India VS US Salary System: भारत में वेतन आयोग तो अमेरिका में कैसे बढ़ती है सरकारी कर्मचारियों की सैलरी? जानें यहां का नियम
India VS US Salary System: भारत में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने में वेतन आयोग भूमिका निभाता है. लेकिन आज हम जानेंगे कि अमेरिका में कैसे बढ़ती है सैलरी.

India VS Us Salary System: भारत और अमेरिका में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने के तरीके काफी अलग है. भारत में वेतन आयोग पर निर्भरता है, जबकि अमेरिका में पर्सनल मैनेजमेंट ऑफिस और संघीय कानून सैलरी, महंगाई भत्ते और जॉब ग्रेड को संभालते हैं.
भारत में वेतन आयोग
भारत में केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशन भोगियों की सैलरी वेतन आयोग तय करता है. यह आयोग कुछ सालों में गठित होता है. इसकी भूमिका मौजूदा सैलरी, भत्तों और पेंशन की समीक्षा करना है और साथ ही नई सैलरी के स्ट्रक्चर को भी बनाना है.
आपको बता दें कि वेतन आयोग फिटमेंट फैक्टर का इस्तेमाल करता है. यह एक मल्टीप्लायर होता है. यह मल्टीप्लायर मौजूदा वेतन संरचना और प्रस्तावित वेतन बढ़ोतरी के बीच के अंतर को मापता है. उदाहरण के लिए सातवें वेतन आयोग द्वारा फिटमेंट फैक्टर को 2.57 रखा गया था. अभी मान लीजिए किसी कर्मचारी का वर्तमान वेतन 10 हजार है और फिटमेंट फैक्टर 2.57 है. तो नहीं बेसिक सैलरी 10 हजार × 2.57= 25700 हो जाएगी.
इसका सीधा सा मतलब है कि भारत में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में तभी बढ़ोतरी होती है जब नया वेतन आयोग गठित होता है. ऐसा हर 10 साल में किया जाता है.
अमेरिका में सैलरी कैसे बढ़ती है?
भारत के ठीक विपरीत अमेरिका में कमीशन आधारित सिस्टम नहीं है. अमेरिका में सरकारी सैलरी पर्सनल मैनेजमेंट ऑफिस के साथ-साथ संघीय कानून और विभागीय नियमों के जरिए ही कंट्रोल की जाती है. अमेरिका में कर्मचारियों को अलग-अलग ग्रेड और लेवल में बांटा गया है. यहां सैलरी उनके काम, स्किल, अनुभव और सरकारी ग्रेड पर निर्भर करती है.
संघीय कानून और नियम
गैर लेबर स्टैंडर्ड एक्ट न्यूनतम वेतन और ओवरटाइम के नियम को तय करता है. लेबर डिपार्मेंट ओवरटाइम छठ के लिए सैलरी की सीमा को बढ़ाने वाले नियमों को जारी करता है. इसी के साथ राष्ट्रपति भी सैलरी पर असर डालते हैं. जैसे विडेन प्रशासन ने सरकारी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी की न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर $15 प्रति घंटा कर दिया था. इसमें महंगाई के हिसाब से एडजस्टमेंट भी शामिल था.
भारत और अमेरिका में मुख्य अंतर
भारत में सैलरी में बढ़ोतरी वेतन आयोग द्वारा की जाती है और यह लंबे अंतराल पर होती है. लेकिन अमेरिका में इन्फ्लेशन से जुड़े वेतन वृद्धि, संघीय नियम और परफॉर्मेंस रिव्यू के जरिए ही सैलरी में बदलाव आते हैं.
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Source: IOCL






















