International Translation Day: इन शब्दों का नहीं होता कोई ट्रांसलेशन, हर भाषा में एक जैसे होते हैं यूज
International Translation Day: 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे के रूप में मनाया जाता है. आज हम जानेंगे उन शब्दों के बारे में जिनका हर भाषा में एक जैसा ही इस्तेमाल होता है.

International Translation Day: 30 सितंबर यानी कल को पूरी दुनिया में इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे मनाया जायेगा. इस दिन को अनुवादकों (ट्रांसलेटर), दुभाषियों (इंटरप्रिटर) और शब्दांतरण विशेषज्ञों (टर्मिनोलॉजिस्ट) के योगदान को पहचानने के लिए समर्पित किया गया है. ये भाषा विशेषज्ञ दुनिया भर की संस्कृतियों के बीच की दूरी को कम करते हैं और वैश्विक संचार को आसान बनाते हैं. इससे देशों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा मिलता है.
कैसे हुई इस दिन की शुरुआत
30 सितंबर की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि यह अनुवादकों के संरक्षक संत सेंट जेरोम का फीस्ट डे है. दरअसल सेंट जेरोम 4-5वीं सदी के एक पादरी थे और ये बाइबल के अधिकांश भाग को लैटिन में अनुवाद करने के लिए काफी ज्यादा मशहूर थे. 1953 में स्थापित इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेटर ने 1991 में वैश्विक अनुवाद समुदाय का सम्मान करने के लिए अनुवादकों के लिए एक आधिकारिक दिन मनाने का प्रस्ताव दिया. इसके बाद 24 मई 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे के रूप में आधिकारिक मान्यता दे दी. आज हम जानेंगे उन शब्दों के बारे में जिनका हर भाषा में एक जैसा ही इस्तेमाल होता है.
भाषाओं में उधार शब्द
दिलचस्प बात यह है कि कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिनका कई भाषाओं में लगभग एक जैसा ही मतलब होता है और उनका कोई सीधा अनुवाद नहीं होता. इन्हें उधार शब्द भी कहा जाता है. जैसे हिंदी में टेक्नोलॉजी, शिक्षा और सांस्कृतिक प्रभाव की वजह से कई अंग्रेजी के शब्द शामिल हो चुके हैं. जैसे रेडियो, टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट, टिकट, डॉक्टर, स्कूल, साइकिल, कोट, बल्ब और होटल. यह सभी शब्द हिंदी में अंग्रेजी की तरह ही बोले जाते हैं.
सिर्फ अंग्रेजी ही नहीं बल्कि कुछ ऐसे शब्द भी है जो सभी भाषाओं में समान होते हैं. जैसे मम्मी/मम्मा दुनिया भर में लगभग एक जैसा ही है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह बच्चों द्वारा सीखा जाने वाला पहला शब्द होता है. ठीक इसी तरह अनानास मूल ब्राजील के टुपी शब्द 'नानास' से आया है लेकिन ज्यादातर भाषा में इसका उच्चारण लगभग एक जैसा ही होता है.
कुछ शब्द सभी भाषाओं में एक जैसे क्यों रहते हैं
इसके पीछे कई वजह हैं. जब भी कोई नई तकनीक, विचार या उत्पाद किसी संस्कृति में आता है तो वह अपने मूल नाम के साथ आता है. ऐसे शब्दों का अनुवाद करने से वह काफी ज्यादा अजीब लग सकते हैं या फिर उनका प्रभाव भी कम हो सकता है. यही कारण है कि लोग मूल शब्द का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करते हैं. जैसे कॉफी, चॉकलेट और बिस्किट अपने मूल नाम के साथ आए और इन्हें लगभग हर भाषा में इसी नाम से पहचाना जाता है. यहां तक कि अगर भावनाओं की भी बात करें तो 'हुह?' एक ऐसा शब्द है जो अचरज दिखाने के लिए बोला जाता है. यह शब्द भी कई भाषाओं में एक जैसा ही पाया गया है.
यह भी पढ़ें: कितने रुपये में मिलती है एक DEVI बस, नॉर्मल बस से यह कितनी सस्ती?
Source: IOCL























