15 अगस्त 1947 के दिन हिंदुस्तानियों पर पैर रखकर चली थी माउंटबेटन की बेटी, हैरान कर देगा यह किस्सा
Independence Day 2025: 15 अगस्त 1947 को आजादी के उत्सव में शामिल होने के लिए भारी भीड़ इंडिया गेट के सामने आई थी. इस भीड़ में वायसराय की बेटी पामेला माउंटबेटन फंस गईं. फिर जो हुआ हैरान कर देगा किस्सा.

हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी. यही वह ऐतिहासिक दिन था जब भारत को अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी और पूरे देश में तिरंगा गर्व के साथ लहराया. 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के जश्न के बीच दिल्ली के इंडिया गेट पर एक ऐतिहासिक समारोह आयोजित हुआ, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए. इस दौरान एक रोचक और हैरान करने वाला किस्सा लॉर्ड माउंटबेटन की 17 वर्षीय बेटी पामेला माउंटबेटन के साथ जुड़ा है. आइये जानते हैं.
भीड़ में फंस गईं माउंटबेटन की बेटी
इतिहासकार डोमिनिक लापियर और लैरी कॉलिन्स की किताब 'फ्रीडम ऐट मिडनाइट' के अनुसार, इंडिया गेट के पास खुले मैदान में शाम 5 बजे ध्वजारोहण समारोह होने वाला था. माउंटबेटन और उनके सलाहकारों ने अनुमान लगाया था कि करीब 30,000 लोग आएंगे, लेकिन उस दिन 5 लाख से ज्यादा लोग आजादी का गवाह बनने पहुंचे. इस अपार भीड़ में पामेला माउंटबेटन भी शामिल थीं, जो अपने पिता के दो कर्मचारियों के साथ समारोह में पहुंची थीं. भीड़ इतनी ज्यादा थी कि पामेला को मंच तक पहुंचना मुश्किल हो गया. मंच से करीब सौ गज पहले लोगों की भारी भीड़ में वो फंस गईं. उनके लिए पांव जमाकर खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा था.
जवाहरलाल नेहरू ने कही ऐसी बात
तभी जवाहरलाल नेहरू ने भीड़ में फंसी पामेला को देखा और चीखकर कहा, 'लोगों के ऊपर से फांदकर मंच पर आ जाओ.' पामेला ने जवाब दिया कि उन्होंने ऊंची एड़ी की सैंडल पहनी है, जिससे यह संभव नहीं. नेहरू ने कहा, 'सैंडल उतार लो.' पामेला को लगा कि सैंडल उतारना अभद्र होगा, लेकिन नेहरू ने जोर देकर कहा, 'नादान बच्चों जैसी बातें मत करो, सैंडल उतारकर लोगों के ऊपर पैर रखकर चली आओ.'
लोगों के ऊपर पैर रख मंच पर पहुंचीं पामेला
आखिरकार, नेहरू के आग्रह पर पामेला ने सैंडल उतारी और भीड़ में बैठे लोगों के कंधों और सिरों पर पैर रखते हुए मंच की ओर बढ़ीं. इस दौरान लोग नाराज होने के बजाय हंस रहे थे और उनकी मदद कर रहे थे. यह दृश्य उस दिन की भावना को दर्शाता है आजादी के जश्न में एकजुटता और उत्साह, जहां लोग खुशी-खुशी पामेला को मंच तक पहुंचाने में सहयोग कर रहे थे.
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