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किसी उम्मीदवार को कैसे मिलता है पार्टी का टिकट, क्या इसकी कोई स्लिप मिलती है?

चुनाव के समय सबसे ज्यादा चर्चा टिकट का होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टिकट क्या होता है और उम्मीदवार उस टिकट का क्या करता है. जानिए कहां पर इसका होता है इस्तेमाल.

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस लिया है. दिल्ली की प्रमुख पार्टियों में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस ने कई सीटों पर उम्मीदवार के नामों की घोषणा भी कर चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो पार्टी उम्मीदवार को टिकट देती है, आखिर वो टिकट कैसा होता है और उसमें क्या लिखा होता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. 

पार्टी टिकट

देश में लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव से पहले जो शब्द सबसे ज्यादा सुना जाता है, वो होता है टिकट. हर जगह सिर्फ ये बात होती है कि पार्टी किसको टिकट देगी और उम्मीदवार कहां से चुनाव लड़ेगा. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि आखिर टिकट क्या होता है और पार्टी इसको किस तरीके से उम्मीदवार को देती है.

क्या होता है टिकट ?

बता दें कि जब भी कोई पार्टी चुनाव लड़ता है, तो पार्टी की ओर से टिकट दी जाती है. आसान भाषा में इसका मतलब होता है कि कोई राजनीतिक पार्टी उस क्षेत्र में अपना प्रतिनिधि को चुन रही है और चुनाव लड़ने की इजाजत दे रही है। टिकट मिलने से उम्मीदवार पार्टी के चुनाव चिह्न के साथ चुनाव लड़ पाता है, इस प्रोसेस को ही टिकट मिलना कहते हैं। 

क्या सही में होता है कोई टिकट

अब सवाल ये है कि पार्टी अपने उम्मीदवार को जो टिकट देती है, वो सभी में टिकट जैसा होता है? भारतीय रेलवे का टिकट होता है या कुछ और पैटर्न में होता है?  बता दें कोई टिकट नहीं होता है, लेकिन एक फॉर्म होता है। इस फॉर्म को चुनाव आयोग को सब्मिट करना होता है. बता दें कि जब भी कोई उम्मीदवार किसी पार्टी चिह्न पर चुनाव लड़ता है, तो पार्टी उसकी जानकारी चुनाव आयोग को देती है।  जिसके आधार पर ही उस उम्मीदवार को सिंबल अलॉट किया जाता है. इतना ही नहीं कई बार पार्टी के आधिकारिक लेटर हेड पर भी ये जानकारी देती है कि किस उम्मीदवार को किस क्षेत्र में सिंबल अलॉट के लिए चुना गया है. 

चुनाव आयोग में जमा होता है टिकट?  

बता दें कि पार्टी उम्मीदवार को जो टिकट देती है, वो फॉर्म बी होता है. फॉर्म बी में कोई भी पार्टी चुनावों में जिसे उम्मीदवार बनाती है, उसका नाम और एक वैकल्पिक उम्मीदवार का नाम पता लिखा जाता है. उसके नीचे पार्टी के अध्यक्ष के हस्ताक्षर होते हैं, यही पार्टी का टिकट होता है. फॉर्म बी के साथ फॉर्म ए भी होता है, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेशाध्यक्ष को उम्मीदवार नामांकित करने के लिए अधिकृत करता है। बता दें कि फॉर्म बी के साथ फॉर्म ए को भी नामांकन भरते समय रिटर्निंग ऑफिसर को जमा करवाना होता है।

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