मिसाइल अटैक होने के कितनी देर पहले बजता है सायरन? बचने का इतना मिलता है वक्त
Siren Alert Sound Before Missile Attack: भारत पाक युद्ध की स्थितियों के बीच बीते दिन देश में मॉकड्रिल और एयर रेड वॉर्निंग सायरन बजाया गया था. आइए जानें कि अटैक होने के कितनी देर पहले सायरन बजता है.

पहलगाम हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ चुका है. भारत उसके मासूम नागरिकों को मारने का बदला पाक से चुन-चुन कर ले रहा है. इसी के लिए बीते मंगलवार देर रात भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर आतंक के नौ ठिकानों का खात्मा कर दिया. भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते हुए युद्ध के हालातों के बीच कल देश में मॉकड्रिल और ब्लैकआउट किया गया था. इस दौरान एयर रेड वॉर्निंग सायरन भी बजाया गया, जिसका उद्देश्य नागरिकों को यह सिखाना था कि हवाई हमले जैसी स्थिति में लोग अपनी जान किस तरीके से बचाएं. तो चलिए जानें कि आखिर मिसाइल अटैक से कितनी देर पहले सायरन बजता है और लोगों को बचने का कितना वक्त मिलता है.
कितनी देर पहले बजता है सायरन
एयर रेड सायरन एक खास तरीके का साउंड होता है. यह उस परिस्थिति में बजाया जाता है जब कोई खतरा बहुत करीब होता है. इन खतरों में हवाई हमला और मिसाइल अटैक शामिल होता है. हालांकि कई बार प्राकृतिक आपदा की स्थिति में भी इस सायरन को बजाया जाता है. आमतौर पर यह सायरन 60 सेकेंड तक बजता है. इस सायरन के बजने का मतलब होता है कि लोगों को किसी सुरक्षित स्थान पर जाने की जरूरत है. आज भी हवाई अड्डों पर और एयर फोर्स के पास एयर रेड सायरन मौजूद है.
कैसे काम करता है सायरन
जब कभी भी दुश्मन की ओर से हमारे देश की वायु सीमा में अगर कोई भी रॉकेट, फाइटर जेट या फिर मिसाइल एंट्री करती है तो वायु सेना का रडार उसे तुरंत कैप्चर कर लेता है और इससे दुश्मन के बारे में जानकारी मिलती है. दुश्मन देश के द्वारा दागी गई मिसाइल और इसकी रफ्तार की दिशा को देखते हुए हमले के संभावित इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर देता है. इससे हमले की संभावित जगहों पर कुछ वक्त पहले ही सायरन बजता है और लोगों को एक मिनट में छिपने का समय मिल जाता है.
कौन सी तकनीक का होता है इस्तेमाल
दुनिया भर के देशों में ऐसा खतरा महसूस होने पर सायरन बजाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी, इलेक्ट्रिक और एयर तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. बहुत सारे देश हवा वाले सायरन का भी इस्तेमाल करते हैं. जिसमें से घूमती हुई डिस्क में मौजूद छेद हवा को रोकते हैं और रिलीज करते हैं, जिससे ध्वनि निकलती है. कुछ देश बिजली से चलने वाले सायरन भी इस्तेमाल करते हैं. आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक सायरन का इस्तेमाल हो रहा है, जो कि डिजिटल तरीके से बजते हैं. इनमें स्पीकर लगे होते हैं.
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