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IAS Success Story: पहले इंजीनियर और फिर UPSC टॉपर, इन संघर्षों से जूझकर रिद्धिमा ने पायी मंजिल

साल 2019 की परीक्षा में 74वीं रैंक लाकर टॉप करने वाली रिद्धिमा श्रीवास्तव ने दूसरे प्रयास में यह सफलता हासिल की. आज जानते हैं उनसे इस परीक्षा की तैयारी के टिप्स और उनकी राह में आने वाली रुकावटें.

Success Story Of IAS Riddhima Srivastava: रिद्धिमा श्रीवास्तव ने अपने दूसरे अटेम्पट में यूपीएससी परीक्षा न केवल पास की बल्कि 74वीं रैंक के साथ आईएएस सेवा पाने में भी कामयाब रहीं. रिद्धिमा इसके पहले वाले अटेम्पट में प्री परीक्षा में भी चयनित नहीं हुई थीं. हालांकि दूसरे अटेम्पट में उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से सीखा और उन्हें न दोहराते हुए जल्दी ही टॉपर्स की सूची में जगह बना ली. पहले अटेम्पट में रिद्धिमा का दो या ढ़ाई अंक से प्री पास नहीं हुआ था. हालांकि इस बारे में दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में रिद्धिमा कहती हैं कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने नंबर से सेलेक्ट नहीं हुए क्योंकि आखिरकार तो आपका साल खराब होता ही है और सेकेंड अटेम्पट के लिए आपको फिर पूरा एक साल इंतजार करना होता है. उन्होंने बताया कि पहले अटेम्पट में उनसे दो बड़ी गलतियां हुईं थीं. एक तो यह कि उन्होंने ओएमआर शीट एंड में मार्क करना शुरू की और समय कम रह गया यानी कि टाइम-मैनेजमेंट में समस्या आयी और दूसरी यह कि वे परीक्षा वाले दिन काफी स्ट्रेस्ड हो गईं थीं. यही परीक्षा अगर वे घर में दे रही होती तो शायद सेलेक्ट हो जाती पर वहां उनके स्ट्रेस ने उन्हें ओवरलैप कर लिया था. इसलिए रिद्धिमा कहती भी हैं कि पेपर के समय लगातार घड़ी देखते रहें और घर में बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में अभ्यास टेस्ट दें. आइये जानते हैं इस परीक्षा की तैयारी के विषय में रिद्धिमा का मत.

आप यहां रिद्धिमा श्रीवास्तव द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं

प्री के लिए करें बार-बार रिवीजन –

रिद्धिमा प्री की तैयारी के विषय में यही कहती हैं कि अपने सोर्स लिमिटेड रखें और वही रखें जो ज्यादातर कैंडिडेट्स इस्तेमाल करते हैं बस उन्हें समय से खत्म करके बार-बार रिवाइज करें. रिद्धिमा बताती हैं कि उन्होंने अपने टाइम-स्लॉट को ऐसे बांटा हुआ था कि प्री परीक्षा के पहले कम से कम तीन बार पूरा रिवीजन हो जाए. इसके लिए दिन को भी डिवाइड किया था कि कितने दिन में पहला रिवीजन खत्म करना है, कितने में दूसरा और तीसरा. बाकी स्ट्रेटजीस के अलावा रिद्धिमा मानती हैं कि रिवीजन की भी स्ट्रेटजी होनी चाहिए. जैसे कोई रोज के रोज रिवाइज करता है तो कोई दो-तीन दिन में या हफ्ते में एक बार. वे हर दूसरे दिन रिवाइज करती थीं. रिद्धिमा कहती हैं कि आपको जो सूट करे वैसे करें पर रिवीजन बहुत जरूरी है.

