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2019 की 19 महिलाएं: 'तुलसी' से लेकर पीएम मोदी की सरकार में मंत्री तक, एक मजबूत महिला स्मृति ईरानी का सफर

स्मृति ईरानी दिल्ली में मध्यवर्गीय परिवार में 23 मार्च 1976 को पैदा हुईं. उनके पिता पंजाबी और मां बंगाली हैं. तीन भाई-बहनों में स्मृति सबसे बड़ी हैं.

नई दिल्ली: टीवी के पर्दे से अपनी सफर शुरू करने वाली स्मृति ईरानी आज भारतीय जनता पार्टी के बड़े नामों में से एक है. स्मृति ईरानी जब 2003 में बीजेपी में शामिल हुई तो उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि पार्टी उनपर इतना विश्वास जताएगी की कभी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ में उनको चुनाव लड़ने के लिए उतारेगी. एक बार फिर वह अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनावी रण में हैं. इस बार वह और अधीक विश्वास के साथ उतरी है क्योंकि कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाली अमेठी में साल 2014 के चुनाव में उन्होंने राहुल गांधी को कड़ी टक्कड़ दी थी. दिल्ली के मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुई समृति ने कैसे मनोरंजन इंडस्ट्री के जरिए घर-घर में प्रसिद्ध हुईं और फिर राजनीति के शिखर पर पहुंची? आइए एक नजर डालते हैं 'तुलसी' से लेकर मोदी सरकार में मंत्री बनने तक के सफर पर

10वीं के बाद शुरू किया काम करना

स्मृति ईरानी दिल्ली में मध्यवर्गीय परिवार में 23 मार्च 1976 को पैदा हुईं. उनके पिता पंजाबी और मां बंगाली हैं. तीन भाई-बहनों में स्मृति सबसे बड़ी हैं. परिवार की आर्थिक सहायता के लिए स्मृति ने दसवीं कक्षा के बाद ही काम करना शुरू कर दिया था. 1998 में स्मृति ने 'मिस इंडियां' प्रतियोगिता में हिस्सा लिया लेकिन वह फाइनल तक नहीं पहुंच पाईं. इसके बाद स्मृति ने मुंबई जाने की ठानी. मुंबई में शुरुआती दिनों में स्मृति ने आजीविका चलाने के लिए मैकडॉन्लड्स में भी काम किया. इसके बाद साल 2001 में उनकी शादी जुबिन ईरानी हुई.

शादी के बाद उन्हें एकता कपूर का सीरियल मिला. यही स्मृति के लिए जिंदगी का ट्रनिंग प्वाइंट रहा. सीरियल 'क्योंकि सास भी कभी बहू' थी से वह घर-गर में तुलसी नाम के किरदार से प्रचलित हो गईं. यह नाटक काफी प्रसिद्ध हुआ और स्मृति ईरानी को इस सीरियल के लिए कई अवॉर्ड मिले. इसके बाद स्मृति राजनीति में आ गईं.

पहली बार साल 2004 में कपिल सिब्बल के खिलाफ लड़ा लोकसभा चुनाव

समृति ईरानी ने साल 2003 में बीजेपी ज्वाइन किया और उन्हें महाराष्ट्र यूथ विंग की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद साल 2004 के लोकसभा चुनाव में दिल्‍ली के चांदनी चौक से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस राजनेता कपिल सिब्‍बल के खिलाफ चुनाव लड़ीं. स्मृति चुवान हार गईं, लेकिन उनको कुछ समय बाद ही बीजेपी की केंद्रिय समिति की एग्जक्यूटिव मेंबर बनाया गया. 2010 में स्मृति ईरानी पार्टी की राष्ट्रीय सचिव और महिला विंग की प्रसिडेंट बनाई गईं. 2011 में स्‍मृति गुजरात राज्‍यसभा के सदस्‍य के रूप में निर्वाचित हुईं. सितंबर 2011 से वे राज्‍य की कोयला और स्‍टील समिति की सदस्‍य हैं.

2014 में अमेठी में राहुल गांधी को दी चुनौती

स्मृति ईरानी को साल 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ उतारा गया. हालांकि स्मृति लोकसभा चुनाव तो हार गईं लेकिन उन्होंने राहुल गांधी को कड़ी चुनौती दी. 2014 लोकसभा इलेक्शन में राहुल गांधी ने अमेठी से बीजेपी की स्मृति ईरानी को 1.07 लाख वोटों से हराया था. राहुल की यह जीत 2009 के मुकाबले बेहद छोटी थी. 2009 में राहुल 3.70 लाख वोटों के अंतर से जीते थे.

मोदी कैबिनेट में मिले कई महत्वपूर्ण पद

स्मृति ईरानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण पद संभाला है. मोदी मंत्रीमंडल में स्मृति ईरानी को टेक्सटाइल मिनिस्ट्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. वह शिक्षा मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल चुकी हैं.

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