जब अमेरिका ने वाजपेयी को दिया था कश्मीर पर बातचीत का ऑफर, पूर्व पीएम ने दिया था ये जवाब
India Pakistan News: पाकिस्तान भारत की पीठ पर छुरा घोंपने में माहिर है. 1999 में कारगिल वॉर के दौरान भी उसने यही किया था. तब अटल बिहारी वाजपेयी ने पड़ोसी को करारा जवाब दिया था.

1947 में जब भारत और पाकिस्तान दो अलग देश बने तो भारत ने भले ही भारी मन से पड़ोसी आस्तित्व को स्वीकार कर लिया और एक जिम्मेदार पड़ोसी की भूमिका निभाई. पर पाकिस्तान हमेशा से धोखेबाज ही रहा है. उसने हमेशा भारत की पीठ में छुरा घोंपा है. 1947 युद्ध, 1965 का युद्ध, 1971 का युद्ध और फिर लाहौर समझौते के बाद साल 1999 में कारगिल, पाकिस्तान ने हमेशा से अपनी हरकतों से यह साबित कर दिया है कि वो आतंक का पनाहगार कल भी था, आज भी है और आगे भी रहेगा. भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद युद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो गए थे, लेकिन भारत ने भी दुश्मन को करारा जवाब देते हुए दुनिया को दिखा दिया कि अब हम हथियारों के लिए सिर्फ विदेशों पर निर्भर नहीं हैं. बल्कि हमारे देश में भी विदेशी हथियारों को चैलेंज देने वाले वेपन्स हैं.
भारत से हर बार मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान भूल जाता है और एक बार फिर कायराना हरकत कर बैठता है. इसी तरह जब कारगिल युद्ध में भारत से खुद को हारता देखकर गिड़गिड़ाते हुए अमेरिका के कदमों में जा गिरा था और गुहार लगाने लगा था कि भारत से कह दो कि सेनाएं पीछे हट जाएं. इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जो जवाब दिया था, वह जानने लायक है.
जब अमेरिका के पास गिड़गिड़ाते हुए पहुंचा पाक
1999 में पाकिस्तानकी सेना और आतंकियों ने कारगिल में घुसपैठ कर दी थी. जब अटल बिहारी वाजपेयी को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने कहा कि हम एलओसी का उल्लंघन नहीं करेंगे, लेकिन पाकिस्तान की हरकत का जवाब जरूर देंगे. अब भारतीय सेना का जज्बा देखकर पाकिस्तान की हालत खराब होने लगी थी. उनके प्रधानमंत्री नवाज शरीफ गिड़ागिड़ाते हुए अमेरिका के पास पहुंचकर बोले कि भारत पर दबाव बनाए कि वो युद्ध रोके. अगर युद्ध नहीं रुका तो पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला भी कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अपनी आत्मकथा My Life में इस बात का जिक्र किया था कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी को इस बात की खबर मिली थी पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियार को तैयार रखा था.
कल का सूरज नहीं देख पाएगा पाकिस्तान
भारत ने एलओसी की नैतिकता को बनाए रखा, लेकिन जब पाक ने अमेरिकी राष्ट्रपति के जरिए भारत पर दबाव बनाने के कोशिश की को अटल बिहारी वाजपेयी ने क्लिंटन के नाम एक गोपनीय पत्र भेजा था. जब क्लिंटन जिनेवा में थे, तब उनको यह पत्र मिला. इस पत्र ने भारत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि अगर पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाया तो भारत उनको खदेड़ेगा, यह भी संभव है कि पाकिस्तान कल का सूरज न देख पाए. भारत की ओर से ऐसी प्रतिक्रिया इसलिए दी गई थी कि पाकिस्तान परमाणु हमले की धमकी दे रहा था. भारत की प्रतिक्रिया देखकर अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी अनहोनी को रोकने के लिए पाकिस्तान को कहा कि वो तुरंत घुसपैठ रोके और एलओसी से तुरंत हटे. पाकिस्तान का झूठ तुरंत साफ हो गया था और भारत को वैश्विक समर्थन मिला था.
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Source: IOCL
























