Birthday Special: चेन्नई सुपर किंग्स के मैच में बीट्स पर गूंजता था स्टेडियम, जानें ड्रम्स शिवमणि की अनसुनी कहानी
Drums Shivmani Career: अनंतकृष्णन शिवमणि जो 'ड्रम्स शिवमणि' के नाम से पॉपुलर हैं,1 दिसंबर को अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं. लगातार स्ट्रगल के बाद उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है. जानें उनकी कहानी.

‘ड्रम्स शिवमणि’ कोई नया या अपरिचित नाम नहीं है. अपनी जादू भरी ताल पर दुनिया को थिरकाने वाले अनंतकृष्णन शिवमणि का बर्थडे 1 दिसंबर को है. इस स्पेशल मौके पर जानें कैसे इतनी मुश्किलों के बाद भी वो अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुए.
हर एक म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट के मास्टर हैं शिवमणि
साल 1959 में चेन्नई में जन्मे अनंतकृष्णन शिवमणि को दुनिया आज सिर्फ एक नाम से पुकारती है, ड्रम्स शिवमणि. जब वो स्टेज पर आते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे सारी धरती की धड़कन उनके ड्रम में समा गई हो. ड्रम, ऑक्टोबन, दरबुका, घाटम, कंजीरा, उडुकाई कोई भी ताल-यंत्र उनके हाथ में आ जाए, बस जादू शुरू हो जाता है. एक पल में कर्नाटक शास्त्रीय ताल, अगले ही पल अफ्रीकी धुन, फिर रॉक, जैज और इलेक्ट्रॉनिक बीट्स सबको मिलाकर वो ऐसा म्यूजिक बनाते हैं कि सुनने वाला झूमने पर मजबूर हो जाता है.
शिवमणि का अपना सुपर बैंड है, एशिया इलेक्ट्रिक. इसमें उनके साथ हैं गिटार के बादशाह नीलाध्री कुमार, जैज लीजेंड लुईस बैंक्स और बेस के जादूगर रवि चारी. इस बैंड के लाइव कॉन्सर्ट में लोग घंटों खड़े होकर तालियां बजाते हैं. दूसरा बैंड है सिल्क एंड श्राडा, यहां भी वो पूरी दुनिया के संगीत को एक माला में पिरोते हैं.
पहले कॉन्सर्ट में झेली जिल्लत
हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि उन्हें भी करियर की शुरुआत में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. शिवमणि ने एक पुराने इंटरव्यू में अपनी जिंदगी का वो पहला डरावना और मजेदार दिन याद किया जब श्रोताओं ने उन पर अंडे और बोतल तक फेंके थे.उन्होंने बताया था, 'मेरा सबसे पहला जैज कॉन्सर्ट ट्रम्पेट वादक फ्रैंक डुबियर के साथ था. स्टूडियो में सेशन के दौरान फ्रैंक को मेरा ड्रम बजाना इतना पसंद आया कि उन्होंने मुझे अपने बड़े बैंड के साथ लाइव स्टेज पर बुला लिया. मैं बहुत खुश था.
लेकिन स्टेज पर जैसे ही मैंने 2-4 मिनट बजाना शुरू किया, अचानक दर्शकों ने मुझ पर बोतलें, अंडे और टमाटर फेंकने शुरू कर दिए! लोग चिल्ला रहे थे, ये क्या लाइट म्यूजिक वाला ड्रमर लाए हो? उस दिन मुझे बहुत बुरा लगा, लेकिन मैं टूटा नहीं. मैंने सोचा – ठीक है, लोग नापसंद कर रहे हैं तो कुछ कमी है. बस उसी दिन से मैंने और ज्यादा रियाज किया और आज सबको पसंद आता है."
फिल्मों के साथ क्रिकेट स्टेडियम में भी बनाया सबको दीवाना
शिवमणि बॉलीवुड में भी अपने जादू का जलवा बिखेर चुके हैं. वह ‘रोजा’, ‘ताल’, ‘लगान’, ‘दिल से’, ‘रंग दे बसंती’, ‘गुरु’, ‘काबुल एक्सप्रेस’ समेत अन्य सफल फिल्मों के कई आइकॉनिक गानों में ड्रम और ताल का वादन कर चुके हैं.एआर रहमान से लेकर तमिल सिनेमा के बड़े-बड़े संगीतकार तक, हर कोई उनके ड्रम का दीवाना है. क्रिकेट के मैदान में भी उनका जलवा है. चेन्नई सुपर किंग्स के हर मैच में जब वो ड्रम बजाते हैं, तो पूरा स्टेडियम उनकी ताल पर झूम उठता है. साल 2008 और 2010 की आईपीएल ट्रॉफी जीत के जश्न में भी उनकी ताल गूंजी थी.
फिल्मों में भी हाथ आजमा चुके हैं शिवमणि
ताल वादन के साथ ही वह फिल्मों में भी एक्टिंग कर चुके हैं. साल 1986 में तेलुगू फिल्म ‘पदमति संध्या रागम’ में थॉमस जेन के साथ नजर आए. लेकिन उनका असली थिएटर स्टेज और स्टूडियो है. साल 2019 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री देकर सम्मानित किया.
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