बिना अदालत कैसे तलाक लेते हैं मुस्लिम, किन नियमों का करना पड़ता है पालन?
इस्लाम में पति और पत्नी दोनों के तलाक के अधिकार मिले हुए हैं, लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं. अगर सामान्य तलाकों की बात करें तो इस्लाम में अलग-अलग तरह के तलाकों की बात कही गई है

भारत में ज्यादातर लोग इस्लामी तौर-तरीकों और परंपराओं के बारे में ज्यादा से ज्यादा बातें जानने के इच्छुक रहते हैं. इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्प है इस्लाम में निकाह और तलाक के तरीके. तलाक का एक तरीका था तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत, जिस पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है और इसको लेकर कानून भी है. यानी अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है तो इसके खिलाफ अदालत का रुख किया जा सकता है.
भारत में हिंदू और मुस्लिम तलाक अलग-अलग होते हैं. हिंदू समुदाय के लोगों को तलाक लेने के लिए अदालत का रुख करना पड़ता है, लेकिन मुस्लिमों में तीन तलाक खत्म होने के बाद भी कुछ तलाक ऐसे हैं जो बिना अदालत जाए मान्य होते हैं, लेकिन इनके भी कुछ नियम हैं. चलिए जानते हैं इन नियमों के बारे में...
इस्लाम में इतने तरह के होते हैं तलाक
इस्लाम में पति और पत्नी दोनों के तलाक के अधिकार मिले हुए हैं, लेकिन इसके भी कुछ नियम हैं. अगर सामान्य तलाकों की बात करें तो इस्लाम में अलग-अलग तरह के तलाकों की बात कही गई है. इसमें तलाक-ए-हसन, तलाक-ए-अहसन तलाक-ए-किनाया, तलाक-ए-बाइन और तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) शामिल हैं. भारत में तीन तलाक को अमान्य कर दिया गया है. हालांकि, शरिया लॉ के तहत अभी भी कुछ तरह के तलाक मान्य हैं, जो बिना अदालत जाए लिए जा सकते हैं.
तलाक-ए-हसन: इस तलाक के तहत पति अपनी पत्नी को 3 महीने में तलाक देता है. यानी पति तीन महीने में हर एक महीने के अंतराल में एक बार तलाक बोलता है. तलाक-ए-हसन की शर्त यह है कि पहली बार तलाक तब बोला जाता है, जब पत्नी का मासिक धर्म नहीं चल रहा हो. दूसरी बार तलाक बोलने के बाद दोनों के बीच सुलह कराने की कोशिश की जाती है. अगर पति तीसरे महीने में भी तलाक बोल देता है तो इसे वैध मान लिया जाता है और पति-पत्नी अलग हो सकते हैं. हालांकि, इन तीन महीनों में पति-पत्नी ने संबंध बना लिए तो उनका तलाक नहीं हो सकता है.
तलाक-ए-अहसन: इसमें पति अपनी पत्नी से सिर्फ एक बार ही तलाक बोलता है. इसके बाद दोनों अगले तीन महीने तक एक साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं. अगर इन तीन महीने की अवधि में पति-पत्नी एक बार भी संबंध नहीं बनाते हैं तो तलाक मान्य हो जाता है. अगर पति तलाक वापस लेना चाहता है तो तीन महीने की अवधि में वापस ले सकता है.
तलाक-ए-किनाया: तलाक-ए-किनाया में तलाक बोलकर, लिखकर या वाट्सएप मैसेज के जरिए भी दिया जा सकती है. इसके अलावा काजी की मौजूदगी में एक बैठक में पति पत्नी को तलाक दे सकता है.
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