अजित डोभाल नहीं, यह है भारत का सबसे खतरनाक जासूस, पाकिस्तान आर्मी में बन गया था मेजर
Indian Most Dangerous Spy: भारत में लोगों में देशभक्ति भरी पड़ी है. यही वजह है कि लोग जासूस बनने को तैयार हो जाते हैं. देश में एक ऐसे खतरनाक जासूस रहे हैं, जो कि पाक सेना में मेजर के पद तक पहुंच गए थे.

कुछ लोग देशभक्ति में इतने लबरेज होते हैं कि वो अपने देश के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. लेकिन उस वक्त सब कुछ खत्म हो जाता है, जब उनके पकड़े जाने पर उनके देश की सरकारें उनको पहचानने से इनकार कर देती हैं. लेकिन फिर भी इन जासूसों के मन में न तो अपनी जान का खौफ होता है और न ही अपनी निजी जिंदगी से कुछ भी लेना-देना होता है. देशभक्ति उनके अंदर इस कदर कूट-कूटकर भरी होती है कि दुश्मन देश में उनके भरोसेमंद बनकर अपने देश के लोगों की मदद करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही भारत के सबसे खतरनाक जासूस के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि पाकिस्तानी आर्मी में मेजर तक बन गए थे.
कौन थे भारत के सबसे खतरनाक जासूस
भारत के एक ऐसे ही सबसे खतरनाक जासूस का नाम है रविंद्र कौशिक. उनको ब्लैक टाइगर के नाम से भी जाना जाता है. सभी देशों की तरह भारत भी अपनी खुफिया एजेंसी RAW के जासूसों को दुनिया के हर कोने में रखती है. भारत में भी न जाने कितने ISI के स्लीपर सेल घूम रहे हैं. ये कब कहां और किस हाल में होते हैं, इसकी किसी को खबर नहीं होती है. इन जासूसों को पूरी ट्रेनिंग देकर भेजा जाता है. इनको अपने परिवार को बताना भी नहीं होता है. रवीन्द्र कौशिक ऐसे जासूस थे जिनकी वजह से भारत में लाखों सैनिकों की जान बची थी. रॉ की तरफ से उनको कई टास्क दिए जाते थे, जिनको वो पूरा करते थे.
कैसे रॉ के संपर्क में आए कौशिक
रवीन्द्र कौशिक इतने हैंडसम हुआ करते थे कि उनकी तुलना बॉलीवुड स्टार विनोद खन्ना से होती थी. एक बार लखनऊ में नेशनल लेवल की ड्रामेटिक मीटिंग में वो रॉ के संपर्क में आए थे. तब उनको अधिकारियों ने बुलाकर रॉ के बारे में बताया था और दो साल की ट्रेनिंग दी गई थी. उनको मुस्लिम रीति-रिवाज, उर्दू और अरबी बोलना सिखाया गया था. बाकी पंजाबी बोलना तो उनको आता ही था, क्योंकि उनका घर राजस्थान और पंजाब सीमा के पास ही था. वो बहुत अच्छी एक्टिंग करते थे, इसलिए उनको लंबे वक्त के लिए भेजे जाने का फैसला किया गया था.
पाकिस्तान में मेजर के पद तक पहुंचे
रवींद्र कौशिक 1978 में पाकिस्तान के कराची में पहुंचे थे. वहां उन्होंने सेना में भर्ती को लेकर अखबार में एक विज्ञापन देखा और पहुंच गए सेना में भर्ती होने के लिए. पाकिस्तान उनको इतना काबिल समझता था कि वो वहां पर मेजर के पद तक पहुंच गए. उन्होंने पाकिस्तान में 1979 से 1983 तक काम किया था. वहीं पर उनको एक लड़की से प्यार हो गया और उससे उन्होंने शादी कर ली थी. उनके एक बेटा भी हुआ था. लेकिन वो भारत को बड़ी-बड़ी जानकारियां देते रहते थे. बाद में वो अपने परिवार से जाकर 1981 में आखिरी बार मिले थे. इसके दो साल के बाद ही उनको पकड़ लिया गया था.
कैसे हुई मौत
पाकिस्तान ने जब रवींद्र कौशिक को पकड़ा तो बाद में उनके 18 साल को उसने नर्क जैसा बना दिया था. रवींद्र कौशिक को बुरी तरह से टॉर्चर किया गया था. लेकिन उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला. लेकिन रॉ और भारत सरकार उनको पहचानने से इनकार कर चुके थे. परिवार ने भारत सरकार से संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की थी. ऐसा नहीं है कि जासूसों को छुड़ाया नहीं जा सकता था. जासूसों की भी अदला बदली हो सकती थी. लेकिन उस वक्त सरकार ने कोई मदद नहीं की. रवींद्र कौशिक को पाकिस्तान की कई जेलों में ट्रांसफर किया गया था, बाद में उनको दिल और टीबी की बीमारी हो गई थी. साल 2001 में उन्होंने पाकिस्तान में ही आखिरी सांस ली. मौत के बाद भी उनको अपने मुल्क की जमीन नसीब नहीं हुई थी.
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Source: IOCL























