खरीदें या अभी इंतजार करें? रिकॉर्ड पर पहुंचने के बाद सोना सस्ता होगा या फिर और बढ़ेंगे दाम?
Gold Prices: ब्रोकरेज फर्म ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी ने बताया कि वैश्विक बाजारों में सोना 3,659 डॉलर प्रति औंस के आसपास मंडरा रहा है और नए रिकॉर्ड बना रहा है.

Gold Price Predictions: त्योहारी सीजन से ठीक पहले सोने के दाम में जबरदस्त इजाफा हुआ है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर कोई अभी खरीदारी का मन बना रहा है तो क्या वह इंतजार करे या फिर अभी सोने की कीमत और बढ़ने वाली है. बाजार के जानकारों की मानें तो अभी इसके दाम में और तेजी देखने को मिल सकती है.
सोने के दाम में तेजी ऐसे समय में देखने को मिल रही है जब उम्मीद की जा रही है कि कमजोर रोजगार आंकड़ों के बीच सितंबर की यूएस फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतिगत बैठक में ब्याज दरों में कटौती का अनुमान लगाया जा रहा है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक्स ब्रोकर्स के एवीपी (कॉमोडिटीज एंड करेंसीज) का कहना है कि अगले कुछ हफ्तों में सोने की कीमत में और तेजी आ सकती है. यूएस नॉनफार्म पेरॉल्स (एनएफपी) की रिपोर्ट बताती है कि अगस्त में हायरिंग की रफ्तार धीमी रही और बेरोजगारी दर 2021 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था दबाव में है.
इसके अलावा जापान और फ्रांस में राजनीतिक हालात ने भी भू-राजनीतिक तनाव बढ़ाया है, जिससे सोने की मांग और बढ़ गई है. अनुमान है कि अगले तीन से चार हफ्तों में सोना 3,720 डॉलर से लेकर 3,750 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है. भारतीय बाजार में यह करीब 1,12,000 रुपये से लेकर 1,12,500 रुपये प्रति 10 ग्राम तक हो सकता है.
आगे कहां तक जाएगा भाव?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) सौमिल गांधी का कहना है कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत मांग, एक्सचेंज-ट्रेडेड कोषों में निवेश और ब्याज दरों में कटौती की अटकलों ने कीमती धातुओं में तेजी को बढ़ावा दिया है. उनका कहना है कि सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की मांग भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से जुड़ी चिंताओं के कारण बढ़ी है.
ब्रोकरेज फर्म ट्रेडजिनी के सीओओ त्रिवेश डी ने बताया कि वैश्विक बाजारों में सोना 3,659 डॉलर प्रति औंस के आसपास मंडरा रहा है और नए रिकॉर्ड बना रहा है. कोटक सिक्योरिटीज में जिंस शोध की एवीपी कायनात चैनवाला ने कहा कि बाजार प्रतिभागी इस हफ्ते के अंत में आने वाले अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर नज़र रखेंगे, जो चौथी तिमाही में ब्याज दरों में कटौती की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं. हालांकि, इससे सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों में कोई बदलाव नहीं होगा.
[डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है]
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