भरी अदालत में शख्स करने लगा काला जादू, कोर्ट रूम में बिखेर दिए चावल, जज ने लिया ये एक्शन
दिल्ली कोर्ट में जब आरोपी ने अदालत कक्ष में चावल फेंके तो मौजूद अधिवक्ताओं ने चावल को हटवाकर सफाई करवाने का अनुरोध किया. हालांकि, इस दौरान कोर्ट की कार्यवाही करीब 20 मिनट तक बाधित हुई.

दिल्ली की एक अदालत ने एक शख्स को अदालत की कार्यवाही में बाधित करने के मामले में कोर्ट के उठने तक जेल में रखने की सजा सुनाई और 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. दरअसल, शख्स ने अदालत कक्ष में सुनवाई के दौरान चावल फेंक दिए थे. जिसके कारण अदालत की कार्यवाही 15-20 मिनट तक बाधित हो गई.
अधिकारियों ने कहा कि यह घटना सोमवार (11 अगस्त, 2025) को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शेफाली बरनाला टंडन की अदालत में हुई. जहां अदालत के कर्मचारियों और वकीलों ने कहा कि आरोपी डॉ. चंद्र विभास ने भरी अदालत में जानबूझकर चावल फेंक दिए थे.
वहीं, अदालत ने अपने आदेश में कहा, “अदालत कक्ष खचाखच भरा हुआ था, वहां मौजूद अधिवक्ताओं ने कोर्ट ने अनुरोध किया कि फेंके हुए चावलों को हटवाकर कोर्ट रूम को साफ करवाया जाए, क्योंकि वे हर तरफ बिखरे हुए थे. हालांकि, इस घटना के बाद वे अपने मामलों की सुनवाई के लिए अदालत की डाइस के पास आने में भी संकोच कर रहे हैं.”
चावल फेंकने से काला जादू करने की आशंका
इसके बाद कोर्ट में जज ने खुद आरोपी को ही चावल समेटने का निर्देश दिया और सफाईकर्मी को बुलवाया. आदेश में कहा गया, “जब तक सफाईकर्मी अदालत में आया नहीं, तब तक वकीलों के अनुरोध पर अदालत की कार्यवाही रोक दी गई, क्योंकि आरोपी के चावल फेंके जाने से काला जादू होने की आशंका थी. करीब 10 मिनट के बाद अदालत कक्ष में सफाईकर्मी आया और फर्श की सफाई की.”
इस दौरान वर्चुअल रूप से पेश हुए आरोपी के वकील ने अदालत में शारीरिक रूप से पेश होने के लिए कुछ समय मांगा. वहीं, इस दौरान डॉ. विभास अदालत कक्ष में घुटनों के बल बैठकर माफी मांगने लगे. इसके बाद जब दोपहर 2 बजे अदालत की कार्यवाही फिर से शुरू हुई, तो जज ने आरोपी के इस कृत्य की गंभीरता पर जोर दिया.
कार्यवाही फिर से शुरू होने पर जज ने की कार्रवाई
अतिरिक्त जज ने कहा, “अदालत का अपमान या न्यायिक कार्यवाही में बाधा डालना समाज को एक हानिकारक संदेश देता है. आरोपी के इस व्यवहार ने न सिर्फ अदालत की कार्यवाही को बाधित किया बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को कमजोर किया और हमारे कानूनी सिस्टम की नींव को भी खतरे में डाल दिया.”
अदालत ने आरोपी के इस कृत्य को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 267 के तहत अपराध माना. बीएनएस की धारा 267 न्यायिक कार्यवाही के दौरान जानबूझकर पब्लिक सर्वेंट का अपमान करने और उसके कार्य में बाधा डालने से संबंधित है.
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Source: IOCL





















