केमिकल इंजीनियरिंग या इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री... साइंस स्टूडेंट्स के लिए कौन सा कोर्स बेहतर?
अगर आप साइंस स्टूडेंट हैं और केमिस्ट्री में करियर बनाना चाहते हैं, तो केमिकल इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री में से सही कोर्स चुनना जरूरी है. जानिए दोनों में फर्क और करियर विकल्प.

अगर आप साइंस के स्टूडेंट हैं और आपकी रुचि केमिस्ट्री सब्जेक्ट में है तो आपके सामने भी यह दुविधा आई होगी कि आपको केमिकल इंजीनियरिंग और इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री दोनों में से किस सब्जेक्ट या कोर्स को आगे पढ़ना चाहिए, जिससे आप अपने करियर में सफलता पा सकें. ये दोनों ही विषय केमिस्ट्री के ही हिस्से हैं, लेकिन इनका काम एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है.
इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री के माध्यम से किसी भी पदार्थ को बनाने के लिए रिसर्च की जाती है. इस कोर्स के तहत आपका मुख्य काम प्रयोगशाला में किसी भी पदार्थ के रसायन को समझना और उसे बेहतर बनाना होता है. वहीं केमिकल इंजीनियरिंग में किसी पदार्थ या रसायन को बनाया नहीं जाता, बल्कि तैयार रसायन और पदार्थ को आम लोगों के इस्तेमाल के लायक बनाना होता है. इसका काम सिर्फ रसायनों को समझना नहीं, बल्कि उन्हें बड़े कारखानों में सुरक्षित और सस्ते तरीके से बनाने की तकनीक विकसित करना होता है. आइए जानते हैं कि दोनों सब्जेक्ट्स में करियर के क्या विकल्प हैं.
इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री में क्या पढ़ाया जाता है?
अगर आप इंडस्ट्रियल केमिस्ट्री में बी.टेक करते हैं, तो आपको यह जानने को मिलेगा कि किसी भी नए पदार्थ या रसायन को बनाने के लिए किस प्रकार रिसर्च की जाती है. यानी कोई नया उत्पाद या पदार्थ किस तरह बनाया जाए. इसमें आपका ध्यान रसायनों के बीच तालमेल बनाना और एक नया व बेहतर फार्मूला तैयार करना होता है.
केमिकल इंजीनियरिंग में क्या सिखाया जाता है?
वहीं अगर आप केमिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक करते हैं, तो आपको तैयार फॉर्मूले को लेकर बड़े पैमाने पर किसी चीज का निर्माण करना सिखाया जाता है. इस कोर्स में मशीनों और प्लांट्स को डिजाइन करना शामिल होता है, जिससे किसी उत्पाद को बड़ी मात्रा में बनाया जा सके. केमिकल इंजीनियरिंग पढ़ने वाले लोग यह सुनिश्चित करते हैं कि फैक्ट्री में उत्पाद सही तरीके से बने, कम बिजली खर्च हो और उत्पादन की लागत भी कम आए.
केमिकल इंजीनियरिंग में करियर विकल्प
केमिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक करने के बाद आपको कई क्षेत्रों में करियर के विकल्प मिलते हैं. रिलायंस, ONGC और टाटा केमिकल्स जैसे बड़े उद्योगों में काम करने का मौका मिलता है. यहां आपका मुख्य काम बड़े-बड़े प्लांट्स को संभालना, नई मशीनों को डिजाइन करना और यह सुनिश्चित करना होता है कि कारखानों में बनने वाले उत्पाद सही गुणवत्ता के हों.
इंडस्ट्रियल केमिस्ट का काम क्या होता है?
इंडस्ट्रियल केमिस्ट का मुख्य काम किसी भी कंपनी में उत्पाद की गुणवत्ता को जांचना होता है. वे यह देखते हैं कि जो माल या वस्तु प्लांट में बन रही है, उसकी क्वालिटी सही है या नहीं. अधिकतर इंडस्ट्रियल केमिस्ट क्वालिटी एश्योरेंस (Quality Assurance) विभाग के बड़े पदों पर काम करते हैं, जहां उनका मुख्य काम उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखना होता है.
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