Bihar Election 2025: किसी राज्य में कितने चरणों में होगा चुनाव, कैसे तय करता है चुनाव आयोग; क्या है फार्मूला?
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए आज शाम 4 बजे चुनाव आयोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करके तारीखों का एलान करेगा और बताएगा कि आखिर कितने चरणों में चुनाव संपन्न होगा.

Bihar Election 2025: चुनाव आयोग आज शाम को 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बिहार विधानसभा की तारीखों का एलान करेगा. रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार मतदान कम चरणों में ही खत्म करने की चुनाव आयोग की कोशिश है. खबरों की मानें तो इस बार मतदान कम चरणों में कराए जाने का फैसला राजनीतिक दलों से मिले फीडबैक के आधार पर लिया गया है. आइए जानें कि चुनाव आयोग कितने चरणों में चुनाव कराना है, इस बात का फैसला आखिर किस आधार पर लेता है. क्या इसके लिए भी कोई फॉर्मूला होता है. चलिए विस्तार में समझते हैं.
चुनाव कराने का वैज्ञानिक और रणनीतिक फार्मूला
भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में चुनाव कराना आसान काम नहीं है. यहां हर राज्य की भौगोलिक, सामाजिक और सुरक्षा परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर चुनाव आयोग यह कैसे तय करता है कि किसी राज्य में कितने चरणों में वोटिंग कराई जाएगी. इस फैसले के पीछे एक पूरा वैज्ञानिक और रणनीतिक फार्मूला होता है, जो सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि सुरक्षा और प्रबंधन पर आधारित होता है.
किस आधार पर तय होते हैं चुनाव के चरण
सबसे पहले चुनाव आयोग केंद्रीय गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों और राज्य प्रशासन से रिपोर्ट लेता है. इन रिपोर्टों में बताया जाता है कि राज्य में कौन-कौन से इलाके संवेदनशील या नक्सल प्रभावित हैं, कहां कानून-व्यवस्था का खतरा है, और कहां पर सुरक्षा बलों की कितनी उपलब्धता है. इसके बाद आयोग यह आंकलन करता है कि पूरे राज्य में एक साथ मतदान संभव है या नहीं.
किन राज्यों में एकबार में संपन्न हो सकते हैं चुनाव
जिन राज्यों में सुरक्षा स्थिति स्थिर और संसाधन पर्याप्त होते हैं, वहां चुनाव आमतौर पर एक ही चरण में संपन्न कराए जाते हैं. उदाहरण के तौर पर केरल, तमिलनाडु या गोवा जैसे राज्यों में अक्सर एक ही चरण में चुनाव हो जाते हैं. वहीं, जिन राज्यों में भौगोलिक रूप से क्षेत्र फैला हुआ है या सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील इलाके हैं, वहां कई चरणों में मतदान कराया जाता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे बड़े राज्यों में इसी कारण चुनाव कई चरणों में कराए जाते हैं.
किन बातों का रखा जाता है ध्यान
मतदान चरणों की संख्या तय करते समय चुनाव आयोग यह भी देखता है कि अर्धसैनिक बलों की एक यूनिट कितने मतदान केंद्रों की निगरानी कर सकती है. चूंकि पूरे देश में सुरक्षा बल सीमित संख्या में हैं, इसलिए एक चरण के बाद वही सुरक्षा बल दूसरे क्षेत्र में भेजे जाते हैं. इसीलिए बड़े राज्यों में मतदान का शेड्यूल लंबा हो जाता है. इसके अलावा मौसम भी एक अहम कारक है. अगर किसी राज्य में बारिश या बर्फबारी का मौसम है, तो चुनाव आयोग यह ध्यान रखता है कि मतदान उस टाइम में न पड़े. यही वजह है कि पहाड़ी राज्यों या पूर्वोत्तर में चुनाव की तारीखें अलग-अलग तय होती हैं.
सामाजिक सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचा
चुनाव आयोग अंत में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी चुनावी रूपरेखा घोषित करता है, जिसमें मतदान की तारीखें, चरण, और मतगणना की तारीख शामिल होती है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि चुनाव आयोग हर राज्य के सामाजिक सुरक्षा और प्रशासनिक ढांचे को देखकर ही तय करता है कि चुनाव एक चरण में होगा या कई चरणों में.
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Source: IOCL
























