NATO के मुकाबले कितना मजबूत है SCO संगठन, जानिए दोनों की मिलिट्री पॉवर
नाटो एक सैन्य गठबंधन है जिसका काम है सामूहिक सुरक्षा करना. सैन्य शक्ति के मामले में NATO, SCO से कहीं अधिक मजबूत है खासकर इसकी सामूहिक रक्षा नीति और तकनीकी दक्षता के कारण.

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानि NATO और शंघाई सहयोग संगठन यानि SCO दोनों संगठन वैश्विक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन चलिए उनकी संरचना, उद्देश्य और सैन्य क्षमता के बारे मे जानते है और ये भी जानते हैं कि दोनों में से कौन ज्यादा ताकतवर है.
कब और कैसे बना NATO
नाटो की स्थापना 1949 में हुई थी और यह 30 देशों का सैन्य गठबंधन है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है. नाटो का मुख्य उद्देश्य सामूहिक रक्षा है जिसके तहत अनुच्छेद 5 के अनुसार किसी एक सदस्य पर हमला सभी पर हमला माना जाता है. नाटो के पास अपनी कोई स्थायी सेना नहीं है, लेकिन इसके सदस्य देशों की संयुक्त सैन्य शक्ति दुनिया के रक्षा खर्च का लगभग 70% है. जिसमें से अकेले अमेरिका का योगदान आधा है. नाटो इतना शक्तिशाली है कि पहले यह शांतिपूर्ण तरीके से विवादों को हल करने की कोशिश करता है लेकिन अगर देश नहीं मानें तो वह सैन्य शक्ति का भी इस्तेमाल करता है.
नाटो की सैन्य ताकत
2023 के आंकड़ों के अनुसार, नाटो देशों के पास लगभग 33 लाख सक्रिय सैनिक, 7 लाख 38 हजार 700 पैरामिलिट्री जवान है. हथियारों की बात करें तो नाटो के पास 20 हजार 723 एयरक्राफ्ट हैं. ग्राउंड अटैक एयरक्राफ्ट नाटो के पास 1048 है, टैंकर एयरक्राफ्ट 678 हैं. नाटो के पास हेलीकॉप्टरों की संख्या 8585 है. अमेरिका की उन्नत तकनीक जैसे F-35 लड़ाकू विमान और परमाणु हथियारों की मौजूदगी नाटो को सैन्य दृष्टिकोण से अत्यंत शक्तिशाली बनाती है. इसके अलावा, नाटो की नौसेना और साइबर युद्ध क्षमता भी बेजोड़ है.
SCO का परिचय
दूसरी ओर शंघाई सहयोग संगठन यानि SCO की स्थापना 2001 में हुई थी और इसमें वर्तमान में 10 सदस्य देश हैं जिनमें चीन, रूस, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस, ईरान और पाकिस्तान प्रमुख हैं. इसका फोकस क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और आर्थिक भागीदारी पर है. SCO दुनिया की 40% आबादी और 30% वैश्विक GDP को कवर करता है.
SCO की सैन्य क्षमता
सैन्य शक्ति की बात करें तो SCO के पास रूस और चीन जैसे परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं. रूस के पास दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हथियार भंडार है, जबकि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी अपनी मिसाइल तकनीक और साइबर युद्ध क्षमता के लिए जानी जाती है. हालांकि, इसके अलावा नाटो की तरह से एससीओ देशों के बीच कोई 'सामूहिक सुरक्षा संधि' नहीं है. इसका सैन्य सहयोग ज्यादातर संयुक्त अभ्यासों तक सीमित है. भारत और पाकिस्तान जैसे सदस्य देशों के बीच तनाव भी SCO की एकजुटता को प्रभावित करता है.
दोनों मे कौन ताकतवर
नाटो की ताकत इसकी एकजुटता, उन्नत तकनीक और अमेरिका की सैन्य शक्ति में निहित है. जबकि SCO की ताकत इसकी विशाल जनसंख्या और रूस-चीन की परमाणु क्षमता में है. लेकिन SCO सदस्य देशों के बीच मतभेद इसे नाटो की तुलना में कम प्रभावी बनाते हैं. नाटो का रक्षा बजट और तकनीकी इसे वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावशाली बनाती है, जबकि SCO क्षेत्रीय प्रभाव तक सीमित है.
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Source: IOCL
























