शपथ ग्रहण के दौरान सरकार गठन के लिए कौन मांगता है राज्यपाल से अनुमति, क्या है नियम?
Bihar CM Oath Ceremony: बिहार में शपथ ग्रहण समारोह हो चुका है और राज्य को मुख्यमंत्री मिल गया है. आइए जान लेते हैं कि आखिर शपथ ग्रहण के दौरान सरकार गठन के लिए राज्यपाल से अनुमति कौन मांगता है.

Bihar CM Oath Ceremony: पटना में नीतीश कुमार की नई सरकार का शपथ ग्रहण हो चुका है. शपथ ग्रहण को लेकर एक सवाल हर तरफ है कि आखिर राज्यपाल से नई सरकार बनाने की अनुमति आखिर कौन लेता है? मुख्यमंत्री पद का चेहरा या गठबंधन नेता? और राज्यपाल इस पूरी प्रक्रिया में कब और कैसे अपनी भूमिका निभाते हैं? संविधान के नियम क्या कहते हैं और वास्तविक प्रक्रिया कैसे चलती है? यह पूरा सिस्टम बाहर से जितना सरल दिखता है, अंदर उतना ही दिलचस्प और सस्पेंस से भरा है.
कैसे होता है नियमों का पालन
जब भी किसी राज्य में नई सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, सबसे पहला कदम होता है बहुमत का दावा प्रस्तुत करना, लेकिन आम लोगों के बीच अब भी यह भ्रम रहता है कि राज्यपाल से सरकार बनाने की अनुमति मांगता कौन है, मुख्यमंत्री पद का दावा करने वाला व्यक्ति? या पूरा गठबंधन? असल में संविधान में इस प्रक्रिया को बहुत स्पष्ट तरीके से समझाया गया है, लेकिन जमीन पर इसका पालन कई बार राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग अंदाज में दिखाई देता है.
राज्यपाल से कौन मांगता है अनुमति?
सबसे पहले समझते हैं कि राज्यपाल से अनुमति लेने का अधिकार किसके पास होता है. इसका सीधा जवाब है, बहुमत वाला गठबंधन या बहुमत का नेता. चुनाव बाद जब नतीजे आ जाते हैं, तो जो पार्टी या गठबंधन बहुमत के आंकड़े तक पहुंचता है, वही राज्यपाल को पत्र लिखकर बताता है कि वे सरकार बनाने की स्थिति में हैं. यह पत्र आमतौर पर गठबंधन के नेता या विधायक दल के नेता के हस्ताक्षर से जारी होता है.
इसके बाद राज्यपाल की भूमिका शुरू होती है. राज्यपाल पहले यह जांचते हैं कि बहुमत का दावा सही है या नहीं. कई बार राज्यपाल व्यक्तिगत रूप से विधायकों की सूची, समर्थन पत्र और गठबंधन समझौते को भी देखते हैं. अगर स्थिति स्पष्ट हो, तो वह बहुमत वाले दल के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर देते हैं.
कौन तय करता है शपथ ग्रहण की तारीख और समय?
शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय भी राज्यपाल ही तय करते हैं. आम तौर पर मुख्यमंत्री पद के लिए चुने गए नेता सबसे पहले शपथ लेते हैं, उसके बाद कैबिनेट मंत्रियों को बुलाया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 164 के अनुसार, मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं, और मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर होती है. यानी सरकार गठन की शुरुआत भले ही गठबंधन नेता करे, लेकिन अंतिम मुहर राज्यपाल की ओर से लगती है.
सरकार गिरने की स्थिति में भी लागू होती है यही प्रक्रिया
यह पूरा सिस्टम इस तरह बनाया गया है कि सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से हो. यही कारण है कि कई बार यदि राजनीतिक स्थिति जटिल हो या बहुमत अस्पष्ट हो, तो राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को पहले बुलाते हैं या सभी दलों से लिखित समर्थन पत्र भी मांग सकते हैं. एक और अहम बात, सरकार गिरने की स्थिति में भी यही प्रक्रिया लागू होती है. मुख्यमंत्री इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल किसी नए बहुमत वाले नेता को सरकार बनाने का अवसर देते हैं.
यह भी पढ़ें: Nitish Kumar Oath Ceremony: नीतीश के शपथ ग्रहण में जो होटल परोसेगा चाय-नाश्ता उसका मालिक कौन, जानें कितनी है नेटवर्थ?
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























