Explained: चांदी की कीमत में 1 साल के दौरान 135% की उछाल, निवेश करें या बेचें? जानें एक्सपर्ट्स की राय
वैश्विक स्तर पर चांदी की आपूर्ति सीमित होती जा रही है और चीन जैसे देशों द्वारा जमाखोरी तथा भविष्य में निर्यात पर नियंत्रण की आशंकाओं ने बाजार में सप्लाई को लेकर चिंता और बढ़ा दी है.

Investment in Silver: एक तरफ जहां भारतीय रुपये में कमजोरी, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों की चिंता बढ़ाई है, वहीं दूसरी तरफ सोना और खासकर चांदी ने इस साल निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न देकर मालामाल कर दिया है. साल 2025 में 24 कैरेट सोना जहां प्रति 10 ग्राम 1 लाख 34 हजार रुपये के स्तर को पार कर गया है, वहीं चांदी ने तो रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है. जनवरी 2025 में करीब 88,000 रुपये प्रति किलो बिकने वाली चांदी अब 2,11,000 रुपये प्रति किलो के आसपास पहुंच चुकी है, यानी एक ही साल में इसमें लगभग 135 प्रतिशत से ज्यादा की उछाल देखने को मिली है.
चांदी की कीमतों में इस ऐतिहासिक तेजी के पीछे कई ठोस कारण हैं. सबसे बड़ा कारण इसका तेजी से बढ़ता औद्योगिक और तकनीकी उपयोग है. सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, मोबाइल फोन, लैपटॉप, सेमीकंडक्टर, 5जी नेटवर्क और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चांदी एक अहम कच्चा माल बन चुकी है. इसके अलावा मेडिकल उपकरणों में भी इसकी मांग लगातार बढ़ रही है.
क्यों बढ़ रही मांग
दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर चांदी की आपूर्ति सीमित होती जा रही है और चीन जैसे देशों द्वारा जमाखोरी तथा भविष्य में निर्यात पर नियंत्रण की आशंकाओं ने बाजार में सप्लाई को लेकर चिंता और बढ़ा दी है.
निवेश के लिहाज से भी लोग अब सोने के साथ-साथ चांदी को सुरक्षित विकल्प मानने लगे हैं, जिसका नतीजा यह है कि सिल्वर ईटीएफ और फिजिकल सिल्वर (सिक्के, बार) में निवेश तेजी से बढ़ रहा है. भू-राजनीतिक तनाव, जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, मिडिल ईस्ट में अशांति, भारत-पाकिस्तान तनाव और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ जैसे कारकों ने शेयर बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है, जिससे निवेशकों का झुकाव सुरक्षित संपत्तियों की ओर हुआ है.
आगे क्या रहेगा चांदी का रुख?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रुझान बना रहा और औद्योगिक मांग के साथ आपूर्ति में कमी जारी रही, तो 2026 में चांदी की कीमत 2.50 लाख रुपये प्रति किलो के स्तर को भी पार कर सकती है. ऐसे में निवेशकों के लिए सलाह दी जा रही है कि वे एकमुश्त निवेश की बजाय मासिक एसआईपी के जरिए या फिजिकल चांदी में धीरे-धीरे निवेश करें, ताकि जोखिम भी संतुलित रहे और लंबे समय में बेहतर रिटर्न मिल सके.
कुल मिलाकर, मौजूदा वैश्विक हालात में सोना और चांदी न सिर्फ सुरक्षित निवेश बने हुए हैं, बल्कि रिटर्न के मामले में भी शेयर बाजार को पीछे छोड़ते नजर आ रहे हैं.
Source: IOCL






















