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कल आया था 6.6 रिक्टर स्केल का भूकंप, जानिए कितने तेज भूकंप में बिल्डिंग गिरने लग जाती है?

Earthquake Richter Scale facts: मगंलवार को पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत भारत के उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता 6.6 रेक्टर स्केल बताई जा रही है.

अफगानिस्तान के हिंदुकुश में आए तेज तीव्रता वाले भूकंप से मंगलवार रात लोग दहशत में रहे. भूकंप के झटके अफगानिस्तान के साथ साथ पाकिस्तान और उत्तर भारत में महसूस किए गए. मंगलवार रात को लंबे समय तक महसूस किए गए झटकों के बाद लोगों में डर है. दरअसल, जब भी तेज भूकंप आता है तो लोगों के मन में सवाल आता है कि कहीं उनकी बिल्डिंग तो नहीं गिर जाएगी या उनके पास की कोई जर्जर इमारत तो नहीं गिर जाएगी. हो सकता है आपके मन में भी ये सवाल या डर रहता होगा. तो आज हम आपको ये बता देते हैं कि आखिर कितने रिक्टर स्केल का भूकंप आने पर बिल्डिंग के गिरने का डर रहता है. 

जैसे मंगलवार को 6.6 रिक्टर स्केल का भूकंप आया था, तो जानते हैं इतनी तीव्रता का भूकंप कितना खतरनाक होता है और उससे कितना नुकसान हो सकता है. साथ ही जानते हैं कि भारत में कितनी रिक्टर स्केल का भूकंप तबाही मचा सकता है. जानते हैं रिक्टर स्केल और इससे पड़ने वाले प्रभाव से जुड़ी हर एक बात...

क्या होता है रिक्टर स्केल?

भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्‍टर पैमाने का इस्‍तेमाल किया जाता है. जब भूकंप की तीव्रता मापी जाती है तो उसमें देखा जाा है कि भूकंप कितना आया और कितनी जोर से आया, जिसके लिए मैग्नीट्यूड और इंटेंसिटी का सहारा लिया जाता है. दरअसल, जब धरती कांपती है तो तरंगों के रुप में एनर्जी निकलती है और उन तरंगों से सीज्मोग्राफ के जरिए भूकंप की तीव्रता का अंदाजा लगाया जाता है. इससे भूकंप आने के बाद उसके केंद्र आदि के बारे में पता चल जाता है. अब मैग्नीट्यूड के आधार पर भूकंप मापा जाता है.

कितने तेज भूकंप पर बिल्डिंग गिरने लग जाती है?

वैसे तो किसी भी बिल्डिंग का गिरना भूकंप के साथ कई चीजों पर निर्भर करता है, जिसमें बिल्डिंग की बनावट भी अहम भूमिका निभाती है. इसके अलावा भूकंप का केंद्र, भूकंप का एपीसेंटर और तीव्रता भी इसमें अहम भूमिका निभाती है. सामान्य तौर पर देखें तो 8 मैग्नीट्यूड से ज्यादा के भूकंप में बिल्डिंग के गिरने का खतरा रहता है, लेकिन केंद्र से ज्यादा दूरी ना होने पर इससे कम तीव्रता वाले भूकंप में भी जान-माल का नुकसान हो जाता है. 

रिपोर्ट्स के अनुसार, 2.5 और इससे कम तीव्रता वाले भूकंप को खतरनाक नहीं माना जाता है और इससे कोई भी नुकसान होने की डर नहीं रहता है. इसके बाद 2.5 से 5.4 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है और इसमें भी कुछ स्थितियों को छोड़कर नुकसान होने की संभावना काफी कम रहती है. इसके बाद 5.5 से 6 तीव्रता वाले भूकंप को हल्का खतरनाक भूकंप माना जाता है और इससे कुछ नुकसान हो सकता है. 

अगर 6 से 7 तीव्रता का भूकंप आता है तो ज्यादा जनसंख्या वाले क्षेत्र में थोड़ा डैमेज हो सकता है. इसके बाद 7 से 7.09 के भूकंप में कई जगह नुकसान हो जाता है और कई बिल्डिंगों में दरार या उनके गिरने की खबरें आती हैं. अगर उससे ज्यादा भूकंप आता है तो इससे काफी नुकसान होता है और ऐसे भूकंप कई सालों में एक बार आते हैं. 

बता दें कि आजतक सबसे तेज भूकंप साल 1916 में चीन में आया था और उस वक्त उस भूकंप की तीव्रता 9.6 मेग्नीट्यूड थी और उससे काफी नुकसान हुआ था. हर साल 5 लाख से ज्यादा बार भूकंप के भटके महसूस किए जाते हैं. 

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