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अब सीबीएसई के विशेष जरूरतों वाले विद्यार्थी परीक्षा में कर सकेंगे कैलकुलेटर का इस्तेमाल

सीबीएसई बोर्ड ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए स्पेशल नीड्स वाले स्टूडेंट्स को बोर्ड एग्जाम में कैलकुलेटर के इस्तेमाल की छूट दे दी है. यहां पढ़े पूरी खबर

नागपुरः सीबीएसई बोर्ड ने आने वाले समर बोर्ड एग्जाम्स को विशेष जरूरतों वाले विद्यार्थियों के लिये थोड़ा आसान बनाने की पहल की है. उन्होंने एक बड़ा निर्णय लेते हुए स्टूडेंट्स विद स्पेशल नीड्स को पेपर के दौरान कैलकुलेटर प्रयोग करने की इजाजत दे दी है. यह डिसकेलकुलिया (एक प्रकार की अक्षमता) से पीड़ित उम्मीदवारों के लिये एक बहुत बड़ा कदम है. आपकी जानकारी के लिये बता दें कि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मैथ्स के कैलकुलेशन करने में खासी दिक्कत पेश आती है. वह सामान्य व्यक्ति की तुलना में साधारण जोड़-भाग भी देर से समझ पाता है.

इन नियमों का रखें ध्यान 

इस नियम के लागू होने का मतलब यह कतई नहीं है कि एग्जाम में भाग लेने वाले सभी स्टूडेंट्स को यह सुविधा प्रदान कर दी जायेगी. इसका लाभ केवल वही स्टूडेंट्स उठा सकते हैं, जिन्होंने खुद को चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड्स (सीडब्ल्यूएसएन) के तहत रजिस्टर कराया है. आपकी जानकारी के लिये बता दें कि इस सुविधा के तहत बेसिक सिम्पल कैलकुलेटर ही प्रयोग किया जा सकता है. किसी खास तरह के हाईटेक कैलकुलेटर को एग्जाम सेंटर न ले जायें. उसके प्रयोग की आज्ञा नहीं मिलेगी.

दूसरा तरीका यह है कि स्टूडेंट्स विशेष तौर पर इस सुविधा को पाने के लिये आवेदन कर दें. 28 जनवरी तक विद्यार्थी लिखित में अपने स्कूल के प्रिंसिपल से इस बाबत अप्लीकेशन देकर आज्ञा मांग सकते हैं. यह अप्लीकेशन रीज़नल आफिस (आरओ) तक 2 फरवरी तक पहुंच जाने चाहिए. रीज़नल आफिस ही स्कूल अथवा एगजाम सुपरिटेंडेंट को फाइनल अप्रूवल देंगे. तो इस सुविधा को पाने के लिए आवश्यक है कि समय रहते आवेदन कर दें.

क्या है डिसकेलकुलिया ?

यह एक प्रकार की ब्रेन कंडीशन होती है, जिसके होने पर बेसिक अर्थमेटिक आसानी से समझ नहीं आती. बच्चा नंबरों को लेकर अक्सर असमंजस की स्थिति में रहता है. जहां सामान्य बच्चे बहुत पहले गिनती सीख लेते हैं, वहीं ये बाद तक उँगलियों पर गिनते हैं. छोटा सा गुणा-भाग भी इनके लिये काफी कठिन होता है. इसे मैथेमेटिकल लर्निंग डिसएबेलिटी या मैथ्स डिसऑर्डर के नाम से भी जानते हैं. यह अटेंशन डिफिक्ट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर से संबंधित है. साइकोलाजिस्ट और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ इनकी मदद कर सकते हैं, पर इन्हें अपना काम पूरा करने के लिये कैलकुलेटर की सुविधा बहुत मदद करती है. साथ ही काम खत्म करने के लिए सामान्य स्टूडेंट्स से थोड़ा ज्यादा समय इन्हें प्रदान करना भी मददगार साबित होता है.

दूसरे बोर्ड्स में भी मिलती हैं सुविधाएं 

हर बोर्ड  के नियम इस बाबत अलग हैं. सीबीएसई ने यह प्रक्रिया अभी अपनायी है पर आईसीएसई बोर्ड या सीआईएससीई बोर्ड बहुत पहले से डिसकेलकुलिया से पीड़ित स्टूडेंट्स को कई तरह की राहत प्रदान करता है. जैसे इस बोर्ड में कैलकुलेटर का इस्तेमाल तो अलाउ है ही साथ ही ऐसे स्टूडेंट्स को सुविधा मिलती है कि वे क्लास 10 में ही मैथ्स छोड़ सकते हैं. वहीं महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड स्टूडेंट्स को कैलकुलेटर प्रयोग की छूट तो नहीं देता पर उन्हें परीक्षा पूरी करने के लिये अतिरिक्त समय दिया जाता है. कुछ भी हो पर सीबीएसई बोर्ड का यह कदम हर मायने में स्वागत योग्य है.

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