अलविदा ऋषि कपूर: मेरी जवाबदारी आपसे नहीं है, अपने इमान से है...अपने मुल्क से है'
ऋषि कपूर की गिनती बॉलीवुड के उन स्टारों में होती है जिन्होने अपनी शर्तों पर फिल्मों में काम किया. ऋषि कपूर की परवरिश उस खानदान में हुई थी जिसने हिंदुस्तान को सिनेमा की सलाहियत दी थी.

दुनिया के सबसे बड़े फिल्मी खानदान से ताल्लूक रखने वाले ऋषि कपूर के लिए बॉलीवुड और दर्शको के दिल में जगह बनाना इतना आसान नहीं थी, तब जब उनके सामने शो मैन राज कपूर, शम्मी कपूर और शशि कपूर जैसे दिग्गज कलाकारों की लंबी फेहरिस्त हो. बावजूद इसके ऋषि कपूर ने एक अलग मुकाम बनाया.
ऋषि कपूर शो मैन राज कपूर की लाड़ले थे. ऋषि कपूर की जब शादी हुई तो राज कपूर ने उनकी शादी का जश्न कई दिनों तक मनाया. यह वही शादी थी जिसने महान सूफी गायक उस्ताद नुसरत फतेह अली से भारत का परिचय कराया था. ऋषि कपूर की शादी के जश्न में राज कपूर ने नुसरत फतेह अली खान को खास तौर पर न्योता भेजकर बुलाया गया था. पिता राज कपूर की अंगुली पकड़कर फिल्म बरसात में बरसाती पहनकर बॉलीवुड की ऊंची-नीची और आड़ी-तिरछी राहों को पार करते हुए ऋषि कपूर ने खुद को स्थापित ही नहीं किया, बल्कि रोमांटिक हीरो की ऐसी छवि रूपहले पर्दे पर गढ़ी जो लोगों की आंखों से दिल और दिमाग में बस गई.
फिर चाहें वह फिल्म 'बॉबी' का राजू, 'कभी-कभी' का विक्की, 'अमर अकबर एंथोनी' का अकबर, 'कुली' का सनी, 'डी डे' का इकबाल सेठ, 'अग्निपथ' का रऊफ लाला हो फिर 'मुल्क' का मुराद अली मोहम्मद का किरदार इन सभी के लिए ऋषि कपूर को हमेशा याद किया जाएगा.
ऋषि कपूर धुन के पक्के इंसान थे. उन्हे जो सही लगता उसे करने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाते थे. जैसे उन्हे किसी प्रकार की बंदिशों से कोप्त होती थी. इसलिए वे खुलकर अपनी राय रखते थे. अपनी बात को कहने के लिए ऋषि कपूर कभी समय और स्थान इंतजार नहीं करते थे. दिल की बात को जबान पर आने से नहीं रोका करते थे ऋषि कपूर. ठीक वैसे ही जैसे फिल्म 'मुल्क' में वे कहते हैं- ''गले लगाकर सवाल पूछिएगा कलेजा निकालकर हाथ में रख दूंगा. अंगुली उठाकर पूछिएगा न तो याद रखिएगा...मेरी मेरी जवाबदारी आपसे नहीं है, अपनी इमान से है...अपने मुल्क से है''. कुछ ऐसा ही मिजाज पाया था ऋषि कपूर ने.
आंखों में सुरमा डालकर पर्दे पर दहशत और खौफ का मंजर पैदा करने वाला रऊफ लाला दर्शकों को बहुत याद आएगा
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