H-1B वीजा ने बढ़ा दी टेंशन, जानिए अमेरिका में नौकरी के लिए और कौन-कौन से ऑप्शन?
H-1B वीजा उनके लिए अहम है, जो अमेरिका की आईटी कंपनियों में काम करते हैं. खासकर दूरदराज के इलाकों में ऐसी जगह, जहां लोकल प्रोफेशनल्स उपलब्ध नहीं है, वहां विदेशी कर्मचारियों पर निर्भरता ज्यादा रहती है.

अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये कर दी है. यह नई फीस केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगी और इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के तहत लागू किया गया है. हालांकि अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया है कि कुछ मामलों में राष्ट्रीय हित को देखते हुए वीजा शुल्क में छूट दी जा सकती है. दरअसल H-1B वीजा उन एक्सपर्ट्स और ट्रेंड प्रोफेशनल्स के लिए अहम है, जो अमेरिका के हॉस्पिटल और आईटी कंपनियों में काम करने आते हैं. खासकर दूरदराज के इलाकों में ऐसी जगह पर जहां लोकल प्रोफेशनल्स उपलब्ध नहीं होते हैं, वहां विदेशी कर्मचारियों पर निर्भरता ज्यादा रहती है.
फीस बढ़ाने का असर
H-1B वीजा की फीस बढ़ने को लेकर आईटी इंडस्ट्री के प्रमुख संगठन नासकॉम का कहना है, कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में H-1B वीजा पर निर्भरता को कम कर दी है. 2015 में भारत से जारी किए गए H-1B वीजा की संख्या 14, 792 थी, जो 2024 में घटकर 10,162 रह गई . नासकॉम का कहना है कि नई फीस केवल नए आवेदनों पर लागू होगी और मौजूदा वीजा धारकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. नासकॉम के अनुसार H-1B वीजा कर्मचारियों की संख्या बड़ी कंपनियों में कुल कर्मचारियों का केवल एक प्रतिशत से भी कम है. इस वीजा के तहत काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन स्थानीय कर्मचारियों के बराबर होता है.
फीस बढ़ने के बाद अमेरिका में नौकरी के नए ऑप्शन
H-1B वीजा की फीस बढ़ाने के बाद कई कंपनियां L-1 वीजा की और बढ़ रही है. यह वीजा उन कर्मचारियों के लिए है जो पहले से कंपनी में काम कर रहे हैं और अमेरिका में ट्रांसफर होना चाहते हैं. इसके लिए कंपनी में कम से कम 1 साल की नौकरी और स्पेशल नॉलेज वाला रोल होना जरूरी है. इसके अलावा अमेरिका में नौकरी के लिए O-1 वीजा भी उपलब्ध है. यह वीजा असाधारण प्रतिभा रखने वाले प्रोफेशनल्स के लिए जारी किया जाता है. वहीं अमेरिका में नौकरी के लिए J-1 वीजा भी उपलब्ध है, यह वीजा ट्रेनी और इंटर्न के लिए होता है. इसके अलावा आप EB-1A वीजा से भी अमेरिका में नौकरी कर सकते हैं. यह वीजा भी असाधारण टैलेंट वाले प्रोफेशनल्स को सीधा ग्रीन कार्ड देता है. वहीं अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों को STEM OPT के तहत 3 साल तक नौकरी करने की अनुमति भी मिलती है.
अमेरिका में पढ़ने वालों छात्रों पर प्रभाव
H-1B वीजा की फीस एंट्री लेवल नौकरियों पर असर डाल सकती है. वहीं वीजा में बदलावों के बाद कंपनियां अब स्थानीय या अमेरिकी ग्रैजुएट्स को प्राथमिकता देगी. इससे भारतीय छात्रों के लिए नौकरी के अवसर कम हो सकते हैं. ऐसे में भारतीय ग्रेजुएट जापान, आयरलैंड, कनाडा और यूरोप जैसे देशों में अवसर तलाश रहे हैं.
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Source: IOCL






















