कितने साल की प्रैक्टिस के बाद एक वकील बन सकता है जज? जानिए क्या है नियम
कानून की पढ़ाई पूरी करने बाद डिग्री धारक को कम से कम तीन साल वकील के तौर पर प्रैक्टिस करनी होती है. तीन साल की वकालत के बाद डिग्री धारक न्यायिक सेवा परीक्षा देने के योग्य हो जाता है.

देश के कई हाईकोर्ट में रिक्त चल रहे जजों के पद पर नियुक्ति से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है. बीते दिनों मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में कॉलेजियम की बैठक में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की सिफारिश को मंजूरी दे दी गई है. इसके मंजूरी के साथ ही कई हाईकोर्ट में खाली पड़े जजों के पद पर नियुक्ति का रास्ता भी साफ हो गया है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में तीन, पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में 10 के अलावा तेंलंगाना, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बहाने जानते हैं कि देश में वकीलों को जज बनाने का नियम क्या है? एक वकील को जज बनने में कम से कम कितना समय लग जाता है? चलिए जानते हैं इन अहम सवालों के जवाब...
कैसे बन सकते हैं जज?
भारत में किसी न्यायालय में जज बनने के लिए दो रास्ते हैं. पहला ये कि कानून की पढ़ाई पूरी करने बाद डिग्री धारक को कम से कम तीन साल वकील के तौर पर प्रैक्टिस करनी होती है. तीन साल की वकालत के बाद डिग्री धारक न्यायिक सेवा परीक्षा देने के योग्य हो जाता है. इस परीक्षा को पास करने के बाद जिला न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्ति होती है. कम से कम तीन साल के अनुभव के बाद व्यक्ति जिला जज बनने के योग्य हो जाता है. जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जज के लिए आवेदन किया जा सकता है. हालांकि, यहां नियुक्ति कॉलेजियम के जरिए होती है.
एक वकील को जज बनने में कितना समय लगता है?
अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश व न्यायाधीशों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 217(1) के तहत की जाती है. इसके अनुसार, हाईकोर्ट में न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए वही व्यक्ति योग्य होगा, जो भारत का नागरिक हो और उसने कम से कम 10 साल तक हाईकोर्ट में बतौर अधिवक्ता वकालत की हो. हालांकि, उसकी नियुक्ति भी कॉलेजियम प्रणाली के तहत ही की जाती है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए कम से कम पांच साल तक हाईकोर्ट में बतौर जज काम करने का अनुभव होना चाहिए, इसके अलावा हाईकोर्ट में 10 साल प्रैक्टिस कर चुका वकील भी इसके योग्य हो जाता है.
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