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UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)
फिर घटी जीएसटी से कमाई, जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 18 जनवरी को
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर के महीने के लिए 25 दिसंबर तक कुल मिलाकर 80,808 करोड़ रुपये बतौर जीएसटी हासिल हुए.
नई दिल्लीः वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी से होने वाली कमाई में गिरावट का सिललिसा जारी है. नवबंर के महीने में कुल कमाई करीब 81 हजार करोड़ रुपये की रही है.
पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पहली जुलाई से लागू किया गया. इसके तहत केंद्र और राज्यों के 17 तरह के अप्रत्यक्ष कर और 23 तरह के सेस को मिलाकर एक कर लागू किया गया है. हालांकि कर की दर एक नहीं है. अभी विभिन्न तरह के सामान और सेवाओं पर मुख्य रुप से 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से कर लगाया जाता है जबकि सोने-चांदी जैसे बहुमूल्य धातुओं के लिए 3 फीसदी की विशेष दर है. साथ ही मोटर वाहनों और लग्जरी सामान पर 28 फीसदी के ऊपर सेस भी लगाया जाता है.
जीएसटी को मुख्य रुप से दो हिस्सों, सीजीएसटी (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) और एसजीएसटी (स्टेट्स गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) में बांटा जाता है. दूसरी ओर दो राज्यों के बीच होने वाले व्यापार पर आईजीएसटी (इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) लगाया जाता है. लेकिन ध्यान रहे कि आईजीएसटी कोई अलग से कर नहीं है और जब आईजीएसटी लगता है, उस पर अलग से सीजीएसटी व एसजीएसटी नहीं लगाया जाता. एक और बात जीएसटी से हुई कमाई का आधा हिस्सा केंद्र और बाकी राज्यों को जाता है जबकि सेस से हुई कमाई के जरिए उन राज्यों के मुआवजा दिया जाता है, जहां जीएसटी लागू होन के बाद कमाई घट गयी है.
नवंबर के आंकड़े
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर के महीने के लिए 25 दिसंबर तक कुल मिलाकर 80,808 करोड़ रुपये बतौर जीएसटी हासिल हुए. इसमे 13,089 करोड़ रुपये सीजीएसटी और 18,650 करोड़ रुपये एसजीएसटी के तौर पर मिले. आईजीएसटी के मद में 41,270 करोड़ रुपये आए जबकि 7,798 करोड़ रुपये सेस (कंपनशेषण से) के तौर पर मिले. मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी है कि 25 दिसंबर तक जीएसटी के तहत पंजीकरण करान वालों की संख्या 99 लाख के करीब रही. इसमे से साढ़े 16 लाख से भी ज्यादा कारोबारी ऐसे हैं जिन्हे हर तीन महीने पर रिटर्न दाखिल करना होता है, जबकि 25 दिसंबर तक नवंबर के महीने के लिए कुल मिलाकर 53 लाख से भी ज्यादा कारोबारियो ने रिटर्न हासिल किया.
वैसे तो मंत्रालय ने कमाई में गिरावट की वजह का जिक्र नही किया है, लेकिन नवंबर के महीन में दो सौ से भी ज्यादा सामान पर जीएसटी की दरें कम की गयी. सबसे ज्यादा कमी 28 फीसदी के दायरे में आने वाले सामानों पर हुई जहां 178 सामान पर दरें कम हुई. यही नहीं अपवाद को छोड़ सभी रेस्त्रां पर जीएसटी की दर 5 फीसदी कर दी गयी. यहां अपवाद का मतलब ऐसे होटल स्थित रेस्त्रां से हैं जहां पर कमरे का किराया साढ़े सात हजार रुपये या उससे ज्यादा का है, ऐसे रेस्त्रां के लिए जीएसटी की दर 18 फीसदी होगी. इन्ही सब कारणों से लगता है कि कर से कमाई घटी है और इसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है. अब सरकार की नजर ऐसे व्यापारियों पर है जिन्होंने जीएसटी के तहत पंजीकरण तो करा रखा है, लेकिन रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं. ऐसे कारोबारियों, व्यापारियों पर कार्रवाई के आसार हैं.
जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक
काउंसिल की अगली बैठक 18 जनवरी को दिल्ली में बुलायी गयी है. उम्मीद है कि इस बैठक में जीएसटी से घट रही कमाई को लेकर चर्चा की जाएगी. साथ ही इस गिरावट के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई के लिए कदम उठाने के सुझावों पर बातचीत होगी. जीएसटी काउंसिल केंद्र और राज्यों की मिली जुली संस्था है जो जीएसटी के दर, नियम वगैरह पर फैसला करती है. काउंसिल के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होते हैं, जबकि वित्त राय मंत्री, 29 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली व पुड्डूचेरी) के मनोनित मंत्री सदस्य होते हैं. अभी तक काउंसिल के सारे फैसले सर्वसम्मति से हुए हैं. हालांकि मतदान का भी प्रावधान है जिसके तहत केंद्र के पास एक तिहाई और राज्यों के पास दो तिहाई मत है जबकि फैसला तीन चौथाई मत से होगा. दूसरे शब्दों में कहें तो ना तो केंद्र और ना ही राज्य मिलकर अपनी मनमानी कर सकेंगे.
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शशि शेखर, स्वतंत्र पत्रकारJournalist
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