भोजन मिलने के कारण, उन्हें शिकार करने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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Source: IOCL





















