Sun Impact on Earth: सूरज की कितनी गर्मी पृथ्वी तक पहुंचती है, अगर पूरी एनर्जी यहां आ जाए तो क्या होगा?
Sun Impact On Earth: आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सूरज की ऊर्जा का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा ही पृथ्वी तक पहुंचता है. लेकिन क्या हो अगर सूरज की पूरी एनर्जी पृथ्वी तक आ जाए? आइए जानते हैं.

Sun Impact On Earth: सूरज पृथ्वी के सबसे निकट का तारा है. इसी के साथ यह पृथ्वी पर जीवन को ऊर्जा भी प्रदान करता है. लेकिन यह हैरानी की बात है कि इसकी पूरी ऊर्जा का मात्र एक छोटा सा हिस्सा ही पृथ्वी पर पहुंचता है. इस छोटे से अंश को सोलर कांस्टेंट कहा जाता है. यह लगभग 1361 वॉट प्रति वर्ग मीटर पृथ्वी के वायुमंडल तक पहुंचता है. आपको यह संख्या काफी बड़ी लग सकती है लेकिन सूरज की कुल ऊर्जा उत्पादन के पैमाने पर यह बहुत ही कम है. आइए जानते हैं कि सूरज की इस ऊर्जा का संतुलन क्यों जरूरी है और अगर सूरज की पूरी ऊर्जा पृथ्वी पर आ गई तो क्या हो सकता है.
पृथ्वी तक कैसे आती है सौर ऊर्जा?
सूरज की ऊर्जा प्रकाश की गति से अंतरिक्ष की एक बड़ी खाली जगह से होकर यात्रा करती है. यह ऊर्जा सूर्य और पृथ्वी के बीच 93 मिलियन मील की दूरी को तय करती है. आपको बता दें कि यह दूरी हमारे पृथ्वी ग्रह से चंद्रमा की दूरी से लगभग 400 गुना ज्यादा है. यहां खास बात यह है कि सूर्य पृथ्वी से लगभग 100 गुना बड़ा है, लेकिन इसके बावजूद भी इसकी ऊर्जा का मात्र एक छोटा सा हिस्सा ही हमारे ग्रह तक पहुंच पाता है.
यह ऊर्जा पृथ्वी पर दृश्य प्रकाश, अवरक्त किरणें और पराबैंगनी किरणों के रूप में आती है. जब यह ऊर्जा पृथ्वी पर पहुंचती है तो इसको 51% भूमि, महासागर और वायुमंडल अपने अंदर समा लेता है. जिस वजह से मौसम प्रणाली, पौधों में वृद्धि और ग्रह गर्म होता है. इस ऊर्जा का लगभग 30% बादल, बर्फ और पृथ्वी की सतह के द्वारा अंतरिक्ष में रिफ्लेक्ट कर दिया जाता है. बाकी बची ऊर्जा पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन को बनाए रखने में सहायता करती है.
अगर सूरज की सारी ऊर्जा पृथ्वी पर पहुंच जाए तो क्या होगा?
सभी के मन में यह सवाल जरूर उठना है कि क्या हो अगर सूरज की सारी ऊर्जा पृथ्वी पर बिना किसी रिफ्लेक्शन या वायुमंडल द्वारा अवशोषण के सीधे पहुंच जाए. आपको बता दें कि इसका परिणाम काफी विनाशकारी होगा. पृथ्वी पर जब सूरज की सारी ऊर्जा पहुंचेगी तो इस ग्रह का तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाएगा. इसी के साथ महासागर उबलने लगेगा और वायुमंडल में काफी ज्यादा नमी हो जाएगी.
इतना ही नहीं बल्कि इससे भी भयानक यह होगा कि पृथ्वी का वायुमंडल ही अंतरिक्ष में वाष्पित होने लगेगा. ऐसा होने पर सभी जीवन समाप्त हो जाएंगे और साथ ही पृथ्वी का ऑर्बिट भी अस्थिर हो सकता है.
पृथ्वी की सूर्य से दूरी का महत्व
आपको बता दें कि पृथ्वी सूरज से बिल्कुल सही दूरी पर स्थित है. इस दूरी को गोल्डीलॉक्स जोन कहा जाता है. इसका मतलब होता है ना तो बहुत पास, ना ही बहुत दूर, जीवन के लिए बिल्कुल सही. सूरज की सतह का तापमान 10, 000 डिग्री फारेनहाइट होता है, किसी के साथ इसके केंद्र का तापमान 27 मिलियन डिग्री फारेनहाइट होता है. यानी कि इस बात को समझा जा सकता है कि अगर पृथ्वी सूर्य के और भी करीब होती तो इस बहुत ज्यादा तापमान की वजह से यहां जीवन संभव ही नहीं होता.
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Source: IOCL





















