फिर रसातल में रुपया, इन तीन कारणों से टूटकर रिकॉर्ड निचले स्तर पहुंच गई भारतीय करेंसी
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार निकासी ने रुपये पर गहरा दबाव डाला है, जिसके चलते निवेशकों की धारणा कमजोर बनी हुई है.

Rupee vs Dollar: भारतीय रुपये की कमजोरी लगातार गहराती जा रही है और यह गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. यूएस फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती किए जाने के बावजूद रुपये को कोई सहारा नहीं मिल पाया है. हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को रुपये में एक बार फिर भारी गिरावट दर्ज की गई और यह 24 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.56 रुपये प्रति डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार निकासी ने रुपये पर गहरा दबाव डाला है, जिसके चलते निवेशकों की धारणा कमजोर बनी हुई है.
रिकॉर्ड निचले स्तर पर रुपया
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना-चांदी जैसी कीमती धातुओं के दाम में तेज उछाल आया है, जिससे आयातकों की ओर से डॉलर की मांग अचानक बढ़ गई. आयात महंगा होने पर कंपनियां अधिक डॉलर खरीदती हैं, जिसके कारण घरेलू मुद्रा और दबाव में आ जाती है. इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में शुक्रवार को रुपया 90.43 पर खुला, लेकिन जल्द ही फिसलकर 90.56 पर पहुंच गया. यह पिछले बंद भाव से 24 पैसे की कमजोरी दर्शाता है.
गुरुवार को भी रुपये में 38 पैसे की बड़ी गिरावट आई थी और वह अपने अब तक के सबसे निचले स्तर 90.32 पर बंद हुआ था. वहीं, डॉलर इंडेक्स—जो छह प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती को दर्शाता है—हल्की बढ़त के साथ 98.37 पर पहुंच गया, जिससे रुपए पर अतिरिक्त दबाव बना.
घरेलू शेयर बाजार में आज शुरुआती कारोबार सकारात्मक रहा. सेंसेक्स 170 अंकों की तेजी के साथ 84,988 पर और निफ्टी लगभग 98 अंकों की बढ़त के साथ 25,997 के स्तर पर पहुंच गया. मजबूत शुरुआती बाजार के बावजूद रुपये पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
मिराए एसेट शेयरखान के विश्लेषक अनुज चौधरी का कहना है कि भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर चल रही अनिश्चितता रुपये की गिरावट का सबसे बड़ा कारण है. हालांकि घरेलू बाजार की तेजी और कमजोर अमेरिकी डॉलर ने गिरावट को सीमित करने की कोशिश की, लेकिन निवेशकों की सतर्कता अभी भी कायम है. चौधरी के अनुसार, आने वाले दिनों में रुपये में उतार-चढ़ाव जारी रहने की आशंका है, क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते में देरी से निवेशकों के मन में आशंका बढ़ सकती है. उनका अनुमान है कि डॉलर-रुपया विनिमय दर निकट अवधि में 90.10 से 90.75 के दायरे में रह सकती है. केंद्रीय बैंक द्वारा किसी भी तरह का हस्तक्षेप रुपये को निचले स्तर पर सहारा दे सकता है.
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड तेल की कीमत 0.67 प्रतिशत बढ़कर 61.69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई. वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने गुरुवार को 2,020 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिक्री की, जिससे बाजार पर बिकवाली का दबाव और बढ़ा तथा रुपये पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.
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Source: IOCL























