आखिर क्या है टैरिफ जिसे लेकर इतना सिर खपा रहे लोग? सदियों से किया जा रहा इस्तेमाल
Tariff: ट्रंप कोई पहले शख्स नहीं है, जिन्होंने तमाम देशों के आयातों पर टैरिफ थोपने का काम किया है, बल्कि टैरिफ सदियों से चला आ रहा है. इससे लोकल ट्रेड को बढ़ावा मिलता है और अधिक रेवेन्यू जेनरेट होता है.

Tariff: अमेरिका ने भारतीय सामानों के आयात पर 50 परसेंट टैरिफ लगा रखा है. अभी हाल ही में मेक्सिको ने भी भारतीय उत्पादों के देश में निर्यात पर 50 परसेंट तक टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए तब से टैरिफ शब्द का ज्यादा इस्तेमाल होने लगा है. ट्रंप ने भारत, ब्राजील से लेकर यूरोपीय यूनियन पर भी टैरिफ लगा रखा है. अब सवाल यह आता है कि आखिर ये टैरिफ है क्या?
क्या होता है टैरिफ?
टैरिफ एक तरह का टैक्स है, जो सरकार बाहरी देशों से आने वाले सामान और सेवाओं पर लगाती है. उदाहरण के लिए, अगर अपने देश की कोई कंपनी विदेश की किसी कंपनी में बने जूते लाती है, तो उसे सरकार को टैरिफ देना होगा, जिससे जूते लोकल मार्केट में ज्यादा महंगे हो जाएंगे. ट्रंप कोई पहले शख्स नहीं है, जिन्होंने तमाम देशों के आयातों पर टैरिफ थोपने का काम किया है, बल्कि टैरिफ सदियों से चला आ रहा है. इसका इस्तेमाल अपने लोकल ट्रेड को बढ़ावा देने और रेवेन्यू पाने के लिए किया जाता रहा है.
टैरिफ एक बॉर्डर शुल्क या टैक्स है, जिसे सरकार दूसरे देशों से इम्पोर्ट किए जाने वाले सामान पर लगाती है. सामान इम्पोर्ट कराने वाली कंपनियों को बॉर्डर पर यह टैक्स देना होता है. सर्विस प्रोवाइडर के साथ भी ऐसा ही है. जाहिर तौर पर इम्पोर्ट पर खर्च ज्यादा होगा, तो चीजें लोकल मार्केट में ऑटोमेटिकली महंगी हो जाएंगी. टैरिफ दो तरह के होते हैं:-
स्पेसिफिक टैरिफ- आयात की गई प्रति यूनिट पर एक तय कीमत जैसे कि हर ऑटोमोबाइल के लिए 500 डॉलर.
एड-वेलोरम टैरिफ- सामान की कीमत का एक हिस्सा जैसे किसी आइटम की कीमत का 5 परसेंट.
सरकार क्यों लगाती है टैरिफ?
टैरिफ सरकार के लिए रेवेन्यू हासिल करने का एक तरीका है. इसका एक और फायदा यह है कि इससे लोकल कंपनियां विदेशी कंपनियों का मुकाबला कर पाती हैं. इसे एक उदाहरण से हम ऐसे समझ सकते हैं- मान लीजिए चीन की कंपनियां मोबाइल फोन बना रही हैं और इसे अमेरिका में बेचने के लिए वहां बड़े पैमाने पर एक्सपोर्ट कर रही हैं. कंपनी फायदा कमाने की चाहत में वहां सस्ते रेट पर नई टेक्नोलॉजी के साथ अपना स्मार्टफोन बेचेगी, तो जाहिर तौर पर लोग इसे ही ज्यादा खरीदेंगे.
इससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचेगा और सरकार का रेवेन्यू भी कम होगा. इसी से निपटने के लिए सरकार टैरिफ का सहारा लेती है ताकि घरेलू कंपनियों को बचाया जा सके और रेवेन्यू भी कम न हो. टैरिफ लगाने से चीनी फोन अमेरिकी बाजारों में महंगे हो जाएंगे. इसके चलते लोग वापस से लोकल कंपनियों का ही रूख करेंगे, जिससे वहां की कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा.
भारत सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में
आमतौर पर टैरिफ सभी देश लगाते हैं, बस रेट का फर्क होता है. हालांकि, भारत दूसरे देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से है. ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत ने 150 परसेंट, 125 परसेंट और 100 परसेंट टैरिफ दरों को हटा दिया. पहले भारत लग्जरी कारों के आयात पर 125 परसेंट टैरिफ लगाता था, जिसे अब घटाकर 70 परसेंट कर दिया गया है और अब यही भारत में टैरिफ का सबसे हाई रेट है. साल 2025 में भारत में टैरिफ दरों में औसत 10.65 परसेंट तक की कमी आ चुकी है.
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Source: IOCL























