अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विकास दर 6% के नीचे जाने की आशंका

नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट का मानना है कि चालू कारोबारी साल की तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से दिसम्बर के दौरान विकास दर 6 फीसदी से भी नीचे रह सकती है. यही वो तिमाही है जिसके आखिरी 2 महीने नोटबंदी की वजह से जाने जाते हैं. वैसे सरकार की ओर इस तिमाही के लिए विकास के अनुमान मंगलवार 28 फरवरी को जारी किए जाएंगे.
बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्याकांति घोष की अगुवाई में तैयार इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि विकास के आंकड़ों पर नोटबंदी का थोड़े समय तक ही नकारात्मक असर रहेगा. हालांकि अर्थव्यवस्था में औपचारिक क्षेत्र के बढ़ते आकार और नए नोट के आने की तेज रफ्तार से लंबे समय में विकास दर बढ़ेगी. वैसे सरकार भी ये कई मौको पर कहती रही है कि नोटबंदी का थोड़े समय तक अर्थव्यवस्था पर विपरित असर पड़ेगा, लेकिन लंबे समय में इसका फायदा देखने को मिलेगा.
स्टेट बैंक इकोरैप की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरी तिमाही में विकास दर 5.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.4 फीसदी रह सकती है. 31 मार्च को समाप्त होने वाले कारोबारी साल 2016-17 के दौरान विकास दर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. ये रिजर्व बैंक के अनुमान के काफी करीब है. 8 फरवरी को रिजर्व बैंक ने विकास दर का अनुमान 7.1 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था. वहीं बीते दिनों केंद्रीय सांख्यिकी संगठन यानी सीएसओ ने चालू कारोबारी साल के लिए विकास दर 7.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. लेकिन इसमें नोटबंदी का असर शामिल नहीं है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर सीएसओ के अनुमान के मुताबिक 7.1 फीसदी की विकास दर के लिए तीसरी और चौथी तिमाही में विकास दर क्रमश: 6.1 और 7.8 फीसदी होनी चाहिए. लेकिन बाजार में नकदी की कमी की वजह से उपभोक्ता मांग में खासी कमी आयी है. ऐसे में सीएसओ के विकास अनुमान हासिल नहीं हो सकते. रिपोर्ट आगे ये कहता है कि शायद ये पहली बार होगा जब सीएसओ मई के बजाए फरवरी मे ही 2016-17 के लिए विकास दर के अनुमान में कमी करेगा.
रिपोर्ट बताती है कि तीसरी तिमाही के दौरान कंस्ट्रक्शन, रियल इस्टेट, सीमेंट और एफएमसीजी (Fast Moving Consumer Goods यानी आम उपभोक्ता सामान) जैसे क्षेत्र में बिक्री गिर सकती है. हालांकि उसके बाद इन क्षेत्रों में सुधार आएगा.
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