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IAS Success Story: छोटे से गांव से IAS बनने तक, संघर्षों से भरा था अनिल का यह सफर

साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 81वीं रैंक के साथ टॉप करने वाले अनिल ने इसके पहले कई बार असफलता का मुंह देखा, लेकिन कभी हार नहीं मानी.

Success Story Of IAS Topper Anil Rathore: मध्य प्रदेश के मुरैना के अनिल राठौर की यूपीएससी जर्नी खासी लंबी रही. इस सफर में हिम्मत न टूटने देना और खुद पर भरोसा बनाए रखना आसान नहीं होता है, लेकिन अनिल ने इन सालों को खुद की परीक्षा का समय समझकर न सिर्फ समझदारी से पार किया बल्कि सफलता भी हासिल की. हालांकि, उन्हें सफलता तुलनात्मक देर से मिली लेकिन अनिल ने प्रयासों में कोई कमी नहीं आने दी. हर बार अपनी गलतियों से सीखते हुए वे आगे बढ़े और अंततः अपने पांचवें प्रयास में न सिर्फ सफल हुए बल्कि टॉपर्स में भी शामिल हो गए. इसके पहले अपने चौथे अटेम्पट में भी अनिल का सेलेक्शन हुआ था, लेकिन रैंक आयी थी 569, जिससे उन्हें इंडियन रेलवेज एकाउंट्स सर्विसेस सेवा मिली और इसी में वे वर्तमान में कार्यरत हैं. अनिल अपनी रैंक से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने दोबारा कोशिश की और आखिरकार उनकी सालों की मेहनत रंग लाई और वह आईएएस पद के लिए चयनित हो गए. आज जानते हैं अनिल से उनके संघर्षों के बारे में.  दरअसल दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में अनिल राठौर ने कई महत्वपूर्ण बातें बताईं. आइए जानते हैं..

आप यहां अनिल राठौर द्वारा दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए इंटरव्यू का वीडियो भी देख सकते हैं

मुरैना के हैं अनिल –

अनिल मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के एक छोटे से गांव से हैं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई यहीं से हुई और क्लास 5 तक उन्होंने हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की. क्लास पांच के बाद उन्होंने बोर्ड बदला और स्कूल की शिक्षा खत्म होने के बाद आईआईटी एंट्रेंस दिया. इसमें उनकी रैंक दो हजार से ऊपर आयी और उन्होंने लोकल के एक संस्थान से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. अनिल एक साक्षात्कार में बात करते हुए कहते हैं कि उनकी जिंदगी में इंजीनियरिंग के दिनों में ही सबसे ज्यादा ग्रोथ हुई, वे अपने इन दिनों को बिल्डिंग ईयर्स मानते हैं. इसी दौरान उन्हें यूपीएससी देने का ख्याल आया और वे इसकी तैयारी में जुट गए. शुरुआत में उन्होंने कोचिंग ली, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनका टेक्निकल बैकग्राउंड है तो ह्यूमैनिटीज के एंग्ल से चीजों को समझने के लिए उन्हें गाइडेंस की जरूरत है. इसके बाद की तैयारी उन्होंने खुद की.

एनसीईआरटी को मानते हैं बहुत जरूरी –

दूसरे कैंडिडेट्स की तरह अनिल भी यूपीएससी की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबों को बहुत जरूरी मानते हैं. वे कहते हैं कि इन किताबों में दी जानकारी आपको आगे तक बहुत मदद करती है क्योंकि आपके बेसिक्स क्लियर हो जाते हैं. अनिल आगे कहते हैं कि अगर आपके पास समय है तो क्लास 6 से 12 तक की एनसीईआरटी पढ़ लें, लेकिन आगर समय कम हो तो कम से कम क्लास 11 और 12 की एनसीईआरटी जरूर पढ़ें. इसके बाद अगर आपके पास कोचिंग के नोट्स हों तो उन पर आएं और उन्हें ठीक से पढ़ें. किताबों की बात करें तो अनिल भी लिमिटेड रिर्सोस रखने, उन्हें ही ठीक से पढ़ने और बार-बार रिवीजन करने पर जोर देते हैं. वे कहते हैं यूपीएससी की तैयारी के लिए कुछ फेमस राइटर्स की किताबें हैं जिन्हें लगभग सभी पढ़ते हैं, उन्होंने भी वही किताबें चुनी और खूब अच्छे से उनसे पढ़ाई की. अनिल ने अपना ऑप्शनल भी बदला. पहले उन्होंने ज्योग्राफी ऑप्शनल चुना था फिर उसमें नंबर कम आने के बाद उन्होंने ऑप्शनल बदलने का फैसला लिया. उनका दूसरा ऑप्शनल केमिस्ट्री रहा. इसमें उन्हें अपने सीनियर्स से गाइडेंस के साथ ही नोट्स भी मिले और उन्होंने अपने बाद के अटेम्पट इसी विषय के साथ दिए.

जब टूटने लगी थी हिम्मत –

आज अनिल सफल है पर ऐसा नहीं है कि यहां तक आने में उन्होंने मुश्किलों का सामना नहीं किया है या उनकी इस जर्नी में डिप्रेसिव फेज नहीं आया. बीच में कई बार ऐसा हुआ जब बार-बार की असफलता ने अनिल को निराश कर दिया और वे सोचने लगे कि पता नहीं उनसे होगा भी या नहीं पर उन्होंने खुद को हिम्मत बंधायी कि परेशान होने से कुछ नहीं होगा उनको यह देखना होगा कि कमी कहां है और उसे कैसे दूर करना है. एनालिसेस करने पर अनिल ने पाया की वे अपनी तैयारी में वैल्यू एडिशन नहीं कर रहे थे बस एक ही ट्रैक पर आगे बढ़े जा रहे थे. अपनी इस गलती को उन्होंने सुधारा और नतीजा सबके सामने है.

 अनिल का अनुभव –

अनिल अपनी तैयारी से प्राप्त अनुभव को साझा करते हुए कहते हैं कि इस परीक्षा में आंसर राइटिंग बहुत जरूरी है इसलिए इसका अभ्यास जरूर करें. खूब रिवीजन करने के बाद मॉक टेस्ट दें ताकि जान पाएं की आपकी कमी क्या है. इसके साथ ही सीमित समय के अंदर पेपर खत्म करना सीखें. एक उत्तर पर बहुत समय न लगाएं भले वो आपको बहुत अच्छे से आता हो. यूपीएससी में समय का इतना अधिक खेल होता है कि अगर आपने कहीं ज्यादा समय दिया तो कहीं कुछ न कुछ छूटेगा जरूर, इसलिए इसे बैलेंस करते चलें. यह अभ्यास से ही आएगा. अनिल अपना अनुभव बताते हैं कि वे पहले के प्रयासों में पेपर छोड़कर जरूर आते थे. बाद में उन्होंने सीखा की भले कम लिखो पर अधिक से अधिक आंसर अटेम्पट करने की कोशिश करो. इससे कम से कम पांच या छ अंक तो बढ़ ही जाते हैं, जिससे रैंक में बहुत फर्क आ जाता है. अनिल ऐस्से और एथिक्स के पेपर को भी बराबर महत्व देने की बात कहते हैं. अंत में कैंडिडेट्स को यही सलाह दी जाती है कि खूब मन लगाकर तैयारी करें, कई बार मंजिल देर से मिलती है पर मिलती जरूर है.

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