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Punjab Election Result 2022: पंजाब में चली ऐसी झाड़ू कि साफ हो गए सारे विपक्षी, ये हैं 'आप' की जीत के कारण
पंजाब में आम आदमी पार्टी की बढ़त से ये साफ हो गया है कि दिल्ली के बाहर भी अरविंद केजरीवाल का जादू चल सकता है. लोगों ने उनपर भरोसा जताया है.
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पंजाब में विधानसभा चुनाव-2022 के लिए वोटों की गिनती जारी है. रुझानों के मुताबिक, राज्य में आम आदमी पार्टी की झाड़ू ऐसी चली कि कांग्रेस, बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल जैसी पार्टियां साफ हो गईं. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर आप 90 पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस 18, शिरोमणि अकाली दल 6 और बीजेपी+ 2 सीटों पर आगे चल रही हैं. अगर यही आंकड़े नतीजों में भी बदलते हैं तो इसे पंजाब में आप की लहर कहा जाएगा. सूबे की जनता ने आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के वादों पर भरोसा किया और उनके समर्थन में जमकर वोट किया. पंजाब में आप के बढ़त बनाने के क्या कारण हैं आइए जानते हैं...
- अरविंद केजरीवाल पर भरोसा- पंजाब में आम आदमी पार्टी की बढ़त से ये साफ हो गया है कि दिल्ली के बाहर भी अरविंद केजरीवाल का जादू चल सकता है. लोगों ने उनपर भरोसा जताया है. केजरीवाल को राजनीति में उतरे 8 साल से ज्यादा का समय हो गया है. उन्होंने दिल्ली सरकार के कार्यों को पंजाब की जनता के सामने रखा और लोगों से एक मौका देने की अपील की. केजरीवाल की इस अपील को जनता ने स्वीकार किया और उनकी पार्टी को सत्ता की चाबी सौंपती नजर आ रही है.
- सीएम फेस घोषित करना- आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया. पार्टी ने इससे साफ कर दिया था कि राज्य में नेतृत्व को लेकर उसका मत क्लीयर है. भगवंत मान पंजाब के लोकप्रिय चेहरा हैं. वह कॉमेडियन हैं और ज्यादातर घरों में लोग उनके नाम से वाकिफ हैं. आप ने उनकी इसी लोकप्रियता का फायदा उठाया और विरोधी पार्टियों के हमले के बाद भी भगवंत मान पर दांव चला.
- एंटी इनकंबेंसी- आम आदमी पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिला. राज्य में कांग्रेस के खिलाफ वोट पड़े. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आप के काम करने का तरीका और विचारधारा काफी हद तक कांग्रेस के पैटर्न पर आधारित है. पार्टी के ज्यादातर नेता कांग्रेस से ही आए हुए हैं. पंजाब की जनता ने आप को कांग्रेस के विकल्प के तौर पर देखा और अब सत्ता सौंपकर उसे जश्न मनाने का मौका दिया.
- केजरीवाल का चेहरा- बीजेपी जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दम पर पंजाब में चुनाव लड़ी तो वहीं आप अपने स्टार नेता अरविंद केजरीवाल के नाम पर वोट मांगी. केजरीवाल और मोदी का सामना इससे पहले भी हो चुका है. केजरीवाल 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने खुद को विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करते रहे हैं. इसी वजह से केजरीवाल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव में उतरे थे. हालांकि केजरीवाल को हार मिली थी, लेकिन वह इसके बाद भी बीजेपी और पीएम मोदी को सीधी चुनौती देते रहे हैं. मोदी बनाम केजरीवाल की लड़ाई में इस बार केजरीवाल को जीत मिली है और उनकी इस जीत का केंद्र की राजनीति पर भी असर पड़ेगा.
- कृषि कानून को लेकर किसानों में बीजेपी के खिलाफ गुस्सा देखा गया. जानकारों का मानना है कि आप को किसानों का अच्छा खासा वोट मिला है. बीजेपी के खिलाफ गुस्से का फायदा आप को मिला. कांग्रेस के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर तो चल ही रही थी. जनता के सामने विकल्प के तौर पर आप ही थी. सत्ता विरोधी लहर और किसानों की नाराजगी का फायदा आप को मिला और वो वोट में बदला.
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