ऑपरेशन सिंदूर से लेकर ऑपरेशन बंदर तक...दुश्मन की जमीन पर ये हैं INDIAN ARMY के सबसे खतरनाक मिशन
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंक के ठिकानों को निशाना बनाकर आतंकियों के कमर को तोड़ दी है. चलिए आपको बताते हैं कि भारत ने कब-कब दुश्मन के घर में घुसकर मारा है.

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 निर्दोष टूरिस्टों को निशाना बनाया था. भारत की तरफ से 7 मई को आतंकियों को इसका जवाब दिया गया, जिसमें तीनों भारतीय सेनाओं ने संयुक्त कार्रवाई कर पीओके और पाकिस्तान में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को मिसाइलों से ध्वस्त कर दिया. भारत सरकार की तरफ से इस पूरे ऑपरेशन को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए.
भारत के इस ऑपरेशन में मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर के परिवार के भी 10 लोग मारे गए. भारत की तरफ से दुश्मनों की जमीन पर यह पहला अभियान नहीं था. इससे पहले भी भारतीय सेना ने इस तरह के ऑपरेशन को दुश्मन की जमीन पर जाकर अंजाम दिया है. चलिए आपको उन ऑपरेशनों के बारे में बताते हैं, जिसमें भारतीय सेना ने दुश्मनों के घर में घुसकर उनको मारा है.
म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक
देश के पूर्वोत्तर राज्य अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं. हालांकि, यहां समय-समय पर उग्रवादी देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम देते रहते हैं. इन्हीं देशविरोधी गतिविधियों को खत्म करने के लिए भारतीय सेना ने साल 2015 में म्यांमार की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी. 4 जून 2015 को इस पूरे मिशन को गृह मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, एनएसए अजीत डोभाल, सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग और बाकी कई अन्य सीनियर अफसरों ने डिजाइन किया था. 7 जून को इस मिशन के लिए प्रधानमंत्री की तरफ से हरी झंडी दे दी गई. 8 और 9 की रात को इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना की तीन टीमों के जवान ध्रुव हेलीकॉप्टर से म्यांमार पहुंचे और सुबह-सुबह तीन बजे ऑपरेशन शुरू हुआ और करीब 8 घंटे में भारतीय सेना के जवानों ने इस पूरे ऑपरेशन को खत्म किया. इस पूरे ऑपरेशन को म्यांमार के पोन्यु इलाके में अंजाम दिया गया, जहां द नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड- खापलांग उग्रवादियों के कैंप बने हुए थे.
ऑपरेशन कैक्टस 1988
भारतीय सेना ने यह ऑपरेशन मालदीव की सरकार को बचाने के लिए किया था. साल 1988 में मालदीव की सरकार खतरे में घिर गई थी. मालदीव का एक विद्रोही समूह जिसका नेतृत्व अब्दुल्ला लुथुफी कर रहा था, उसने मालदीव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. इस विद्रोही संगठन को श्रीलंकाई तमिल अलगाववादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ तमिल एलम का समर्थन मिला हुआ था. मालदीव के राष्ट्रपति के अनुरोध के बाद भारत सरकार ने इस पूरे मामले में हस्तक्षेप किया और भारतीय सेना ने तख्तापलट की कोशिश को विफल कर दिया. मालदीव की सरकार को बचाने के लिए किए गए इस अभियान को ऑपरेशन कैक्टस नाम दिया गया.
ऑपरेशन बंदर
14 फरवरी 2019 का दिन भारत के लिए एक काला दिन था. हर साल इस दिन को ब्लैक डे के तौर पर मनाया जाता है. इसी दिन जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए एक आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. जैश-ए-मोहम्मद ने पुलवामा में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी. इसके बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर हवाई हमला किया था. भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसमें कई आतंकी मारे गए थे और कई आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया गया था. इस मिशन को ऑपरेशन बंदर नाम दिया गया था.
सर्जिकल स्ट्राइक
जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में 18 सितंबर 2016 को भारतीय सेना के कैंप पर आतंकियों ने हमला किया था, जिसमें 19 सैनिक शहीद हुए थे. 28 और 29 सितंबर को भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर आतंकियों को मारकर उरी का बदला लिया था. भारतीय सेना की स्पेशल फौज ने एलओसी पार कर 7 आतंकी लॉन्च पैड्स को तबाह कर दिया था, जिसमें कई आतंकी मारे गए थे. भारत की तरफ से बदले की इस कार्रवाई को सर्जिकल स्ट्राइक नाम दिया गया था.
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 22 अप्रैल को निर्दोष टूरिस्टों को अपना निशाना बनाया था, जवाब में 7 मई, बुधवार की रात भारतीय वायुसेना ने हैमर और स्केल्प मिसाइलों से हमला करके पाकिस्तान और पीओके में मौजूद 9 आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था, जिसमें सवाई कैंप, सैयदना बिलाल, गुलपुर, कोटली, बरनाला, महमूना जोया-सियालकोट, सरजल, मुरीदके, बहावलपुर शामिल हैं. इस ऑपरेशन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव देखने को मिला, जो 10 मई को सीजफायर के जरिए शांत हुआ.
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