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Indian Currency: क्या आम आदमी खरीद सकता है 100-200 और 500 के नोट बनाने का कागज, क्या इसके लिए भी लगता है कोई लाइसेंस

हर देश की अपनी करेंसी होती है. जिसकी सुरक्षा को लेकर उस देश के नियम बहुत सख्त होते हैं. लेकिन क्या भारतीय करेंसी में इस्तेमाल होने वाले कागज को कोई भी आम आदमी खरीद सकता है ? जानिए क्या कहता है नियम..

दुनिया में सभी देशों की अपनी-अपनी करेंसी होती है. इन करेंसी को लेकर हर देश के अपने सख्त नियम कानून होते हैं. लेकिन कई बार आपने सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर सुना होगा कि क्या हर कोई नोट नहीं छाप सकता है? इसका जवाब है नहीं. क्योंकि किसी भी देश का नोट छापना कानूनी रूप से गलत है और इसको धोखाधड़ी माना जाता है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि नोट जिन स्पेशल पेपर से बनते हैं, उन्हें कौन खरीद सकता है.

भारतीय करेंसी 

बता दें कि भारत में आज 1 रुपये से 2000 रुपये तक के नोट मार्केट में मौजूद है. आप ध्यान से देंखे तो इन सभी नोटो के कागज अलग-अलग होते हैं. हालांकि पहले भारतीय करेंसी भी बाहर से छपकर आती थी, लेकिन अब भारतीय करेंसी भारत में ही छपती है. जानकारी के मुताबिक जब भारतीय करेंसी भारत में छपना शुरू हुई थी, उस वक्त इसका कागज भी बाहर से आता था. लेकिन अब कुछ करेंसी के कागज और मेकिंग दोनों मेक इन इंडिया है.

 क्या कोई भी खरीद सकता नोट के कागज

बता दें कि भारतीय करेंसी को छापने और नोट बनाने के लिए केंद्र सरकार आदेश और लाइसेंस जारी करती है. बिना सरकारी आदेश और लाइसेंस के कोई भी व्यक्ति एक भी नोट छाप नहीं सकता है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है, तो उसे जाली नोट कहते हैं और इसके लिए संविधान में सजा का प्रावधान है. नोट जिन कागजों से बनता है, उसे भी कंपनी किसी और व्यक्ति को नहीं बेच सकती है. क्योंकि सरकार जब किसी कंपनी से नोट के कागज खरीदती है, तो एंग्रीमेंट साइन होता है. जिसमें कागज के अलावा भी बहुत सारे नियमों के बारे में विस्तार से लिखा होता है.    

भारतीय प्रिंटिंग प्रेस 

बता दें कि भारत में कुल चार प्रिंटिंग प्रेस हैं. यह देवास, नासिक, सलबोनी और मैसूर में मौजूद हैं. इनमें से दो प्रिंटिंग प्रेस भारतीय सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आती हैं. वहीं दो प्रिंटिंग प्रेस रिजर्व बैंक आफ इंडिया यानी आरबीआई के अधीन आती है. देवास और नासिक में जो प्रिंटिंग प्रेस हैं. वह भारतीय सरकार के अधीन और सलबोनी और मैसूर की प्रिंटिंग प्रेस भारतीय रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी कंपनी रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अधीन है. वहीं नोट छापने के लिए इस्तेमाल होने वाली स्याही मध्य प्रदेश के देवास में बनाई जाती है. इसके अलावा नोट पर जो गहरी स्याही की छपाई होती है. उसे स्विट्जरलैंड की कंपनी एसआईसीपीए द्वारा बनाया जाता है. जो कि सिक्किम राज्य में मौजूद है. 

कहां से आता है कागज

इंडियन करेंसी में इस्तेमाल होने वाला कागज विदेशों से आयात किया जाता है. जिनमें मुख्य तौर पर यूनाइटेड किंगडम, जापान और जर्मनी जैसे देश शामिल हैं. इस मामले में आरबीआई से द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक करीब 80% नोटों को छापने के लिए कागज विदेश से मंगाया जाता है. तो वहीं 20% कागज भारत में ही बनता है. भारत में कागज बनाने की इकलौती पेपर मिल मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में है. जहां स्टांप पेपर और नोटों का कागज बनाया जाता है.

 

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