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Lok Sabha Elections: हाई कोर्ट का आदेश, योगी का बयान, अयोध्या का इतिहास- क्या 2024 का चुनाव ज्ञानवापी पर लड़ा जाएगा?

UP CM Yogi: राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सीएम योगी का बयान बीजेपी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. बड़ा सवाल यह है कि क्या 2024 का इलेक्शन बीजेपी ज्ञानवापी के सहारे लड़ने जा रही है?

UP CM Yogi Statement: लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच बीजेपी ने अपने हिंदुत्व की धार को और तेज कर दिया है. इसकी अगुआई खासतौर से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं. विपक्षी महागठबंधन इंडियन नेशनल डेलवमेंटल इंक्लूसिव एलायंस ( INDIA) की काट के लिए बीजेपी ने अपने हिंदुत्व कार्ड को आगे किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के कुछ खास ही मायने है. राजनीतिज्ञ विशेषज्ञों का मानना है कि यह योगी आदित्यनाथ और बीजेपी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या 2024 का लोकसभा इलेक्शन बीजेपी ज्ञानवापी के सहारे लड़ने जा रही है?

योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा

योगी आदित्यनाथ ने एजेंसी एएनआई को दिए गए अपने साक्षात्कार में बड़े तल्ख लहजे में कहा, “अगर ज्ञानवापी को मस्जिद कहोगे तो विवाद तो खड़ा ही होगा.“ उन्होंने आगे कहा कि भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, तो उसे यह क्यों नहीं दिख रहा है कि एक मस्जिद में त्रिशूल क्या कर रहा है. हमने तो नहीं रखा. इतना ही नहीं ज्योतिर्लिंग के साथ देवताओं प्रतिमाएं हैं. यह स्वयं साक्षी हैं कि उस स्थल की. मुझे लगता है मुस्लिम समाज को स्वयं इस ऐतिहासिक गलती के लिए आगे आना चाहिए और इसका समाधान करना चाहिए.

क्या है इसके मायने

अब यहां यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इस चुनावी माहौल में योगी आदित्यनाथ ने ऐसा तीखा बयान क्यों दिया? राजनीतिक विष्लेषक इसके अलग-अलग मायने निकालने में जुटे हुए हैं. दूसरी ओर योगी ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद ऐसा क्यों बयान दिया है इसके लिए यह जानना जरूरी है कि लोकसभा चुनाव के पहले इस साल के अंत में देश के पांच राज्यों, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलांगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं.

क्या है रणनीति

इस एक बयान का इन राज्यों में क्या प्रभाव पड़ेगा या तो परिणाम ही बताएंगे लेकिन इस बयान के उत्तर प्रदेश में कुछ खास ही मायने हैं. बीजेपी ने यहां 2014 में रामंदिर मुद्दे को उठाया था. इसका चुनाव में खासा असर भी पड़ा और वह 80 में से सर्वाधिक 71 सीटें जीतने रही थी. ‘रामलला हम आयेंगे मंदिर यहीं बनाएं‘. इस नारे ने सारे समीकरणों पीछे छोड़ दिया था. अब अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनकर लगभग तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण भी जा चुका है. बहुत संभव है कि 2024 का चुनावी शंखनाद नरेंद्र मोदी गर्भगृह में पूजन के साथ करें.

इसके बाद 2019 में बीजेपी को यहां 9 सीटों का नुकसान हुआ था. बीजेपी ने 17वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में 62 सीटें जीतीं थीं. इस बार अभी तक के जितने भी चुनावी सर्वे हुए हैं. उनमें बीजेपी या यूं कहें एऩडीए की सीटें घट रही हैं. हालांकि इसके बावजूद वह सत्ता की हैट्रिक लगाते हुए नजर आ रही है. इसीलिए बीजेपी कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और बिहार में संभावित सीटों का होने वाला घाटा उत्तर प्रदेश में 2014 वाला प्रदर्शन दोहराकर पूरा करना चाहती है. इसीलिए वह अब ज्ञानवापी के मामले को चुनाव तक गरम रखना चाहती है. बीच-बीच में वह मथुरा का मुद्दा भी उछालती रहती है.

क्या कहता है हाईकोर्ट का आदेशः

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी सर्वे की अनुमति दे दी है. हिंदू समाज के लिहाज से एक तरह से यह निर्णय ठीक ही है, क्योंकि वह भी जानता है कि पुरातत्व विभाग के सर्वे में वही सबकुछ निकलेगा जिसके लिए वह आवाज उठा रहे हैं. कोर्ट के इस आदेश से भी बीजेपी की मंशा को बल मिल रहा है. ज्ञानवापी मुद्दे पर हिंदू और मुस्लिम समाज बंटा हुआ नजर आ रहा है.

इसलिए इसका दोनों पक्षों के बीच बातचीत से समाधान निकलता नहीं दिख रहा है. हालांकि मामले की गंभीरता को समझते हुए हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) के अधिकारी से यह जानने की भी कोशिश करी है कि ज्ञानवापी के ढांचे को बिना नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक सर्वें संभव है या नहीं?  

कैसे हाईकोर्ट पहुंचा मामला

ज्ञानवापी पर हिंदू पक्ष ने बनारस की जिला अदालत में विगत 21 जुलाई याचिका दायर की थी. इस पर जिला जज ने भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) को संबंधित प्लॉट नंबर-9130 पर वैज्ञानिक जांच अथवा खुदाई वाला सर्वे कराने के आदेश दिए थे. अदालत ने स्पष्ट तौर पर अत्याधुनिक तरीके से जांच के निर्देश दिए थे. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि प्लॉट नंबर-9130 पर सुप्रीम कोर्ट के मई 2022 के आदेश से सील किए गए वजूखाने का सर्वे नहीं होगा.

वजूखाने को लेकर है असली विवाद

असली विवाद यहीं पर है. हिंदू पक्ष का दावा है कि वजूखाने में कथित शिवलिंग है. यहां आदि विश्वेश्वर का मंदिर है जो राजा टोडरमल ने बनवाया था. वहीं मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि वह वजूखाने का फव्वारा है. इसके बाद यह मुस्लिम पक्ष जिला अदालत के निर्देश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया था. हाईकोर्ट ने भी तमाम जिरह सुनने के बाद अंत में सर्वे कराने की अनुमति दे दी है. 

ये भी पढ़ेंः भारत में कितनी कामयाब है गठबंधन की राजनीति, 70 साल पहले क्यों साथ आई थीं कई पार्टियां?

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