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IAS Success Story: इंजीनियर से UPSC टॉपर बनने तक तीन प्रयासों में पूरा किया अंशुमन ने यह सफर, यहां जानें उनकी रणनीति

अंशुमन राजहंस ने अपने तीसरे प्रयास में साल 2018 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की. इसी साल उन्होंने इंडियन फॉरेस्ट सर्विस एग्जाम भी क्रैक किया. टेस्ट सीरीज चुनने से पहले किन बातों का रखें ख्याल विस्तार से बताया अंशुमन ने.

Success Story Of IAS Topper Anshuman Rajhans: अंशुमन राजहंस ने यूपीएससी के क्षेत्र में आने के पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उन्होंने दिल्ली आईआईटी से फिजिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया है और स्नातक पूरा होने के बाद कुछ कारणों से यूपीएससी सीएसई और इंडियन फॉरेस्ट सर्विसेस एग्जाम देने का मन बनाया. ग्रेजुएशन के बाद से ही तैयारी शुरू कर देने और अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करने के बावजूद अंशुमन को बार-बार यूपीएससी परीक्षा में असफलता हासिल हुई. हालांकि बार-बार असफल होने के बावजूद अंशुमन ने हिम्मत नहीं हारी और हर बार नये सिरे से तैयारी शुरू की. अंततः उनकी मेहनत रंग लाई और साल 2018 में अपने तीसरे प्रयास में अंशुमन ने आईएफओएस और यूपीएससी सीएसई दोनों परीक्षाएं पास की. दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू में अंशुमन ने टेस्ट सीरीज से संबंधित विभिन्न जरूरी पहलुओं पर चर्चा की.

तीन अटेम्प्ट्स और तीनों में प्री परीक्षा में 130 प्लस स्कोर –

अंशुमन की इस जर्नी की खास बात यह रही की यूं तो उन्हें फाइनल सफलता मिलने में तीन अटेम्प्ट्स लग गए लेकिन इन तीनों ही अटेम्प्ट्स में यूपीएससी सीएसई परीक्षा का पहला और सबसे कठिन माना जाने वाला चरण उन्होंने अच्छे नंबरों से पास किया. तीनों बार अंशुमन का सेलेक्शन प्री परीक्षा में हुआ और स्कोर 130 प्लस रहा. हालांकि अंशुमन मानते हैं कि इस परीक्षा में सफल होने के लिए टेस्ट सीरीज बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं इसलिए कैंडिडेट्स को टेस्ट सीरीज जरूर ज्वॉइन करनी चाहिए और इन्हें ज्वॉइन करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

कैसा है टेस्ट सीरीज का इवैल्युएशन –

अंशुमन कहते हैं कि जब आप टेस्ट देते हैं तो उसके बाद वे आपके पेपरों का इवैल्युएशन करते हैं. ऐसे में यह जरूर पता लगाएं कि वहां कैसा इवैल्युएशन होता है क्योंकि उनका फीडबैक आपके लिए बहुत जरूरी है. अपने सीनियर्स से या किसी और से जिसने वहां टेस्ट सीरीज दी हो, आप यह पूछ सकते हैं.

अगली जरूरी बात आती है वीडियो डिस्कशन की. जब कैंडिडेट्स परीक्षा दे लेते हैं तो आंसर्स को वीडियो के माध्यम से डिस्कस किया जाता है. टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करने से पहले यह भी देख लें कि वहां जो लोग डिस्कशन करते हैं, वे कैसे हैं यानी वहां के टीचर्स कैसे हैं और क्या डिस्कशन वाकई फ्रूटफुल होता है. ये बिंदु पता करके ही टेस्ट सीरीज में इनरोल कराएं.

आंसर फॉरमेट की क्वालिटी और पर्सनल इंटरैक्शन की सुविधा –

अंशुमन आगे कहते हैं कि टेस्ट हो जाने के बाद संस्थान की तरफ से आंसर फॉरमेट दिए जाते हैं. यह जानना भी एक कैंडिडेट के लिए जरूरी है कि जो आंसर्स उन्हें प्रोवाइड किए जा रहे हैं वह किस क्वालिटी के हैं. उनमें वे सब चीजें हैं, जो एक उत्तम आंसर में होने चाहिए या नहीं.

अगली जरूरी बात कि क्या जरूरत पड़ने पर वहां टीचर्स से पर्सनल इंटरैक्शन हो सकता है. जैसे आप किसी प्रश्न को लेकर कंफ्यूज हैं या कोई चीज बार-बार गलत कर रहे हैं तो क्या किसी टीचर से पर्सनली मिलकर उन्हें दूर कर सकते हैं. ये और ऐसी बहुत सी छोटी लेकिन जरूरी बातों को पता करने के बाद ही टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करे.

अगर नहीं कर सकते टेस्ट सीरीज ज्वॉइन –

अंशुमन कहते हैं कि हर कैंडिडेट न तो दिल्ली आ सकता है न ही टेस्ट सीरीज एफॉर्ड कर सकता है. इसलिए ऐसे कैंडिडेट्स के पास एक तरीका है कि वे पिछले साल के पेपर निकालकर उनसे प्रैक्टिस करें. टॉपर्स के जो आंसर्स इंटरनेट पर अपलोड होते हैं उनसे अपने आंसर्स को मैच करें और देखें कि आपमें कहां कमी है. ऐसा नहीं है कि अगर आप टेस्ट सीरीज ज्वॉइन नहीं कर पा रहे हैं तो यह बहुत बड़ी समस्या है. इसके लिए जो दूसरे ऑप्शन हैं, वे अपनाएं. खुद के लिए समय-सीमा तय करें और उसके अंदर पेपर खत्म करने की कोशिश करें. अगर आप किसी सीनियर या टीचर को जानते हों जो दो-तीन बार आपकी कॉपी चेक कर दे और आपको आपकी कमी बता दे तो उससे अच्छा तो कुछ हो ही नहीं सकता.

अंशुमन की सलाह –

अंशुमन कहते हैं कि टेस्ट सीरीज के मेन तीन मकसद होते हैं और इन तीनों ही एंड्स पर आपको मेहनत करनी होगी. पहला टाइम मैनेजमेंट क्योंकि चाहे किसी कैंडिडेट को कितना भी आता हो वह समय से पेपर खत्म नहीं कर सकता अगर उसने खूब प्रैक्टिस नहीं की है. शुरू में वही पेपर चार घंटे में खत्म होगा, फिर साढ़े तीन घंटे में और इसी तरह समय घटेगा. दूसरी जरूरी बात कि क्या आप कंटेंट में क्वालिटी डाल पा रहे हैं यानी किसी उत्तर में बढ़िया इंट्रो और कॉन्क्लूजन लिखना, सब-हेडिंग्स देना, डायग्राम बनाना वगैरह. यह सब भी अभ्यास से आएगा इसलिए प्रैक्टिस करें और यह भी सीखें और अंतिम जरूरी बात कि आंसर राइटिंग प्रैक्टिस करें. इसमें एक अच्छे उत्तर के सारे प्वॉइंट्स आ जाते हैं जैसे जो पूछा गया है वही बताना, प्रश्न के हर हिस्से का जवाब देना, समय-सीमा और शब्द सीमा का ख्याल रखना और प्रेजेंटेशन पर भरपूर ध्यान देना. परीक्षा पास करने के लिए ये सभी बिंदु बहुत जरूरी हैं और इनके अभ्यास के लिए टेस्ट सीरीज. इसलिए खूब प्रैक्टिस करके ही परीक्षा देने जाएं.

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