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छंटनी के इस दौर में कर्मचारियों की नौकरी बचा सकती हैं कंपनियां, जॉब बचाए रखने के भी हैं विकल्‍प

Layoffs Update: कई ऐसे अध्ययन सामने आए है कि बड़े पैमाने पर छंटनी से कंपनियों को फायदा कम और नुकसान ज्यादा हुआ है. आर्थिक हालात बदलने पर कम वर्कफोर्स से कंपनियों का मुनाफा घट जाता है.

How To Avoid Layoffs: रूस के यूक्रेन पर हमले ( Russia Ukraine war) के बाद वैश्विक आर्थिक संकट (Global Financial Crisis), महंगी होते ब्याज दरें ( High Interst Rates), मंदी की आहट ( Recession) और कारोना महामारी ( Covid-19 Pandemic) के असर के कम होने के बाद हालात सामान्य होने लगे हैं. कंपनियों को लगने लगा है उनके पास जो वर्कफोर्स है वह जरूरत से ज्यादा है क्योंकि कंपनियों ने कोरोनाकाल के दौरान जबरदस्त हायरिंग की थी. अभी आलम यह है कि अमेरिका से लेकर भारत तक आईटी - टेक से लेकर कई सेक्टर्स की कंपनियां अपने कर्मचारियों की छंटनी करने में जुटी हैं. ग्लोबल आर्थिक संकट और आर्थिक विकास की रफ्तार की गति धीमी होने के चलते कंपनियां एम्पलॉयज की संख्या को कम कर खर्च घटाना चाहती हैं. 

छंटनी से फायदा या नुकसान?

पर सवाल उठता है कि इस प्रकार बड़े पैमाने पर छंटनी करने की रणनीति कहां तक उचित है? क्योंकि कई रिपोर्ट्स के मुताबिक कम वर्कफोर्स का होना ज्यादा वर्कफोर्स के होने से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. क्योंकि जब कर्मचारियों की संख्या घट जाती है कर्मचारियों का मनोबल घट जाता है और इससे मुनाफे पर असर पड़ता है. जिसके बाद कंपनियां का ज्यादा फोकस और समय फिर से वर्कफोर्स लाने में लग जाता है. 

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज के डीन एनजी कामथ का मानना है कि अच्छी कंपनियों में या तो कुछ कम कर्मचारी होते हैं या फिर थोड़ा ज्यादा कर्मचारी होते हैं और अगर उनके यहां इनोवेशन का कल्चर है तो मंदी और आर्थिक संकट के दौरान भी वे बेहतर प्रदर्शन करते हैं. उनका कहना है कि रिसर्च में ये बातें सामने आई है कि छंटनी अच्छी स्ट्रैटजी कतई नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस कंपनी में अधिक वर्कफोर्स है उन्‍हें घबराहट में छंटनी करने की जगह बजाये उनका एफिशिएंटली इस्‍तेमाल किया जाए, इसपर स्ट्रैटजी बननी चाहिए. ऐसे कर्मचारियों की हायरिंग में कंपनियां काफी मेहनत करती हैं.

जानकारों का मानना है कि कर्मचारियों की छंटनी किसी भी कंपनी के लिए अच्छी रणनीति नहीं है. छंटनी के भी कई विकल्प मौजूद हैं. जो इस प्रकार है. 

थोड़े दिन की छुट्टी दे देना ( Furloughs)

अगर ज्यादा वर्कफोर्स है तो थोड़े दिन के लिए कर्मचारियों को छुट्टी दे दी जा सकती है. इससे कर्मचारियों की छंटनी नहीं करनी पड़ेगी और कंपनियां पैसे भी बचा लेंगी. थोड़े दिन की छुट्टी ( Furloughs) मैनडेटरी होती है. यहां कर्मचारियों को छंटनी की जगह थोड़े समय के लिए छुट्टी दे दी जाती है. इसके तहत कर्मचारी कम समय के लिए काम करता है अनपेड लीव उसे दिया जाता है. जबकि छंटनी किए जाने पर कर्मचारी पूरी तरह कंपनी से अलग हो जाते हैं. 

वेतन में कटौती (Pay Cut)

वेतन में कटौती किए जाने से कंपनियां छंटनी करने से बच सकती हैं. हलांकि, इसका उन कर्मचारियों को नुकसान हो सकता है जिसका भारी महंगाई के चलते खर्च ज्यादा है. छोटी अवधि में इसका नुकसान हो सकता है. लेकिन लंबी अवंधि में एम्पलॉयर और एम्पलॉइज दोनों के लिए ये फायदेमंद रहता है. क्योंकि हालात सुधरने के बाद कटौती को वापस लिए जाने की संभावना बनी रहती है जैसा कोरोनाकाल में देखने को मिला था.    

बेनेफिट्स या पर्क्स में कटौती

कर्मचारियों को दी जाने वाली बेनेफिट्स या पर्क्स में कटौती - कंपनियां इस विकल्प पर भी गौर कर सकती हैं. कंपनियां बोनस में कटौती कर खर्च बचा सकती है. थोड़े समय के लिए कर्मचारियों को दिए जाने वाले बेनेफिट्स या पर्क्स में कटौती (Cuts in Benefits-Perks) कर खर्च को कम कर सकती हैं.  

जॉब शेयरिंग (Job Sharing) 

जॉब शेयरिंग का मतलब होता है कि एक फुल टाइम एम्पलॉई द्वारा किए जाने वाले काम को दो कर्मचारी करते हैं. इससे हर कर्मचारी के लिए काम के घंटे घट जायेंगे, कंपनी के खर्च में कमी होगी. और एक बार बिजनेस के हालात सामान्य होने के बाद कर्मचारी पहले की तरह काम कर सकता है. एम्पलॉयर का फायदा है कि वो जो एक फुलटाइम एम्पलॉय को वेतन दे रहा था उसे दो में बांटना होगा.  

हर तरफ छंटनी का दौर

दुनियाभर में मंदी के दस्तक देने की आशंका के चलते बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां छंटनी का दौर चला रही हैं. खराब होते ग्लोबल आउटलुक को देखते हुए अमेरिका की बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां जैसे अमेजन, मेटा ने छंटनी की है. इस कड़ी में गूगल माइक्रोसॉफ्ट का नाम भी शामिल है. दरअसल कोरोना महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया घर से वर्क फ्रॉम होम कर रही थी तो आईटी कंपनियों के लिए बड़ा अवसर पैदा हो गया था. कंपनियों ने इस दौरान जमकर हारयरिंग की. लेकिन अब हालात सामान्य हो रहे हैं कर्मचारी दफ्तर जाने लगे हैं तो वही कर्मचारी अब कंपनियों को चुभने लगे हैं. कंसल्टिंग फर्म ग्रे एंड क्रिसमस इंक ने साल 2022 के दौरान ग्लोबल स्तर पर टेक कंपनियों ने कुल कटौती 80,978 में से सिर्फ नवंबर माह के दौरान 52,771 लोगों को नौकरी से निकालने की घोषणा की थी. तो भारत में भी स्टार्टअप टेक कंपनियां छंटनी कर रही है. एड-टेक से लेकर फूड डिलिवरी कंपनियां छंटनी कर रही हैं. 

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Layoff in 2023: साल 2023 में बड़े स्तर पर जाएगी कर्मचारियों की नौकरी; Meta, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट समेत ये कंपनियां करेंगी छंटनी

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