प्री और मेन्स के बीच का समय है बहुत जटिल –

रिद्धिमा मानती हैं कि प्री के बाद और मेन्स आने के पहले का समय किसी भी कैंडिडेट के लिए बहुत कठिन होता है क्योंकि सबसे ज्यादा मेहनत इसी समय करनी होती है. रिवीजन के साथ ही यह समय आंसर राइटिंग प्रैक्टिस और अधिक से अधिक मॉक सॉल्व करने का होता है. कुल मिलाकर इस समय में बहुत कुछ करना होता है. इसलिए सबसे ज्यादा मेहनत रिद्धिमा ने इसी समय की. उन्होंने खूब आंसर लिखे और परीक्षा से जुड़े हर एरिया को छुआ. किसी भी एरिया को नेगलेक्ट नहीं किया. ऐस्से हो या एथिक्स रिद्धिमा ने सभी के पेपर सॉल्व किए और उत्तर लिखकर देखें. वे मानती हैं कि सेक्शनल पेपर ज्यादा लाभ नहीं देते जब भी हल करें पूरे-पूरे पेपर हल करें. टॉपर्स के ब्लॉग और उनके उत्तरों से भी रिद्धिमा ने बहुत मदद ली. वे कहती हैं कि टॉपर्स के आंसर्स कुछ दिनों में अपलोड कर दिए जाते हैं, आप उनसे सीखें की उत्तर कैसे लिखना है.

इसके साथ ही रिद्धिमा पिछले साल के प्रश्न-पत्र देखने पर भी जोर देती हैं. वे कहती हैं कि परीक्षा के प्रारूप के समझने का इससे बेहतर तरीका हो ही नहीं सकता. देखें कि पिछले सालों में कैसे प्रश्न आए हैं. जहां तक कॉपी चेकिंग की बात है तो वे खुद अपने आंसर देखती थी क्योंकि रिद्धिमा को लगता था कि आपसे बेहतर कोई आपको जज नहीं कर सकता. इन सबके अलावा रिद्धिमा न्यूज पेपर से नोट्स बनाने में यकी नहीं करती. कई मंथ्ली कंपाइलेशन जरूर वे पढ़ती थी.

रिद्धिमा का अनुभव –

दूसरे कैंडिडेट्स को सलाह देते हुए रिद्धिमा कहती हैं कि एक तो अपने लिए नियम बनाएं और उसी के अनुरूप चलें ताकि टाइम के लिए हाय-तौबा न बचे कि समय नहीं मिलता. वे तो बहुत जल्दी उठती थी पर दूसरों को सलाह देती हैं कि हर कैंडिडेट को 6 या 7 बजे तक उठ जाना चाहिए क्योंकि इसी समय पर परीक्षा होती है तो आपका दिमाग प्रोडक्टिव बना रहता है. इसके अलावा वे ब्रेक्स लेने पर भी काफी फोकस करती हैं. वे कहती हैं आपको जैसे पसंद हो वैसा ब्रेक लें पर खुद को रिफ्रेश करते रहें. जैसे उन्हें अपने परिवार और दोस्तों से बात करना पसंद था. तीसरी जरूरी बात रिद्धिमा कहती हैं कि उन्होंने अपनी तैयारी के दो सालों के दौरान सोशल मीडिया से अच्छी दूरी बनाकर रखी थी. व्हॉट्सअप अनइंस्टॉल कर दिया था. फेसबुक और इंस्टाग्राम कभी नहीं खोला. वे कहती हैं कि इन्हें डिजाइन ही इस प्रकार किया गया है कि ये आपका मैक्सिमम समय खाते हैं जो उनके हिसाब से समय की घनघोर बर्बादी है. साथ ही इन पर आने वाले मैसेजेस बायस्ड होते हैं. ये जिसका पक्ष रखते हैं, बस उसी के हित में बात करते हैं, इससे आपके सोचने की क्षमता पर असर पड़ता है और आप निर्णय नहीं ले पाते. रिद्धिमा को इनके फायदे नहीं दिखते और वे स्टूडेंट्स के लिए सोशल मीडिया को सही नहीं मानती. बाकी आईआरएस ऑफिसर पिता और आईएएस ऑफिसर मां की बेटी रिद्धिमा यह कहना नहीं भूलती कि सबकी स्ट्रेटजी या तैयारी का तरीका अलग होता है इसलिए अपने हिसाब से अपने लिए योजना बनाएं.

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