दुनिया के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी बुरी खबर! IMF ने घटाया GDP ग्रोथ का अनुमान
IMF की रिपोर्ट में साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि बीते कुछ महीनों में अमेरिका की ओर से लगातार घोषित टैरिफ्स और व्यापारिक नीतियों में तेजी से बदलाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम बन रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की आर्थिक विकास दर (GDP ग्रोथ) के अनुमान में कटौती की है. IMF की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, अब भारत की GDP ग्रोथ 2025 में 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है, जो इससे पहले जनवरी 2025 की रिपोर्ट में 6.5 फीसदी बताई गई थी. IMF के अनुसार, यह संशोधन वैश्विक स्तर पर बढ़ती अनिश्चितता और अमेरिका की नई व्यापार नीतियों, विशेष रूप से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ्स के चलते किया गया है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी बुरी खबर
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आर्थिक स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण इलाकों में बढ़ती निजी खपत है. हालांकि, वैश्विक व्यापार तनाव और अनिश्चितताओं ने भारत की संभावित ग्रोथ को प्रभावित किया है, जिसके कारण विकास दर में 0.3 प्रतिशत अंक की गिरावट देखी गई है.
IMF ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास अनुमान में भी बड़ी कटौती की है. अब वैश्विक GDP ग्रोथ 2025 में सिर्फ 2.8 फीसदी रहने की संभावना है, जो पहले के अनुमान से आधा प्रतिशत कम है.
अमेरिका और चीन को भी होगा नुकसान
अमेरिका की ग्रोथ दर को 2.7 फीसदी से घटाकर 1.8 फीसदी कर दिया गया है, जबकि चीन की GDP ग्रोथ अब 4.6 फीसदी से घटाकर 4.0 फीसदी आंकी गई है. IMF ने यह भी बताया कि 2026 के लिए चीन की ग्रोथ अनुमान भी घटाकर 4.5 फीसदी से 4.0 फीसदी कर दिया गया है.
IMF की रिपोर्ट में साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि बीते कुछ महीनों में अमेरिका की ओर से लगातार घोषित टैरिफ्स और व्यापारिक नीतियों में तेजी से बदलाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा जोखिम बन रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया उस आर्थिक व्यवस्था से बाहर निकल रही है, जो पिछले 80 वर्षों से चली आ रही थी. पुराने नियमों को चुनौती मिल रही है और नए नियम अभी अस्तित्व में नहीं आए हैं.
भारत को संतुलन बनाने की जरूरत
भारत के संदर्भ में IMF ने जोर देकर कहा कि हालांकि घरेलू मांग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से कुछ स्थिरता बनी हुई है, लेकिन वैश्विक स्तर की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है. आने वाले समय में भारत को अपनी आर्थिक नीतियों में संतुलन बनाते हुए वैश्विक परिस्थितियों का ध्यान रखना होगा.
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