'हर चीज पर कब्जा कर लिया है', संजय कपूर के प्रॉपर्टी विवाद के बीच प्रिया सचदेव पर भड़कीं बहन मंदिरा कपूर
Mandhira Kapur Slams Priya Sachdev: संजय कपूर की बहन मंदिरा कपूर ने दावा किया है कि प्रिया सचदेव ने उनके पिता के बिजनेस पर कब्जा कर लिया है. उनके मुताबिक प्रिया कंपनी से 5 करोड़ रुपए सैलरी ले रही हैं.

बिजनेस टाइकून संजय कपूर के निधन के बाद से ही उनकी प्रॉपर्टी और वसीयत को लेकर फैमिली में विवाद छिड़ा है. एक तरफ संजय की मां, बहनें और एक्स वाइफ करिश्मा कपूर के बच्चे हैं तो दूसरी तरफ उनकी तीसरी वाइफ प्रिया सचदेव हैं. इस बीच संजय की बहन मंदिरा कपूर ने फिर प्रिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं. मंदिरा ने दावा किया है कि प्रिया ने उनके पिता के सारे बिजनेस पर कब्जा कर लिया है.
इनकॉन्ट्रोवर्सियल पॉडकास्ट में बात करते हुए मंदिरा कपूर ने कहा- 'खून के रिश्ते और बाहरी इंसान में फर्क होता है. मेरे पिता के जिंदा रहते मेरी मां को मेरे भाई के जिंदा रहते उससे कहीं ज्यादा मिलता था, और यही सच है. उन्होंने कभी ये नहीं देखा कि उन्हें कितना मिल रहा है. अब हम हर बात पर नजर रख रहे हैं. ये शर्मनाक है कि उन्हें सिर्फ 12 लाख रुपए मिल रहे हैं.'
कंपनी से 5 करोड़ सैलरी ले रहीं प्रिया सचदेव!
मंदिरा ने अपनी मां रानी कपूर को लेकर आगे कहा- 'पहले उन्हें 21 लाख रुपए मिलते थे, लेकिन टैक्स और बाकी कटौतियों के बाद उन्हें 13 लाख रुपए मिलते थे, जो अब घटकर 12 लाख रुपए रह गए हैं.' वहीं प्रिया सचदेव को लेकर मंदिरा ने बताया- 'लेकिन मुझे लगता है कि वो बाहरी व्यक्ति हर महीने 3 से 5 करोड़ रुपए के करीब कमा रही है. क्योंकि उसे सिर्फ एक कंपनी से 1 करोड़ रुपए मिल रहे हैं और उसने सब कुछ पर अपना कब्जा कर लिया है. उसे 5 करोड़ रुपए मिल रहे हैं और कंपनी के फाउंडर को 12 लाख रुपए मिल रहे हैं.'
'वो न तो परिवार का चेहरा है और न ही कंपनी का...'
मंदिरा कपूर भाभी प्रिया सचदेव को लेकर आगे कहती हैं- 'वो किसी पर कोई एहसान नहीं कर रही है. ये पैसा कंपनी से आ रहा है. क्या उसे लगता है कि वो मेरी मां की देखभाल कर रही है? मुझे लगता है कि उसे हकीकत का सामना करना चाहिए और अपनी बात बदलनी चाहिए. कंपनी अभी भी मेरी मां के पास है क्योंकि मेरे पिता हमेशा सोना परिवार से जुड़े रहेंगे, न कि सचदेव परिवार से, चाहे वो कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन ऐसा नहीं होने वाला है. वो न तो परिवार का चेहरा है और न ही कंपनी का. उसे तो यहां होना ही नहीं चाहिए.'
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