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स्लीपर सेल और जासूस में क्या होता है अंतर? जानिए कितने अलग होते हैं इनके काम

Sleeper Cell And Spy: स्लीपर सेल और स्पाई में बहुत बारीक सा अंतर होता है. दोनों अपने-अपने मिशन के लिए काम करते हैं. एक का काम आतंक फैलाना है तो वहीं दूसरे का काम सिर्फ सूचनाएं इकट्ठा करना.

भारत में इस वक्त पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी करने वालों की कमर तोड़ी जा रही है और उनको पकड़कर सख्त एक्शन लिया जा रहा है. इसी क्रम में हरियाणा की ज्योति मल्होत्रा और उसके अलावा छह और लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इन सभी पर पाकिस्तानी जासूस होने का आरोप है और अब उनकी जांच की जा रही है. जांच में अगर उन पर लगे आरोप सही साबित हुए तो कड़ी सजा मिलने की उम्मीद है. चलिए अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर स्लीपर सेल और जासूस में क्या फर्क होता है. 

जासूस का काम

जासूस और स्लीपर सेल में मुख्य अंतर यह होता है कि जासूस तत्काल मिशन के लिए काम करता है और स्लीपर सेल एक निष्क्रिय एजेंट होता है, जिसको भविष्य में की जाने वाली आतंकी गतिविधि के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता है. जासूस का मुख्य काम मिशन को तत्का पूरा करना होता है. जासूस भले ही खुले तौर पर अपना काम करते है, लेकिन वे गुप्त रूप से रहते हैं. जासूसों का एक तय लक्ष्य होता है और उनको समय सीमा के अंदर उसे पूरा करना होता है. ये अपराधों की जांच करते हैं, सबूत इकट्ठे करते हैं और अपराधियों को पकड़ने में मदद करते हैं. 

जासूसों का मुख्य काम जानकारी इकट्ठा करना होता है. ये डॉक्यूमेंट्स के जरिए, तस्वीरों के जरिए या फिर किसी और तरीके से इन्फॉर्मेशन इकट्ठे करते हैं. जिसकी सहायता से उनके देश को दुश्मन तक पहुंचने का रास्ता अच्छी तरह से मिल जाता, क्योंकि सारा भेद खुल जाता है. 

स्लीपर सेल कौन होते हैं

वहीं स्लीपर सेल की बात करें तो वे निष्क्रिय एजेंट के रूप में काम करते हैं. लेकिन जब आतंकी गतिविधि को अंजाम देना हो जैसे कहीं पर कोई ब्लास्ट करना हो या किसी की जान लेनी हो तो ये काम स्लीपर सेल ही करते हैं. स्लीपर सेल आतंकियों का वो दस्ता होता है जो कि आतंकियों के आका से निर्देश मिलने के बाद ही एक्टिव होता है. इसमें आतंकियों को पकड़ना सबसे चुनौती का काम होता है, क्योंकि ये लंबे समय से आम आदमी के बीच आम लोगों की तरह ही भेष बदलकर रह रहे होते हैं. ये कोई स्टूडेंट, जॉब वर्कर, रेहड़ी-पटरी मजदूर, कोई बिजनेस मैन या फिर कोई शिक्षक भी हो सकता है. ये जान देने से भी नहीं चूकते हैं. आतंकी इनको एक्टिव करके देश को नुकसान पहुंचाते हैं. 

कैसे काम करते हैं स्लीपर सेल

स्लीपर सेल का काम कई तरह से लिया जाता है. प्राथमिक स्तर पर तो ये सिर्फ जासूसी सूचनाएं इकट्ठी करते हैं. इनका एक अहम काम यह भी होता है कि वे आतंकी संगठन के लोगों को सिर छिपाने की जगह दें. आतंकी बैठकों के लिए जगह का आयोजन करना, हमले के लिए शहरों में बम प्लेस करना, आतंकी हमलों में मदद करना और नई भर्ती के लिए हेल्प करना भी इनका काम होता है. इनके खिलाफ कार्रवाई करने में NIA की बड़ी भूमिका होती है. 

यह भी पढ़ें: DRDO वैज्ञानिक से लेकर यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा तक...जानिए पाकिस्तान के लिए जासूसी करने में कौन-कौन हो चुका है गिरफ्तार?

About the author निधि पाल

निधि पाल को पत्रकारिता में छह साल का तजुर्बा है. लखनऊ से जर्नलिज्म की पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भी नवाबों के शहर से की थी. लखनऊ में करीब एक साल तक लिखने की कला सीखने के बाद ये हैदराबाद के ईटीवी भारत संस्थान में पहुंचीं, जहां पर दो साल से ज्यादा वक्त तक काम करने के बाद नोएडा के अमर उजाला संस्थान में आ गईं. यहां पर मनोरंजन बीट पर खबरों की खिलाड़ी बनीं. खुद भी फिल्मों की शौकीन होने की वजह से ये अपने पाठकों को नई कहानियों से रूबरू कराती थीं.

अमर उजाला के साथ जुड़े होने के दौरान इनको एक्सचेंज फॉर मीडिया द्वारा 40 अंडर 40 अवॉर्ड भी मिल चुका है. अमर उजाला के बाद इन्होंने ज्वाइन किया न्यूज 24. न्यूज 24 में अपना दमखम दिखाने के बाद अब ये एबीपी न्यूज से जुड़ी हुई हैं. यहां पर वे जीके के सेक्शन में नित नई और हैरान करने वाली जानकारी देते हुए खबरें लिखती हैं. इनको न्यूज, मनोरंजन और जीके की खबरें लिखने का अनुभव है. न्यूज में डेली अपडेट रहने की वजह से ये जीके के लिए अगल एंगल्स की खोज करती हैं और अपने पाठकों को उससे रूबरू कराती हैं.

खबरों में रंग भरने के साथ-साथ निधि को किताबें पढ़ना, घूमना, पेंटिंग और अलग-अलग तरह का खाना बनाना बहुत पसंद है. जब ये कीबोर्ड पर उंगलियां नहीं चला रही होती हैं, तब ज्यादातर समय अपने शौक पूरे करने में ही बिताती हैं. निधि सोशल मीडिया पर भी अपडेट रहती हैं और हर दिन कुछ नया सीखने, जानने की कोशिश में लगी रहती हैं.

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