Roya Karimi: अफगानिस्तान की 'बालिका वधू' यूरोप में कैसे बनी बॉडीबिल्डिंग चैंपियन? पढ़ें पूरा सफरनामा
Roya Karimi: अफगानिस्तान जैसे पितृसत्तात्मक परंपराओं से घिरे हुए देश से एक महिला ने यूरोप में बॉडीबिल्डिंग में एक बड़ा नाम बनाया है. आइए जानते हैं उस महिला और उनके पूरे सफर के बारे में.

Roya Karimi: एक ऐसा देश जहां महिलाओं को बुनियादी आजादी से वंचित रखा जाता है वहां से किसी महिला का बॉडीबिल्डिंग में चैंपियन बनना काफी असाधारण है. हम बात कर रहे हैं अफगानिस्तान की रोया करीमी की. रोया करीमी की शादी 14 साल की उम्र में हो गई थी और 15 साल की उम्र में मां भी बन गई थी. वे अब यूरोप में बॉडीबिल्डिंग चैंपियन बन चुकी हैं और उन्होंने उस पूरी संस्कृति को एक बड़ी चुनौती दी है जिसने कभी उनकी आजादी को दबाने की कोशिश की थी. आइए जानते हैं कैसा था उनका सफर.
पितृसत्तात्मक परंपराओं के बीच पलना बढ़ना
अफगानिस्तान में महिलाओं का जीवन पितृसत्तात्मक परंपराओं से घिरा रहा है. 2021 में तालिबान की सत्ता में लौटने से पहले भी यहां पर महिलाओं के अधिकारों पर काफी कड़े प्रतिबंध थे, लेकिन तब से स्थिति और भी बदतर हो चुकी है. आज अफगान महिलाएं 12 साल की उम्र के बाद पढ़ाई नहीं कर सकती और उन्हें नौकरियों से भी दूर रखा जाता है. इसी के साथ महिलाओं को बिना पुरुष के यात्रा करने से भी मनाही है. इतना ही नहीं बल्कि महिलाओं को सार्वजनिक रूप से ऊंची आवाज में बात करने से भी मना किया जाता है. रोया का शुरुआती जीवन इन्हीं दबाव के इर्द-गिर्द रहा. किशोरावस्था में ही जबरदस्ती शादी के बंधन में बनने के बाद वे जल्द ही मां बन गई.
सब कुछ पीछे छोड़ने का फैसला
2011 में रोया करीमी ने एक साहसिक फैसला लिया. उन्होंने अफगानिस्तान, अपने पति और अपनी सारी जिंदगी को पीछे छोड़ने का कड़ा फैसला ले लिया. एक महिला के रूप में ऐसे पारंपरिक समाज से भागना काफी ज्यादा खतरनाक और जोखिम भरा था. लेकिन रोया करीमी को मालूम था कि वहां पर रहना, यानी कि खुद को हमेशा के लिए छोड़ देना है. अपने छोटे बेटे के साथ रोया करीमी नॉर्वे भाग गई. यूरोप में इस नई जिंदगी के साथ ताल मेल बैठना उनके लिए आसान नहीं था. सबसे पहले उन्होंने वहां की भाषा सीखी, नौकरी ढूंढी और अपने बच्चों को अकेले पाला.
नर्सिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने अपने जीवन को चलाने के लिए ओस्लो में एक नर्स के रूप में काम करना शुरू किया. शुरुआती साल काफी संघर्ष और अकेलेपन से भरे हुए थे लेकिन साथ ही छोटी-छोटी जीत ने उनका आत्मविश्वास फिर से जगाया.
बॉडीबिल्डिंग के प्रति जुनून की खोज
नॉर्वे में रोया करीमी की मुलाकात एक अफगान बॉडीबिल्डिंग कोच से हुई, जो बाद में उनके पति बने. बस उन्हीं के जरिए रोया करीमी को बॉडीबिल्डिंग का एक नया जुनून मिला. एक रूढ़िवादी अफगान परिवार में पली-बढ़ी महिला के लिए तेज रोशनी में स्पोर्ट्स वियर पहन कर मंच पर खड़ा होना अकल्पनीय था. कई सालों तक नर्स के रूप में काम करने के बाद उन्होंने 18 महीने पहले अपनी नौकरी छोड़ने और पेशेवर रूप से बॉडीबिल्डिंग करने का एक बड़ा फैसला लिया.
धमकियों का सामना
एक बार वधु से फिटनेस आइकॉन बनने तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था. खुले बालों, मेकअप और स्पोर्ट्स वियर के साथ उनका रूप रंग अफगानिस्तान के सत्य संस्कृत मानदंडों से मेल नहीं खाता था. उन्हें ऑनलाइन दुर्व्यवहार और जान से मारने की भी धमकी मिली हैं.
यूरोपीय बॉडीबिल्डिंग में टॉप पर पहुंचना
रोया करीमी की मेहनत जल्द ही रंग लाई. अप्रैल 2025 में उन्होंने नॉर्वे में स्टॉपरिएट ओपन बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता में वेलनेस श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता. इसके ठीक बाद नॉर्वे क्लासिक 2025 में भी उन्होंने जीत हासिल की. उनकी सफलता यही नहीं रुकी बल्कि उन्होंने यूरोपीय चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया और बार्सिलोना में होने वाली विश्व बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में जगह बनाई.
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Source: IOCL
























