यहां है धरती की सबसे गहरी जगह, आज तक कोई नहीं नाप पाया पूरी गहराई
वैज्ञानिकों ने इसे चैलेंजर डीप नाम दिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी पूरी गहराई का पता लगाने में अभी काफी समय लग सकता है.हालांकि, यह माउंड एवरेस्ट की ऊंचाई से भी ज्यादा गहरी है.

हमारी पृथ्वी अनगिनत रहस्यों से भरी हुई है. हर रोज पृथ्वी के बारे में कोई न कोई नई जानकारी सामने आती रहती है. कभी कोई ऐसा जानवर मिलता है, जो बिना ऑक्सीजन रह सकता है तो कभी इंसानों से पहले की जीवों का रहस्य सामने आता है. वैज्ञानिकों को समुद्र में अब तक का सबसे गहरा होल है. माना जा रहा है कि यह पृथ्वी की सबसे गहरी जगह है और वैज्ञानिक इसकी पूरी गहराई तक जाने में भी कामयाब नहीं हो पाए हैं.
वैज्ञानिकों ने इसे चैलेंजर डीप नाम दिया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी पूरी गहराई का पता लगाने में अभी काफी समय लग सकता है. एक्सपर्ट्स कहना है कि प्रशांत महासागर के नीचे मारियाना ट्रेंच के दक्षिणी छोर पर यह चैलेंजर डीप मिला है. ये लगभग 36 हजार फीट गहरा है. वैज्ञानिकों ने इसकी गहराई में जाने की बहुत कोशिशें की, लेकिन हर बार फेल हुए.
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बिल्कुल अंधेरे में हैं चैलेंजर डीप
वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रशांत महासागर में चैलेंजर डीप में बिल्कुल अंधेरा है. वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पृथ्वी की इस सबसे गहरी जगह पर जीवन है या नहीं, क्योंकि अधिकतर समुद्री जीव भी ऐसी जगह पर रहते हैं जहां पर रोशनी आती हो, लेकिन चैलेंजर डीप में बिल्कुल अंधेरा है. यहां अंधेरा होने के कारण इस जगह पर इंसानों को पहुंचने में भी कई समस्याएं आती रहती हैं.
कई बार हुई गहराई में जाने की कोशिश
चैलेंजर डीप के बारे में वैज्ञानिकों को पहली बार 1875 में पता चला था. हालांकि, 1951 में पहली बार इसकी गहराई नापी गई थी. यहां पानी का दबाव सतह के दबाव से लगभग 1000 गुना अधिक होता है. साल 1960 में पहली बार जैक पिकार्ड और डॉन वॉल्श ने यहां पहुंचने में सफलता हासिल की थी. इसके बाद 2012 में जेम्स कैमरून डीपसी चैलेंजर पनडुब्बी के सहारे यहां पहुंचे थे. हालांकि, इसकी एकदम गहराई में पहुंचना आज भी काफी मुश्किल भरा है.
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